New Delhi, Aug 07 : क्या आप जानते हैं सुखी रहने का मूलमंत्र क्या है । सुखी रहने का मूलमंत्र है मोह माया का त्याग । आचार्य चाणक्य कहते है ” जो अपने रिश्तो के साथ अत्यधिक जुड़ा हुआ होता है, उसे भय और चिंता का सामना करना पड़ता है । सभी दुखों कि जड़ लगाव है ” । यानी आप जितना मोह और माया में फंसेंगे सांसारिक कष्ट उतने ही अधिक होंगे । किसी भी वस्तु, व्यक्ति और स्थन से लगाव मत रखो, सुखी रहोगे । ये तो रही सुखी रहने की बात लेकिन वो लोग जो बुरी आदतों में फंस गए हैं, क्या वो ये जानते हैं कि उनकी ये आदत उन्हें कहीं का नहीं छोड़ेंगे ।
महिलाओं पर कुदृष्टि
जो भी व्यक्ति अपनी स्त्री को छोड़ पराई स्त्री पर कुदृष्टि रखता है उसे नर्क की यातना भोगने के लिए तैयार रहना चाहिए । ऐसा व्यक्ति जो
नशे का आदी
आचार्य चाणक्य जी के अनुसार जो कोई व्यक्ति बुरी आदतें के अधीन हो गया है जिस व्यक्ति को नशा करने की आदत लग गई है और वह
लालच कभी ना करें
आचार्य चाणक्य के अनुसार जो व्यक्ति पैसों की लालच में रहता है ऐसा व्यक्ति आँखे होने के बावजूद भी अंधे के समान होता है । चाणक्य के
रिश्तों की भी नहीं रखता मर्यादा
ऐसा व्यक्ति को अपने और दूसरों में कोई अंतर नजर नहीं आता । वो धन के लालच में किसी भी रिश्ते को तोड़ सकता है । किसी के भी साथ
जुए की लत आपको ले डूबेगी
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