New Delhi, Sep 23 : चुनावी रणनीति बनाने का काम छोड़कर प्रशांत किशोर अब जदयू में शामिल हो चुके हैं, नीतीश कुमार ने उन्हें पार्टी में शामिल करवाते हुए दो बातें कही थी, पहला कि वो भविष्य हैं, और दूसरा ये कि पीके का पार्टी में शामिल होना मेरी व्यक्तिगत खुशी है। इन दोनों बयानों के कई सियासी मायने निकाले गये हैं, पीके ऐसे समय में जदयू से जुड़े हैं, जब नीतीश कुमार कई मोर्चों पर घिरे हैं, वो उन्हें इस मुश्किल से निकालने का काम कर सकते हैं, इसके साथ ही बीजेपी के साथ गठबंधन में उन्हें वही रुतबा दिला सकते हैं, जो आज से करीब 5 साल पहले था। आइये आपको बताते हैं कि पीके कैसे नीतीश के लिये फायदेमंद होंगे।
नये चेहरे और आइडिया की जरुरत
बिहार में नीतीश कुमार की सुशासन वाली छवि अब सवालों के घेरे में है, तेजस्वी यादव लगातार हमलावर हैं, शराबबंदी जैसे मामले में भी नीतीश के तेवर ठंडे पड़ गये हैं,
दूसरे दलों में पहुंच
प्रशांत किशोर के रुप में नीतीश कुमार को एक ऐसा दूत मिल गया है, जिसकी पहुंच तमाम राजनीतिक दलों के शीर्ष पर बैठे नेताओं के साथ भी है।
युवा ब्राह्मण चेहरा
राजनीतिक एक्सपर्ट्स का मानना है कि 41 वर्षीय प्रशांत किशोर को ब्राह्णण होना भी नीतीश के सोशल इंजीनियरिंग का हिस्सा हो सकता है,
लोकसभा चुनाव में लिटमस टेस्ट
2019 लोकसभा चुनाव में पीके पटना में बैठ पूरे बिहार पर नजर रखेंगे, कहा जा रहा है कि वो खुद बक्सर से चुनाव लड़ेंगे।
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