New Delhi, Dec 10 : पानी में तैरती नाव, दोस्तों के साथ च्विंगम खाना, पच्चीस पैसे की टॉफी और दो रुपए में समोसा खाना । 90 के दशक के बच्चों का बचपन खूब मस्ती में बीता है । इस दशक में बचपन घर की चारदीवारी में कैद नहीं था, खुले मैदान, पड़ोसियों के घर और उनकी छतों पर हो हल्ला करते हुए गुजरता था । उस दशक की बात ही कुछ और थी ना गैजेट्स का क्रेज था और ना ही बहुत ज्यादा इच्छाएं थीं, लोग तो बस आपस में मस्ती करना जानते थे । चलिए आपकी यादों को ताजा करते हैं ।
बबल गम
90 के दशक में बच्चों को टॉफ, चिप्स नहीं लुभाते थे । ना तो पॉकेट मनी जैसा कोई कल्चर था । लेकिन चीज जो हर बच्चा खाना चाहता था ।
चॉकलेट का कोई क्रेज नहीं था
आजकल बच्चे चॉकलेट के लिए कितनी जिद करते हैं । लेकिन तब मिलने वाली चॉकलेट, टॉफी खास होती थी । घर आने वाले मेहमान या
फाउंटेन पेन, इंक से लिखना
फाउंटेन पेन का क्रेज भी गजब था । ड्रॉपर की हेल्प लेकर पेन में इंक भरना और फिर इसे सुंदर हैंडराइटिंग बनाने की कोशिश करना । एक
रबड़ वाली पेंसिल
90 के दशक में एक खास पेंसिल मिला करती थी, जिसे पाने के लिए हर बच्चे अपने मममी पापा से जिद करते थे । ये थी एक पेंसिल, कोई
ज्योमेट्री बॉक्स
नटराज या कैमलिन का खूबसूरत सा ज्योमेट्री बॉक्स याद है आपको, इसमें रखा चांदा, स्केल, कंपास हर बच्चे के लिए किसी खजाने या उसकी
खुशियों की चाबी
ये स्पेनर याद है ना । इसका इस्तेमाल तब खिलौनों को चलाने में होता था । तिकड़मी बच्चे तो क्या कुछ नहीं कर लेते थे इसकी मदद से । स्केट
वीडियो गेम – 150 रुपए की अधिकतम कीमत में मिलने वाला ये वीडियोगेम तब अमीर बच्चों के पास देखा जाता था । उनसे निचले स्तर के बच्चे इसे खेलने के लिए उस बच्चे की वचमचागीरी करते हुए देखे जाते थे ।
वॉकमैन
मयूजिक सुनने के शौकीन लोगों को उनका वॉकमैन तो याद होगा ही । जब वो स्कूल की पिकनिक पर गए होंगे और अपने दोस्त का वॉकमैन
म्यूजिक कैसेट्स – आज गाने सुनना जितना आसान काम है उतना ही मुश्किल ये तब हुआ करता था । आपको गानों की एक लिस्ट लेकर कैसेट वाले के पास जाना होता था और पर गाने के हिसाब से कैसेट में गाने भरवाने होते थे ।
कागज की कश्ती
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