New Delhi, Jul 04 : शास्त्रों के अनुसार, कुन्डली का नवां घर धर्म का घर कहा जाता है, यह पिता का घर भी होता है, अगर किसी प्रकार से नवां घर खराब ग्रहों से ग्रसित होता है तो सूचित करता है कि पूर्वजों की इच्छायें अधूरी रह गयीं थी, जो प्राकृतिक रूप से खराब ग्रह होते है वे सूर्य मंगल शनि कहे जाते है और कुछ लगनों में अपना काम करते हैं, लेकिन राहु और केतु सभी लगनों में अपना दुष्प्रभाव देते हैं ।
ऐसे बनता है पितृ दोष का योग
नवां भाव, नवें भाव का मालिक ग्रह, नवां भाव चन्द्र राशि से और चन्द्र राशि से नवें भाव का मालिक अगर राहु या केतु से ग्रसित है तो यह पितृ
ये हो सकते हैं लक्षण
पितृ दोष से पीडि़त जातक हमेशा किसी न किसी प्रकार की टेंशन में रहता है । यदि ये लंबे समय से है तो वह अपनी शिक्षा भी पूरी नहीं कर
पितृदोष लगने के कारण
कुंडली में पितृ दोष लगने का कारण राहु की बदलती हुई स्थिति है । इसके अलावा, पूर्व जन्म में अगर माता-पिता की अवहेलना की गई हो, या
कुंडली में पितृ दोष के योग
व्यक्ति की कुंडली में राहु का प्रभाव ज्यादा हो तो पितृ दोष जैसी समस्या हो जाती है । इसके अलावा राहु अगर कुंडली के केंद्र स्थानों या
पितृ-दोष का निवारण, करें ये उपाय
अमावस्या के दिन किसी गरीब को भोजन कराएं, चावल खीर जरूर खिलाएं । पीपल का वृक्ष लगवाएं और उसकी तन-मन-धन से सेवा करें ।
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