अध्यात्म

करोड़पति से कंगाल बना देता है पितृ दोष, जानें इसके दुष्‍प्रभाव और उनको दूर करने के उपाय

व्‍यक्ति के जीवन में उतार चढ़ाव तो बने रहते हैं, लेकिन कई बार इसकी वजह ग्रह दोष भी होते हैं । ऐसा ही एक दोष है पितृ दोष, इसका प्रभाव बहुत ही दुष्‍कारी होता है । जानें लक्षण और निवारण के उपाय ।

New Delhi, Jul 04 : शास्‍त्रों के अनुसार, कुन्डली का नवां घर धर्म का घर कहा जाता है, यह पिता का घर भी होता है, अगर किसी प्रकार से नवां घर खराब ग्रहों से ग्रसित होता है तो सूचित करता है कि पूर्वजों की इच्छायें अधूरी रह गयीं थी, जो प्राकृतिक रूप से खराब ग्रह होते है वे सूर्य मंगल शनि कहे जाते है और कुछ लगनों में अपना काम करते हैं, लेकिन राहु और केतु सभी लगनों में अपना दुष्प्रभाव देते हैं ।

ऐसे बनता है पितृ दोष का योग
नवां भाव, नवें भाव का मालिक ग्रह, नवां भाव चन्द्र राशि से और चन्द्र राशि से नवें भाव का मालिक अगर राहु या केतु से ग्रसित है तो यह पितृ दोष कहा जाता है। राहु की अलग अलग स्थितियों को हम पूर्वजन्म और पितरों से जोड़ देते हैं । व्‍यक्ति की कुंडली में ये दोष हो तो उसके लिए जीवन और भी कठिन हो जाता है, मुश्किलें और भी बढ़ जाती हैं ।

ये हो सकते हैं लक्षण
पितृ दोष से पीडि़त जातक हमेशा किसी न किसी प्रकार की टेंशन में रहता है । यदि ये लंबे समय से है तो वह अपनी शिक्षा भी पूरी नहीं कर पाता है । जीवन भर अच्‍छी विका के लिये तरसता रहता है । ऐसा व्‍यक्ति किसी न किसी प्रकार से दिमागी या शारीरिक रूप से अपंग हो सकता है । पितृ दोष से ग्रसित व्‍यक्ति नशे आदि की लत में पड़कर अपना पूरा जीवन बर्बाद कर सकता है ।

पितृदोष लगने के कारण
कुंडली में पितृ दोष लगने का कारण राहु की बदलती हुई स्थिति है । इसके अलावा, पूर्व जन्म में अगर माता-पिता की अवहेलना की गई हो, या परिवार में किसी बुजुर्ग को अंतिम समय में कष्‍ट सहना पड़ा हो, जातक ने माता-पिता के लिए अपने दायित्वों का ठीक तरीके से पालन न किया गया हो या फिर अपने अधिकारों और शक्तियों का दुरूपयोग किया गया हो । ऐसी किसी भी स्थिति में ये दोष आपको परेशान कर सकता है ।

कुंडली में पितृ दोष के योग
व्‍यक्ति की कुंडली में राहु का प्रभाव ज्यादा हो तो पितृ दोष जैसी समस्या हो जाती है । इसके अलावा  राहु अगर कुंडली के केंद्र स्थानों या त्रिकोण में हो ।  अगर राहु का सम्बन्ध सूर्य या चन्द्र से हो या राहु का सम्बन्ध शनि या बृहस्पति से हो या फिर कुंडली में  राहु द्वितीय या अष्टम भाव में विद्यमान हो ।

पितृ-दोष का निवारण, करें ये उपाय
अमावस्या के दिन किसी गरीब को भोजन कराएं, चावल खीर जरूर खिलाएं । पीपल का वृक्ष लगवाएं और उसकी तन-मन-धन से सेवा करें । ग्रहण के समय दान आदि जैसे पुण्‍य कर्म अवश्य करें । श्रीमदभगवद्गीता का नित्य प्रातः पाठ करें ।  अगर मामला बहुत ज्यादा जटिल हो तो, श्रीमद्भागवद का पाठ कराएं । इसके साथ ही अपने कर्मों को शुद्ध रखने का प्रयास करें ।

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