New Delhi, Sep 10 : वास्तु शास्त्र के मुताबिक पूर्व और उत्तर दिशा का जहां मिलन होता है, उस स्थान को ईशान कोण कहा जाता है, भगवान शिव का एक नाम ईशान भी है, चूंकि भगवान शिव का आधिपत्य उत्तर-पूर्व दिशा में होता है, इसलिये इसका ये नाम है। आपको बता दें कि इस दिशा के स्वामी ग्रह वृहस्पति और केतू माने जाते हैं, सभी दिशाओं में इसे सबसे उत्तम दिशा माना जाता है। घर का ये हिस्सा सबसे पवित्र होता है।
ईशान कोण
पूरब और उत्तर दिशा के मिलन में सभी देवी-देवताओं का वास होता है, यही वजह है कि इस दिशा को सबसे शुभ माना जाता है। इसे साफ, स्वच्छ और खाली रखना चाहिये।
ये नहीं होना चाहिये ईशान कोण में
इस स्थान पर कूड़ा-कचरा नहीं होना चाहिये, नहीं तो आपको कामकाज में रुकावटें आएगी। गलती से भी इस दिशा में स्टोर रुम या टॉयलेट ना बनवाएं,
लोहे की चीज ना रखें
वास्तु शास्त्र के अनुसार लोहे की कोई भी भारी चीज इस दिशा में नहीं होना चाहिये। कोई नुकीली चीज या झाड़ू भी नहीं रखना चाहिये, नहीं तो धन हानि होती है, इसलिये इस बात का ध्यान रखें।
ईशान कोण देता है तरक्की
अपने घर या ऑफिस के ईशान कोण में देवी और देवताओं की तस्वीर या मूर्ति लगा रोज पूजा करें। इस हिस्से की नियमित तौर पर साफ-सफाई करते रहे,
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