New Delhi, May 05 : मगध का राजा जरासंध बहुत शक्तिशाली और क्रूर था। उसके पास अनगिनत सैनिक और दिव्य अस्त्र-शस्त्र थे। यही कारण था कि आस-पास के सभी राजा उसके प्रति मित्रता का भाव रखते थे। जरासंध की अस्ति और प्रस्ति नामक दो पुत्रियाँ थीं। उनका विवाह मथुरा के राजा कंस के साथ हुआ था। कंस अत्यंत पापी और दुष्ट राजा था। प्रजा को उसके अत्याचारों से बचाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने उसका वध कर दिया।
क्रोधित हुआ जरासंध
दामाद की मृत्यु की खबर सुनकर जरासंध क्रोधित हो उठा। प्रतिशोध की ज्वाला में जलते जरासंध ने कई बार मथुरा पर आक्रमण किया। किंतु
शिव से मांगा वरदान
काशीराज के बाद उसका पुत्र काशीराज बना और श्रीकृष्ण से बदला लेने का निश्चय किया। वह श्रीकृष्ण की शक्ति जानता था। इसलिए उसने
शिव ने दिया वरदान
तब शिव ने मंत्रों से एक भयंकर कृत्या बनाई और उसे देते हुए बोले-“वत्स! तुम इसे जिस दिशा में जाने का आदेश दोगे यह उसी दिशा में स्थित
कृत्या नाम की राक्षसी का वध
इधर, दुष्ट कालयवन का वध करने के बाद श्रीकृष्ण सभी मथुरावासियों को लेकर द्वारिका आ गए थे। काशीराज ने श्रीकृष्ण का वध करने के
सुदर्शन चक्र से हुआ वध
सुदर्शन चक्र भी उसका पीछा करने लगा। काशी पहुँचकर सुदर्शन ने कृत्या को भस्म कर दिया। किंतु फिर भी उसका क्रोध शांत नहीं हुआ
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