वायरल

सच के शोरूम के “सबसे महंगे आइटम” पीपी वाजपेयी जी खामोश क्यों हैं?

वैसे तो रोज़ चिल्लाते थे। उठिए! बोलिये! सच सामने लाइये! चुप रहना अन्याय है! अपनी आवाज़ उठाइये! क्रांति कीजिए! क्रांतिकारी होइए! बहुत क्रांतिकारी होइए! अब क्या हुआ?

New Delhi, Aug 10 : वाकई बहुत बड़ा अन्याय किया इस सरकार ने। बताइये पाप प्रसून वाजपेयी जी को नौकरी से निकलवा दिया। माफ कीजिएगा। हाथ मलते हुए लिखने की कोशिश कर रहा था कि पुण्य पाप में बदल गया!!! खैर सरकार पर आते हैं। वाकई बहुत बुरा किया सरकार ने इनके साथ।
इनके समर्थक फ़ेसबुक पर यूं दहाड़ मारकर रो रहे हैं कि मार्क जुकरबर्ग के खानदान समेत डूब जाने का खतरा पैदा हो गया है। पर मुझे एक बात समझ नही आ रही। आखिर सच के शोरूम के “सबसे महंगे आइटम” पीपी वाजपेयी जी खामोश क्यों हैं?

अरे भई ये कैसा इंसाफ है कि सरकार ने उनके साथ दफा 376 दोहरा दी और उनकी “उफ” तक नही निकल रही। माना सरकार एबीपी न्यूज़ की गर्दन पर सवार हो गयी थी कि उन्हें निकालो वरना हम गए। ये भी मान लिया कि उनके सबसे नीची रेटिंग वाले “मास्टरस्ट्रोक” से संसद में अविश्वास प्रस्ताव आए बगैर ही ये सरकार गिर जाती। जी हाँ, ये भी मान लिया। अब अगर यही सोच सोचकर वाजपेयी जी के समर्थकों के मुंह में गुलगुले फूट रहे हैं तो चलो मान लिया, यही सच है। फिर भी सवाल वही है? आखिर वाजपेयी जी कहां हैं? क्या हुआ उनके फ़ेसबुक एकाउंट को? कहां गया उनका ट्विटर खाता? क्या इन पर भी सरकार ने हैरीसन कम्पनी के ताले ठोंक दिए हैं कि यहां भी कुछ लिखा नही जा रहा उनसे? उन्हें सरकार ने निकलवा दिया, ये बात वे क्यों नही कह पा रहे? क्या मसूड़ों में पायरिया हो गया है? क्या मुंह के भीतर मदर डेयरी कंपनी वालों ने दही जमा दी है? क्या किसी ने कनपटी पर तमंचा सटा दिया है? क्यों खामोश हैं वाजपेयी जी? कहीं आईबी और रॉ ने मिलकर तो नही उठा लिया? बड़े महत्वपूर्ण आदमी हैं वो। हो सकता है इसीलिए देश की दो सर्वोच्च खुफिया एजेंसियां खाना पीना भूलकर उनके पीछे पड़ गयी हों।

वैसे तो रोज़ चिल्लाते थे। उठिए! बोलिये! सच सामने लाइये! चुप रहना अन्याय है! अपनी आवाज़ उठाइये! क्रांति कीजिए! क्रांतिकारी होइए! बहुत क्रांतिकारी होइए! अब क्या हुआ? इतना सन्नाटा क्यों है भाई? अगली नौकरी का डर सता रहा है वाजपेयी जी? हर महीने खाते में गिर रही लाखों की सैलरी कानो में सांय-सांय बनकर गूंज रही है क्या? कहां घुस गई आपकी सारी क्रांतिकारिता? कहीं सहारा श्री के पास फिर तो नही पहुंच गए “सहारा प्रणाम” गिड़गिड़ाने? आपके नाम पर जो आपके तमाम चम्पू कुआं खोदे पड़े हुए हैं, उनका क्या होगा? ये तो वही हो गया न कि मुद्दई सुस्त और गवाह चुस्त!

पत्रकारिता के इस झकझोरी कांड (माफ कीजिएगा, काकोरी कांड लिखना चाह रहा था पर हाथ मलते हुए लिखने की कोशिश में कुछ और ही लिख गया)। हां, तो इस झकझोरी कांड के एक और अमर सेनानी अभिसार शर्मा भी मुंह मे मट्ठा डालकर खामोश हैं!! इन्हें क्या हुआ है? क्या इनके भी ट्विटर और फ़ेसबुक पर सरकार ने बांगुर सीमेंट की दीवार चुनवा दी है। जंतर मंतर ही चले जाते। सुप्रीम कोर्ट ने वहां धरने प्रदर्शन की आज़ादी बहाल कर दी है। आप भी कम से कम अपने मुंह से एक बार तो कह दीजिये कि सरकार के चलते निकाले गए हैं। आपकी और सरकार की खुंदक तो जगजाहिर है भाई। आपकी इनकम टैक्स कमिश्नर पत्नी के खिलाफ एनडीटीवी को अनुचित फायदा पहुंचाने के मामले सबूत सहित अंजाम तक पहुंच रहे हैं। फिर भी ये चुप्पी? हुआ क्या है? क्या सच बोलने का साहस नही हो रहा है? या झूठ बोलने पर भंडाफोड़ की चिंता सता रही है? वो जो गलत खबर वाला और खबर में एजेंडे की मिक्सिंग वाला दबा हुआ मामला है, वो कहीं सामने न आ जाए। बहुत बड़ा डर है न!

और इन सबके आका रवीश पांडे!! वो क्या कर रहे हैं? माना कि उन्होंने आने सगे कांग्रेसी भाई के दलित लड़की के उत्पीड़न वाली खबर नही चलाई थी। माना कि उनका पूरा निजी नेटवर्क उस बेचारी लड़की को ही चरित्रहीन साबित करने में जुट गया था। माना कि ईमानदारी की बड़ी बड़ी बातें बतियाते हुए वे कांग्रेस के ज़माने से खुली हुई एनडीटीवी की मनी लॉन्ड्रिंग वाली जांच पर सन्नाटा काट जाते रहे हैं पर ये वाली खबर तो वे चला ही सकते थे। ये तो उन्हें शूट करती है। फिर क्यों नही अपने प्राइम टाइम मे इन बेचारे सरकार के मारों को बिठाकर दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया! सरकार ने रोक लिया था क्या? वही बता देते। कम से कम शो में आकर ये दोनों शहीद रूहें बताती तो कि उस रोज हुआ क्या था? कहीं रवीश पांडे के शो का एजेंडा भी साउथ ब्लॉक से तो नही तय हो रहा?
दरअसल सच वही है जो दुष्यंत कुमार सालों पहले बता गए-

“गज़ब है सच को सच कहते नही वो
कुरान-ओ-उपनिषद खोले हुए है।”
कहानी बस इतनी सी है कि हाथी रूपी अश्वत्थामा की मृत्यु के उदघोष का कपट रचने वाले झूठ के इन युधिष्ठरों को पता है कि महाभारत अब खत्म हो चला है। चैनल को ऊंची रेटिंग दिलाने के जिस सब्ज़बाग के दम पर इन्होंने करोड़ों की सैलरी वाले पैकेज हथिया लिए थे, वो गुब्बारा फट चुका है। अब योग्यता के फ़टे टेंटों वाले शिविरों में लौट जाने की बेला आ चुकी है। सूरज डूब चुका है। सो एक रहस्यमयी चुप्पी साध लो। इसी बहाने वामपंथ के दगे चुके हरकारों को सोशल मीडिया पर “चिल्ल पों” करने का रोज़गार मिल जाएगा और करोड़ों के पैकेज वाली अगली “कार्पोरेटी दुकान” की तलाश में भी आंच नही आएगी।

अथ श्री महाभारत कथा!

(टीवी पत्रकार अभिषेक उपाध्याय के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)
IBNNews Network

Recent Posts

निवेशकों को मालामाल कर रहा ये शेयर, एक साल में 21 हजार फीसदी से ज्यादा रिटर्न

कैसर कॉरपोरेशन लिमिटेड के शेयर प्राइस पैटर्न के अनुसार अगर किसी निवेशक के इस शेयर…

2 years ago

500 एनकाउंटर, 192 करोड़ की संपत्ति जब्त, योगी कार्यकाल के 100 दिन के आंकड़ें चौंकाने वाले

दूसरे कार्यकाल में यूपी पुलिस ने माफिया को चिन्हित करने की संख्या भी बढा दी,…

2 years ago

गोवा में पति संग छुट्टियां मना रही IAS टॉपर टीना डाबी, एक-एक तस्वीर पर प्यार लूटा रहे लोग

प्रदीप गवांडे राजस्थान पुरातत्व विभाग में डायरेक्टर हैं, वहीं टीना डाबी राजस्थान सरकार में संयुक्त…

2 years ago

5 जुलाई, मंगलवार का राशिफल: धैर्य से काम लें मकर राशि के जातक, बनता काम बिगड़ जाएगा

आय के नए रास्‍ते खुल रहे हैं, अवसर का लाभ उठाएं ।मित्रों और सगे- सम्बंधियों…

2 years ago

बोल्ड ड्रेस में लेट गई आश्रम की बबीता, खूब पसंद की जा रही तस्वीरें

इस तस्वीर में त्रिधा चौधरी ब्रालेस तो है, ही साथ ही बोल्ड कपड़े पहने नजर…

2 years ago

मलाइका से भी दो कदम आगे निकली अर्जुन कपूर की बहन, कैमरे के सामने उतार दिया ‘जरुरी कपड़ा’

अंशुला के इस वीडियो में आप देख सकते हैं कि वो अपनी वन पीस ड्रेस…

2 years ago