New Delhi, Apr 09: बीजापुर में कोबरा कमांडो राकेश्वर सिंह मिन्हास को नक्सलियों के कब्जे से रिहा कराने में 90 बरस के स्वतंत्रता सेनानी धर्मपाल सैनी की बड़ी भूमिका मानी जा रही है । विनोबा भावे के शिष्य रहे सैनी को जनहित के कामों की वजह से बस्तर का गांधी भी कहा जाता है, स्थानीय लोग उन्हें प्यार और सम्मान से ताऊजी भी कहते हैं । जानें कैसे इन्होंने नक्सलियों से मध्यस्थता कर कोबरा कमांडों को सकुशल उनके घर पहुंचाया ।
घर लौटा कोबरा कमांडो
छत्तीसगढ़ के बीजापुर में सीमा पर 3 अप्रैल को
बस्तर से खास रिश्ता
धर्मपाल सैनी, बस्तर के गांधी यूं ही नहीं कहलाते । इसके पीछे उनका अथक परिश्रम है । जिसकी शुरुआत साठ के दशक से शुरू होती है । सैनी बताते हैं कि उस दौरान उन्होंने बस्तर से जुड़ी एक खबर पढ़ी थी, जिसमें लड़कियों ने छेड़छाड़ करने वालों का जमकर मुकाबला किया था । उस समय वे विनोबा भावे के शिष्य हुआ करते थे । बस्तर के ऊर्जावन युवा शक्ति के लिए काम करने की इच्छा मन में लेकर उन्होंने अपने गुरु से
बच्चों को खेल की दी ट्रेनिंग
मध्यप्रदेश के धार जिले के धर्मपाल सैनी ने आगरा
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