प्रभात डबराल

‘देशद्रोही शब्द इतनी आसानी से इस्तेमाल किया जा रहा है, कि ये अपना मतलब ही खो रहा है’

जिन्होंने आज़ादी के आंदोलन में कोई योगदान नहीं किया, जो मुखबिरों की विरासत के लोग हैं वो आज बाकी सब…

6 years ago

‘विरोधी स्वर की सुरक्षा और सम्मान लोकतंत्र की पहली और सबसे ज़रूरी शर्त है’

इन घटनाओं की पृष्ठभूमि में इमरजेंसी में जो हुआ उस पर विचार कीजिये. किस तरह विरोध का स्वर उठाने वाले…

6 years ago

‘मोदी जी को मैंने पहली बार डिफेंसिव खेलते हुए देखा, और मुझे वो राहुल द्रविड़ नहीं लगे’

२०१४ और २०१९ का सबसे बड़ा कॉमन फैक्टर ये है कि बीजेपी तब भी मोदी और सिर्फ मोदी थी और…

6 years ago