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जब एम्स के डॉक्टरों ने वाजपेयी जी को जेल जाने से बचा लिया था, पढिये दिलचस्प किस्सा

26 जून की सुबह करीब 8 बजे थे, आडवाणी जी ने वाजपेयी जी का दरवाजा खटखटाया, उन्होने हड़बड़ाहट में दरवाजा खोला, तो आडवाणी जी ने उन्हें बताया कि देश में इमरजेंसी लग चुकी है।

New Delhi, Aug 17 : 25 जून 1975 की तारीख, तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में इमरजेंसी की घोषणा कर दी थी, हर तरफ विपक्षी और विरोध करने वाले नेताओं की धर-पकड़ हो रही थी। अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए थे, जिसके बाद तय किया गया, कि उन्हें भी गिरफ्तार किया जाए। जब इंदिरा ने इमरजेंसी की घोषणा की थी, तब वाजपेयी बंगलुरु में अपने साथी लाल कृष्ण आडवाणी के साथ थे।

अटल जी ने कहा हम गिरफ्तारी देंगे
26 जून की सुबह करीब 8 बजे थे, आडवाणी जी ने अटल जी का दरवाजा खटखटाया, उन्होने हड़बड़ाहट में दरवाजा खोला, तो आडवाणी जी ने उन्हें बताया कि देश में इमरजेंसी लग चुकी है, इसके साथ ही उन्होने ये भी बताया कि किस तरह जेपी समेत तमाम नेताओं को कैद कर लिया गया है। लाल कृष्ण आडवाणी बताये जा रहे थे और वाजपेयी जी के चेहरे पर संतुष्टि का भाव था। जब आडवाणी ने अपनी बात खत्म की, तो वाजपेयी जी ने कहा कि हम गिरफ्तारी देंगे।

नाश्ता करने के बाद हो गये गिरफ्तार
वाजपेयी उस समय जगे ही थे, सो नित्य क्रिया क्रम से निवृत हुए, फिर नाश्ता करने पहुंचे, तो वहां आडवाणी जी पहले से नाश्ता कर रहे थे। तभी उन्हें सूचना दी गई कि बाहर पुलिस खड़ी है, दोनों ने नाश्ता करने के बाद गिरफ्तारी दी। तब दोनों को बंगलुरु के सेंट्रल जेल में रखा गया था, जेल में रहने के दौरान ही अटल जी को पीठ में भयंकर दर्द शुरु हो गया था, साथ ही उनके पेट में भी संक्रमण हो गया था, जेल में उनका इलाज जारी था, लेकिन उनके पीठ का दर्द ठीक होने का नाम नहीं ले रहा है।

एम्स लाया गया था
कुछ दिनों बाद पता चला कि उन्हें स्लिप डिस्क हो गई है, बीमारी की वजह से उन्हें दिल्ली के उनके घर में शिफ्ट कर दिया गया, जहां उन्हें हाउस अरेस्ट यानी नजरबंद थे। हाउस अरेस्ट होने की वजह से उनकी बीमारी और ज्यादा बढने लगी, जिसके बाद सरकार को मजबूरी में उन्हें ऑल इंडिया ऑफ मेडिकल साइंसेज यानी एम्स अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा, जहां पर उनकी ऑपरेशन किया गया, एम्स में रहने के दौरान तमाम डॉक्टर वाजपेयी जी के मुरीद बन गये थे, जैसे-जैसे उनका स्वास्थ्य ठीक हो रहा था, वैसे-वैसे उनके ऊपर दोबारा जेल जाने की तलवार लटक रही थी।

डॉक्टरों ने डिस्चार्ज करने में देरी की
किंगसुक नाग की किताब के अनुसार इलाज के दौरान वाजपेयी जी डॉक्टरों से इतने घुल-मिल गये थे, कि डॉक्टर जान-बूझकर उन्हें डिस्चार्ज नहीं कर रहे थे, डॉक्टर लगातार ये हवाला दे रहे थे कि अभी उनकी स्थिति घर जाने लायक नहीं है, इसलिये उन्हें अस्पताल में ही रहने दिया जाए। दरअसल कहा जा रहा है कि डॉक्टर नहीं चाहते थे कि वाजपेयी जी को फिर से जाकर जेल में रहना पड़े।

IBNNews Network

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