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बचपन में छोड़कर चले गए थे पिता, मां बेचती थीं सब्जियां, अब बेटा खेल रत्न से सम्मानित होगा

उनकी मां ने उम्‍मीद नहीं छोड़ी, मरियप्‍पन को स्‍कूल भेजा, पढ़ाई कराई । दिव्यांग होने के बावजूद मरियप्‍पन स्कूल की प्रतियोगिताओं में भाग लेते रहे ।

New Delhi, Aug 25: पैरालंपिक स्वर्ण पदक विजेता मरियप्पन थांगवेलु का जीवन ऐसी तमाम कठिनाईयों से भरा हुआ था जिनकी वजह से कोई आम इंसान टूट सकता है, लेकिन दिव्‍यांग होने के बावजूद मरियप्‍पन ने ऐसा कभी नहीं सोचा । उसने जो सोचा, वो साबित करके दिखाया । बड़ी से बड़ी रुकावट भी उसके एथलीट बनने के सपने को नहीं तोड़ पाई । 21 साल की उम्र में भारत को रियो पैरालिम्पिक्स खेलों में ऐतिहासिक मेडल जिताने वाले मरियप्‍पन की प्रेरणादायक कहानी आगे जाने, जिन्‍हें 29 अगस्त को वर्चुअल सम्मेलन में खेल रत्न से सम्मानित किया जाएगा ।

तमलिनाडु के छोटे से गांव की पैदाइश
मरियप्‍पन का जन्‍म तमिलनाडु के सालेम शहर के पास पेरियावादमगाती नाम के एक गांव में हुआ । बचपन बहुत अभाव में गुजीरा । बहुत छोटे थे तब ही पिता परिवार को छोड़कर चले गए । मां ने जिम्मेदारी संभाली, ईंटें ढोने का काम किया तो सीने में दर्द की शिकायत होने लगी । फिर किसी से 500 रुपए का कर्ज लिया और सब्जियां बेचना शुरू कर दी । कह सकते हैं कि जैसे तैसे बस परिवार की जिंदगी चल रही थी ।

5 साल की उम्र में दुर्घटना
वहीं मरियप्पन की जिंदगी तब बदल गई जब वो 5 साल की उम्र के थे, एक बस दुर्घटना में उनका सीधा पैर घायल हो गया । चोट इतनी गंभीर थी मरियप्पन हमेशा के लिए दिव्यांग हो गए । मां मजबूर थी, किसी तरह से 3 लाख रुपए का कर्ज लेकर बच्‍चे का इलाज करवाया । मुआवजे के लिए कानून का भी दरवाजा खटखटाया, इंसाफ तो मिला लेकिन 17 साल बाद । लेकिन उनकी मां ने उम्‍मीद नहीं छोड़ी, मरियप्‍पन को स्‍कूल भेजा, पढ़ाई कराई । दिव्यांग होने के बावजूद मरियप्‍पन स्कूल की प्रतियोगिताओं में भाग लेते रहे ।

सिल्‍वर मेडल जीता
मरियप्पन की खेलों में ऐसी रुचि देखकर स्पोर्ट्स टीचर ने उन्‍हें बढ़ावा दिया । 14-15 साल की उम्र में उन्‍होने पहली बार किसी कंपटीशन में हिस्‍सा लिया, और सिल्वर जीत कर सबको चौंका दिया । मरियप्पन वॉलीबॉल के बेहतरीन खिलाड़ी बने गए थे, लेकिन कोच सत्यनारायण के कहने पर उन्होंने हाई जम्प में करियर बनाया । ट्यूनेशिया ग्रैं प्री में उन्‍होने 1.78 मीटर की जम्प लगाकर सबको हैरान कर दिया । ऐसे प्रदर्शन के बाद रियो ओलम्पिक के लिए उनका टिकट पक्का हो गया था ।

गोल्‍ड जीतकर नाम किया रौशन
रियो पैरालंपिक फाइनल में मरियप्‍पन ने 1.89 मीटर की जम्प के साथ गोल्ड मेडल जीता, भारत का नाम दुनिया में रौशन कर दिया । पैरालंपिक खेलों की हिस्‍ट्री में भारत के लिए ये तीसरा गोल्ड पदक था । इससे पहले 1972 में ये मौका तैराक मुरलीकांत पेटकर ने लपका था, और इसके बाद जेवलिन थ्रोअर देवेंद्र झाझारिया ने 2004 में गोल्ड पदक जीता था । अब मरियप्पन को आने वाली गामी 29 अगस्त को खेल रत्न से सम्मानित किया जाएगा ।

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