New Delhi, Jul 19 : आईपीसी की धारा 377 को लेकर इन दिनों पूरे देश में चर्चा हो रही है, आपको बता दें कि बीते मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने इसके प्रावधानों को क्राइम की श्रेणी से बाहर किये जाने से जुड़ी याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रखा है। एक दिन बाद ही इससे जुड़ा मामला सामने आया है। एक महिला ने अपने पति पर सनसनीखेज आरोप लगाया है कि महिला के आरोप के बाद कोर्ट ने आरोपी पति को नोटिस जारी किया है।
क्या है महिला का आरोप ?
सुप्रीम कोर्ट में एक महिला ने शिकायत दी है कि शादी के चार सालों के दौरान उसके पति ने उसके साथ जबरदस्ती अप्राकृतिक मौखिक सेक्स किया।
महिला के वकील ने दी दलील
पीड़ित की इस याचिका से धारा 377 के प्रावधानों को अपराध ना माने जाने में उलझन होगी, पीड़िता की ओर से एडवोकेट अपर्णा भट्ट ने कोर्ट में दलील दी कि
कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा
सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने मंगलवार को धारा 377 से जुड़ीं याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुनवाई के दौरान ही बेंच के सदस्य जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि
पति मजबूर करता था
पीड़िता ने कोर्ट में बचाया कि उसकी शादी साल 2014 में हुई थी, जबकि उसकी सगाई साल 2002 में ही हो गई थी, तब वो सिर्फ 15 साल की थी।
हाईकोर्ट ने किया था खारिज
महिला की याचिका पर गुजरात हाईकोर्ट ने मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि धारा 375 के तहत वैवाहिक बलात्कार का कोई प्रावधान नहीं है।
क्या है आईपीसी धारा 377 ?
भारतीय दंड संहिता में समलैंगिकता को अपराध बताया गया है। आईपीसी की धारा 377 के अनुसार अगर कोई भी पुरुष महिला या पशु के साथ प्रकृति की व्यवस्था के खिलाफ सेक्स करता है,
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