अध्यात्म

कल से शुरू हो रहे हैं माघ गुप्त नवरात्र, जानें पूजाविधि और अंतिम नवरात्र की तारीख

18 जनवरी 2018 से माघ मास के गुप्‍त नवरात्र शुरू हो रहे हें, जानें ये नवरात्र क्‍यों महत्‍वपूर्ण है और आपको इनका पालन कैसे करना चाहिए ।

New Delhi, Jan 17 : हिन्दू धर्म में मां दुर्गा की विशेष साधना के लिए नवरात्र बहुत ही शुभ माने जाते हैं । चैत्र और शारदीय नवरात्र पूरे देश में अलग-अलग पूजा विधानों द्वारा बनाए जाते हैं, लेकिन साल में इन दो नवरात्रों के साथ ही दो गुप्‍त नवरात्र भी आते हैं । माघ और अषाढ़ मास के शुक्‍ल पक्ष में आने वाले ये नवरात्र भी उतने ही पुण्‍य फलदायी होते हैं जितने चैत्र और शारदीय नवरात्र के दौरान मां की आराधना करने वाले साधक कई प्रकार की तंत्र विद्याओं को सीखने और मां की विशेष कृपा की प्राप्ति के लिए आराधना करते हैं ।

गुप्‍त नवरात्र
तंत्र साधना के लिए गुप्त नवरात्र बेहद विशेष माने जाते हैं। आषाढ़ और माघ मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली नवरात्रि को गुप्त नवरात्र कहा जाता है । इस नवरात्रि से जुड़ी कुछ विशेष बातें हैं जो आपके लिए जाननी बहुत जरूरी है ।  बहुत ही कम लोगों को इन नवरात्रों के बारे में जानकारी होती है। इसीलिए वो इन नौ दिनों में मां भगवती की विशेष कृपा पाने से चूक जाते हैं । आज जानिए इन नवरात्रि से जुड़ी विशेष बातें ।

गुप्त नवरात्र की तिथि और पूजन विधि  
18 जनवरी 2018 से लेकर 26 जनवरी 2018 तक रहेंगे । शास्‍त्रों के अनुसार इन नौ दिनों में भी पूजा उसी प्रकार की जानी चाहिए जैसे नवरात्रों में की जाती है । प्रथम दिन घटस्‍थापना के साथ सुबह शाम नव दुर्गा की पूजा करनी चाहिए । मां दुर्गा की आरती और चालीसा का पाठ करना चाहिए । दुर्गा सप्‍तशती पढ़नी चाहिए । अष्‍टमी और नवमी के दिन कन्‍य पूजन के बाद व्रत का उद्यापन करना चाहिए ।

गुप्त नवरात्रि का क्‍या है महत्त्व
वर्ष में चार बार आने वाली नवरात्रि में नौ देवियों की पूजा तो होती ही है उसी प्रकार गुप्‍त नवरात्रि में 10 महाविद्याओं की प्राप्ति के लिए साधना भी की जाती है । इन नवरात्रों में तांत्रिक क्रियाएं, शक्ति साधना, महाकाल से जुड़े लोगों के लिए विशेष महत्त्व रखती है। गुप्‍त नवरात्र का पालन करने वाले साधक कठिन साधना के द्वारा मां भगवति की विशेष कृपा प्राप्‍त करते हैं ।

गुप्त नवरात्री पूजा के लाभ
यह नवरात्रि वर्ष में दो बार आती है । माघ मास में और आषाढ़ मास में । यह पूजा तांत्रिक पूजा के लिए बहुत शुभ मानी जाती है । इस दौरान मां की आराधना करने वाले भक्‍तों को तुरंत ही सिद्धि की प्राप्ति होती है । देवी दुर्गा अपने भक्‍तों की व्‍यथा, तकलीफों को समझकर उनका फौरन ही नाश करती है और धन समृधि और ज्ञान का आशीर्वाद देती हैं ।

गुप्त नवरात्रि की प्रमुख देवियां
गुप्त नवरात्र के दौरान साधक, महाविद्या या तंत्र साधना की प्राप्ति के लिए मां दुर्गा की आराधना करते हैं । इस समय देवी के विभिन्‍न रूपों की आराधना की जाती है । तंत्र साधना के लिए मां के मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां ध्रूमावती, माता बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी रूपों की आराधना की जाती है ।

पूजा का मुहूर्त और मंत्र
18 जनवरी से प्रारंभ होने वाले गुप्‍त नवरात्र में माता के पूजन का समय शाम 3.50 बजे से 4.50 बजे तक बताया गया है । इस शुभ समय में माता की आराधना विशेष मंत्र से करने से आपको लाभ होगा । पूजन मंत्र इस प्रकार है – ह्रीं दुं दुर्गापरमेश्वर्यै नमः । इस दिन प्रात:काल में घटस्‍थापना अवश्‍य करें । घर में कोई लंबी बीमारी से पीडि़त हो तो मौसम्‍मी का दान करना शुभ रहेगा ।

विशेष इच्‍छा हेतु उपाय
यदि आप कुंवारी कन्‍या हैं और आपका विवाह नहीं हो पा रहा है तो गुप्‍त नवरात्रि में आप मनपसंद वर के लिए उपाय कर सकती हैं । नवरात्रि के किसी भी दिन शिव मंदिर में जाएं । भगवान शिव और पार्वती को जल ओर दूध चढ़ाएं । माता पार्वती ओर भोलेशंकर की पंचोपचार अर्थात चंदन, पुष्प, धूप, दीप एवं नैवेद्य से पूजा करें । मौली लेकर दोनों की मूर्तियों में गठबंधन कर । इतना करने के बाद मूर्ति के समक्ष बैठें और लाल चंदन की माला से  ‘हे गौरी शंकरार्धांगी। यथा त्वं शंकर प्रिया। तथा मां कुरु कल्याणी, कान्त कान्तां सुदुर्लभाम।।’ मंत्र का 108 बार जाप करें ।

शीघ्र विवाह के करें ये उपाय
गुप्त नवरात्रि में शिव-पार्वती का एक चित्र अपने पूजास्थल में रखें और उनकी पूजा-अर्चना करने के पश्चात मंत्र का 3, 5 या 10 माला जाप करें। जाप के बाद भगवान शिव से विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करने की प्रार्थना करें । मंत्र इस प्रकार है -‘ऊं शं शंकराय सकल-जन्मार्जित-पाप-विध्वंसनाय,पुरुषार्थ-चतुष्टय-लाभाय च पतिं मे देहि कुरु कुरु स्वाहा।।’

पति-पत्‍नी में प्रेम बढ़ाने के लिए
यदि जीवनसाथी से बार-बार अनबन होती रहती है, तो गुप्त नवरात्रि के नौ दिनों तक बताई गई चौपाई पढ़ते हुए 108 बार अग्नि में घी से आहुतियां दें । प्रतिदिन सुबह उठकर पूजा के समय इस चौपाई को 21 बार पढ़ें । संभव हो तो अपने साथी से भी इस चौपाई का जाप करने के लिए कहें । चौपाई इस प्रकार है – ‘सब नर करहिं परस्पर प्रीति। चलहिं स्वधर्म निरत श्रुति नीति।।’

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