बच सकती थी कई लोगों की जान, हादसे से पहले मौत ने दो बार दी थी चेतावनी, तब भी नहीं समझे लोग

शुक्रवार शाम गूंजी चीख पुकारों ने अमृतसर को ही नहीं पूरे देश को दहला दिया । ऐसा खौफनाक हादसा इतिहास में शायद ही कभी किसी ने देखा हो । लेकिन ये हादसा टल सकता था, अगर लापरवाही ना बरती जाती तो ।

New Delhi, Oct 20 : बदहवास सी एक मां अपने बेटे की तस्‍वीर हाथ में लिए अमृतसर के पास जोड़ा फाटक के रेलवे ट्रैक पर उसे तलाश रही है तो वहीं एक शख्‍स अपने बीवी बच्‍चों की मौत पर मातम कर रहा है । कोई परिवार अपनों की तलाश में लगा हुआ है तो कोई अस्‍पताल के चक्‍कर काट रहा है । शुक्रवार शाम हुए इस भीषण रेल हादसे को क्‍या रोका जा सकता था । क्‍या इतनी मौतों की होनी टाली जा सकती थी । शायद जवाब हां है, आगे पढ़ें ।

हादसे से पहले भी गुजरी थी ट्रेन
हादसे की जबह पर मौजूद एक चश्मदीद के मुताबिक हादसे के पहले उसी जौड़ा फाटक से 2 अन्‍य ट्रेनें भी गुजरीं थीं । तब भीड़ कम थी और रोशनी भी थी । जिसकी वजह से लोग ट्रैक से हट गए लेकिन जब दूसरी बार ट्रेन आई तो रावण धूं-धूं कर जल रहा था, पटाखों के शोर में लोग ट्रेन का हॉर्न ही नहीं सुन पाए । डेमू ट्रेन के आने का एहसास जब तक लोगों को हुआ तब तक ट्रेन सैंकड़ों को कुचलकर वहां से गुजर चुकी थी ।

ट्रेन का हॉर्न नहीं सुन पाए लोग
रेलवे ट्रैक पर उस वक्‍त हजार के करीब लोग मौजूद थे । सभी रावण दहन को दूर से देख रहे थे, लोग मोबाइल पर इसका वीडियो ले रहे थे । कई बेखबर थे इस बात से कि वो ठीक ट्रैक पर ही खड़ें हैं । इसी बीच आई तेज रफ्तार डेमू ने लोगों को संभलने का मौका ही नहीं दिया । चश्‍मदीदों के मुताबिक वहां मौजूद लोग ट्रेन का हॉर्न नहीं सुन पाए, इससे पहले गुजरी ट्रेनों की गति भी कम थी । लोगों को ट्रेन से हटने का मौका मिल पाया था लेकिन जिस ट्रेन ने हादसे को अंजाम दिया वो बहुत तेज स्‍पीड में थी ।

20 सालों से हो रहा है ये आयोजन
जिस जगह ये हादसा हुआ वो बहुत ही भीड़ भाड़ भरा इलाका है । यहां पिछले 20 से भी ज्‍यादा वर्षों से ये आयोजन होता आया है । दशहरे के मौके पर यहां हर साल लोग आते रहे हैं और जुटते रहे हैं । ये कार्यक्रम रेलवे पटरियों से महज 50 मीटर दूर जौड़ा फाटक पर खाली पड़े मैदान में होता आया है । इससे पहले ऐसी कोई भी घटना नहीं हुई है । ये पहला मौका है जब इतना बड़ा हादसा इस इलाके में में रेल की वजह से हो गया है ।

लापरवाही ने ले ली जान !
हादसे की जिम्‍मेदारी किसकी है, स्‍थानीय प्रशासन की, रेलवे की या स्‍थानीय लोगों की । इस सवाल का जवाब शायद लोगों के पास भी बखूबी है । ये जानते हुए भी कि ट्रैक पर लगातार ट्रेन की आवाजाही है और इस पर मौजूद रहना जान को खतरे में डालने जैसा है बावजूद इसके लोगों को वहां बड़ी संख्‍या में मौजूद होना बड़ी लापरवाही ही कही जा सकती है । वो प्रशासन भी जिम्‍मेदार है जो लोगों की भीड़ के लिए पहले से तैयार नहीं था ।