New Delhi, Sep 06 : लोकसभा चुनान में अब सात-आठ महीने का समय रह गया है, बीजेपी और कांग्रेस समेत तमाम राजनीतिक दलों ने तैयारी शुरु कर दी है, टीवी चैनलों पर भी कई ओपिनियन पोल प्रसारित हो चुके हैं, जिसमें ये बताने की कोशिश की गई है कि पीएम मोदी की लोकप्रियता में कमी आई है या नहीं ? इसके अलावा 2019 में भी 2014 जैसी बंपर जीत बीजेपी को मिलेगी या नहीं, 2014 में बीजेपी को समाज के लगभग सभी वर्गो ने सपोर्ट किया था, लेकिन हालिया कुछ सर्वे आये है, जिससे निश्चित रुप से मोदी सरकार की बेचैन बढ सकती है। सीएसडीएस-लोकनीति के सर्वे के अनुसार 2019 में सिर्फ 22 फीसदी एससी-एसटी वर्ग के वोटरों को समर्थन मिलेगा, जबकि जनवरी 2018 में ये आंकड़ा 30 फीसदी था, यानी सात महीने में 8 फीसदी की कमी आई है। इसी तरह 24 फीसदी किसानों ने बीजेपी को अपनी पसंद बताया है, जबकि पहले ये 49 फीसदी था।
बीजेपी के खिलाफ बढ रहा है असंतोष
सीएसडीएस के सर्वे के अनुसार 61 फीसदी लोगों ने माना, कि सरकार महंगाई पर लगाम लगाने में विफल रही है, जबकि 55 फीसदी लोगों का मानना है कि
राजनीतिक गठजोड़ बड़ी चुनौती
पिछले एक साल में देश में सामाजिक-राजनीतिक समीकरण का तेजी से बदलाव हुआ है, जहां एक तरफ एनडीए का कुनबा सिकुड़ा है,
कर्नाटक-महाराष्ट्र में मिलेगी चुनौती
बिहार में लोकसभा की 40 सीटें है, पिछली बार 22 सीटें अकेले बीजेपी जीती थी, जबकि 9 सहयोगी दल अपने नाम करने में सफल रहे थे,
दक्षिण भारत में मिलेगी चुनौती
दक्षिण भारत के राज्यों केरल, तमिलनाडु, पुद्दुचेरी, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में लोकसभा की 102 सीटें है, लेकिन बीजेपी यहां सिर्फ 4 सीटें जीत पाई थी,
पश्चिम बंगाल में चुनौती
पूर्वोत्तर के राज्यों में खासकर असम में बीजेपी का ग्राफ बढा है, 2014 में पश्चिम बंगाल में बीजेपी ने 2 सीटें हासिल की थी,
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