अध्यात्म

दीपावली पर इस विधि से करें मां लक्ष्मी की पूजा, जानिये, शुभ मूर्हूत

दीपावली – पूजा के समय लक्ष्मी मंत्र का उच्चारण करते रहे, ऊं श्रीं ह्वीं श्रीं महालक्ष्मयै नमः, मां लक्ष्मी की पूजा प्रदोष काल में ही करना चाहिये।

New Delhi, Nov 07 : आज 7 नवंबर 2018 को कार्तिक महीने की अमावस्या है, आज रोशनी के पर्व दीपावली यानी पूरा भारत रोशनी से जगमगाता है, पुराणों के अनुसार ये त्योहार उस दिन से मनाया जा रहा है, जब मर्यादा पुरषोत्तम श्रीराम रावण को पराजित कर अपना वनवास काट अयोध्या वापस लौटे थे, उस दिन आयोध्या के लोगों ने कार्तिक अमावस्या की रात को अपने-अपने घरों में घी के दीये जलाकर खुशिया मनाई थी। इसके साथ ही दीपावली पर विशेष रुप से लक्ष्मी पूजन की परंपरा है, मां लक्ष्मी के साथ गणेश, कुबेर और बही खाते की पूजा की जाती है, दिवाली पर उपासक को अपने सामर्थ्य के अनुसार व्रत रखना चाहिये, उपासक या तो निर्जल रहकर या फिर फलाहार व्रत रख सकता है।

पूजन विधि
सबसे पहले मां लक्ष्मी और गणेश जी की प्रतिमाओं को चौकी पर रखें, ध्यान रहे कि उनका मुख पूरब या फिर पश्चिम दिशा की ओर हो, लक्ष्मी जी की प्रतिमा गणेश जी के दाहिन तरफ रखें, कलश को लक्ष्मी जी के पास चावलों पर रखें, नारियल को लाल कपड़े में लपेट कर कलश पर रख दें, घी का दीया गणेश जी के पास और तेल का दीया लक्ष्मी जी के सम्मुख जलाकर कर रखें। लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमाओं से सुसज्जित चौकी के पास एक और चौकी रखें, उस पर लाल कपड़ा बिछाएं, उस लाल वस्त्र पर चावल का नवग्रह बनाएं, घर में पूजा करते समय नवग्रह ना रखें, रोली से स्वास्तिक और ऊँ का चिन्ह भी बनाएं, पूजा करते समय उत्तर या पूरब दिशा की ओर चेहरा करके बैठे, केवल प्रदोष काल में ही मां लक्ष्मी की पूजा करें। माता की स्तुति और पूजा के बाद दीप दान जरुर करें।

लक्ष्मी मंत्र का उच्चारण करें
पूजा के समय लक्ष्मी मंत्र का उच्चारण करते रहे, ऊं श्रीं ह्वीं श्रीं महालक्ष्मयै नमः, मां लक्ष्मी की पूजा प्रदोष काल में ही करना चाहिये, ये संध्या काल में आरंभ होगा, हालांकि इसमें भी स्थिर लग्न में माता की पूजा करना सर्वोत्तम माना जाता है, स्थिर लग्न में पूजन कार्य करने से माता लक्ष्मी का घर में वास होता है, द्रव्य लक्ष्मी जी की पूजन धनतेरस वाले दिन ही कुबेर के साथ करना चाहिये।

दीपावली पूजन मूहूर्त
दीपावली का पूरा दिन ही शुभ माना जाता है, इस दिन आप किसी भी समय पूजा कर सकते हैं, प्रदोष काल से लेकर निशा काल तक का समय सबसे शुभ होता है, जो इस दिन बही की पूजा करते हैं, उन्हें राहुल काल का विचार करना चाहिये, जो लोग सिर्फ लक्ष्मी गणेश की पूजा करते हैं, उन्हें विचार नहीं करना चाहिये, क्योंकि अमावस्या के दिन राहु काल को दोष नहीं होता ।

शुभ मूर्हूत
अमावस्या तिथि आरंभ 6 नवंबर 2018 रात 10.30 बजे से 7 नवंबर 2018 रात 9.32 तक
मूर्हूत समय – सुबह आठ बजे से 9.30 तक सुबह, दोपहर- 1.00 से 1.30 तक, शाम 7.30 से रात्रि 12.15 बजे तक।
स्थिर लग्न – शाम 6.15 से 8.05 तक बजे तक, रात्रि 12.45 से 2.50 तक।

IBNNews Network

Recent Posts

निवेशकों को मालामाल कर रहा ये शेयर, एक साल में 21 हजार फीसदी से ज्यादा रिटर्न

कैसर कॉरपोरेशन लिमिटेड के शेयर प्राइस पैटर्न के अनुसार अगर किसी निवेशक के इस शेयर…

2 years ago

500 एनकाउंटर, 192 करोड़ की संपत्ति जब्त, योगी कार्यकाल के 100 दिन के आंकड़ें चौंकाने वाले

दूसरे कार्यकाल में यूपी पुलिस ने माफिया को चिन्हित करने की संख्या भी बढा दी,…

2 years ago

गोवा में पति संग छुट्टियां मना रही IAS टॉपर टीना डाबी, एक-एक तस्वीर पर प्यार लूटा रहे लोग

प्रदीप गवांडे राजस्थान पुरातत्व विभाग में डायरेक्टर हैं, वहीं टीना डाबी राजस्थान सरकार में संयुक्त…

2 years ago

5 जुलाई, मंगलवार का राशिफल: धैर्य से काम लें मकर राशि के जातक, बनता काम बिगड़ जाएगा

आय के नए रास्‍ते खुल रहे हैं, अवसर का लाभ उठाएं ।मित्रों और सगे- सम्बंधियों…

2 years ago

बोल्ड ड्रेस में लेट गई आश्रम की बबीता, खूब पसंद की जा रही तस्वीरें

इस तस्वीर में त्रिधा चौधरी ब्रालेस तो है, ही साथ ही बोल्ड कपड़े पहने नजर…

2 years ago

मलाइका से भी दो कदम आगे निकली अर्जुन कपूर की बहन, कैमरे के सामने उतार दिया ‘जरुरी कपड़ा’

अंशुला के इस वीडियो में आप देख सकते हैं कि वो अपनी वन पीस ड्रेस…

2 years ago