New Delhi, Aug 24: भगवान श्रीराम को मर्यादापुरुषोत्तम कहा गया है । इसके पीछे कारण है उनका मावन रूप में होकर ऐसे कार्य करना जो किसी भी मनुष्य के लिए आसान नहीं । तमाम परेशानियों के बाद भी उन्होने मर्यादा का साथ नहीं छोड़ा । अपने पिता के वचन का पालन करने के लिए वनवास जाना, माता कैकयी के अत्याचार के बाद भी उन्हें पूरा सम्मान, सीता के प्रति उनका अगाध प्रेम, अपने अनुजों के लिए लगाव, प्रजा के राजाराम । इतना सुंदर चरित्र चित्रण लेकिन क्या आज की जीवनशैली में इनसे संबंधित ज्ञान पाने के लिए समय निकाल पाना आसान है ।
रामायण में छिपे हैं राम
श्री राम से संबंधित ग्रंथों में महर्षि वाल्मीकि द्वारा लिखी गई रामायण को सबसे सटीक माना गया है । गोस्वामी तुलसीदासजी द्वारा रचित श्रीरामचरित मानस वर्तमान में सबसे ज्यादा प्रचलित है । इन दोनों का ही पठन करने से पापों से मुक्ति
ये मंत्र इस प्रकार है
पूरी रामयण का सार छुपाए इस मंत्र को पढ़ने से
मंत्र
आदि राम तपोवनादि गमनं, हत्वा मृगं कांचनम्।
वैदीहीहरणं जटायुमरणं, सुग्रीव संभाषणम्।।
बालीनिर्दलनं समुद्रतरणं, लंकापुरीदाहनम्।
पश्चाद् रावण कुम्भकर्ण हननम्, एतद्धि रामायणम्।।
इस मंत्र का भावार्थ
एक बार श्रीराम वनवास में गए। वहां उन्होंने स्वर्ण मृग का पीछा किया और उसका वध किया। इसी दौरान उनकी पत्नी वैदेही (सीता जी) का रावण
मंत्र जाप की संपूर्ण विधि
नहाकर, साफ वस्त्र पहनकर भगवान श्रीराम की पूजा करें। कुश के आसन पर बैठकर भगवान के चित्र के सामने आसन लगाकर रुद्राक्ष की माला
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