New Delhi, Oct 20 : बदहवास सी एक मां अपने बेटे की तस्वीर हाथ में लिए अमृतसर के पास जोड़ा फाटक के रेलवे ट्रैक पर उसे तलाश रही है तो वहीं एक शख्स अपने बीवी बच्चों की मौत पर मातम कर रहा है । कोई परिवार अपनों की तलाश में लगा हुआ है तो कोई अस्पताल के चक्कर काट रहा है । शुक्रवार शाम हुए इस भीषण रेल हादसे को क्या रोका जा सकता था । क्या इतनी मौतों की होनी टाली जा सकती थी । शायद जवाब हां है, आगे पढ़ें ।
हादसे से पहले भी गुजरी थी ट्रेन
हादसे की जबह पर मौजूद एक चश्मदीद के मुताबिक हादसे के पहले उसी जौड़ा फाटक से 2 अन्य ट्रेनें भी गुजरीं थीं । तब भीड़ कम थी और
ट्रेन का हॉर्न नहीं सुन पाए लोग
रेलवे ट्रैक पर उस वक्त हजार के करीब लोग मौजूद थे । सभी रावण दहन को दूर से देख रहे थे, लोग मोबाइल पर इसका वीडियो ले रहे थे ।
20 सालों से हो रहा है ये आयोजन
जिस जगह ये हादसा हुआ वो बहुत ही भीड़ भाड़ भरा इलाका है । यहां पिछले 20 से भी ज्यादा वर्षों से ये आयोजन होता आया है । दशहरे के
लापरवाही ने ले ली जान !
हादसे की जिम्मेदारी किसकी है, स्थानीय प्रशासन की, रेलवे की या स्थानीय लोगों की । इस सवाल का जवाब शायद लोगों के पास भी बखूबी है
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