New Delhi, Dec 01: आमतौर पर कहा जाता है कि जब दुनिया में प्रलय आएगी, तो पूरी दुनिया खत्म हो जाएगी। सारी की सारी दुनिया खत्म हो जाएगी लेकिन ये पेड़ अमर रहेगा । आपको यकीन हो या ना हो लेकिन इस पेड़ के बारे में देश भर और दुनियाभर के कई वैज्ञानिक कई बड़ी बातें बता चुके हैं। आपको इस पेड़ के बारे में जानना इसलिए भी जरूर है, क्योंकि ये पेड़ हिंदुस्तान में ही मौजूद है।
कोलकाता में मौजूद है पेड़
जी हां इससे पहले कि आप कुछ सोचे, हम आपको बता देते हैं कि ये पेड़ कोलकाता के आचार्य जगदीशचंद्र बोस बोटैनिकल गार्डन में है। ताया जाता है कि ये पेड़
एशिया का सबसे पुराना गार्डन
बताया जाता है कि जगदीश चंद्र बोस का ये गार्डन एशिया के सबसे पुराने बौटेनिकल गार्ड्न्स में से एक कहा जाता है। पौराणिक कथाओं में भी इस पेड़ का जिक्र
पर्यावरण को बचाने में मददगार
खास बात ये भी है कि ये पेड़ पर्यावरण को बचाने में भी काफी कारगर है। ये पेड़ एक दिन में 20 घंटे से ज्यादा ऑक्सीजन बना सकता है। आम तौर पर बाकी पेड़
अकाल के वक्त काम आता है
वट वृक्ष की पत्तियों को अकाल के वक्त जानवरों को इसलिए खिलाया जाता है, ताकि वो जीवित रह पाएं। इसके साथ ही वट वृक्ष के पत्ते कई बीमारियों का भी अचूक
शरीर का रक्त शुद्ध होता है
इसके साथ ही कहा जाता है कि वट वृक्ष के पत्तों से शरीर का रक्त शुद्ध होता है। हा जाता है कि अगर आपके शरीर में रक्त शुद्ध हो तो कोई भी बीमारी आपके
शरीर की बीमारियां दूर होती हैं
इसके साथ ही कहा जाता है कि वटवृक्ष के पत्तों के सेवन से यूटरस की परेशानी दूर हो जाती है। एक और खास बात ये भी है कि वटवृक्ष के पत्तों और जटाओं को
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