चाहे वामपंथी पत्रकार हों या दक्षिणपंथी पत्रकार, कांग्रेसी पत्रकार हों या गैर-कांग्रेसी पत्रकार- ज़्यादातर वे समझौते करते हैं इस पेशे में व्याप्त अनिश्चितता और असुरक्षा…
वैसे तो रोज़ चिल्लाते थे। उठिए! बोलिये! सच सामने लाइये! चुप रहना अन्याय है! अपनी आवाज़ उठाइये! क्रांति कीजिए! क्रांतिकारी होइए! बहुत क्रांतिकारी होइए! अब…