New Delhi, Oct 29 : 2019 लोकसभा चुनाव के लिये बिहार में बीजेपी-जदयू के बीच बराबर सीटों पर चुनाव लड़ने की सहमति बन चुकी है, लंबे समय से एनडीए में सीट बंटवारे को लेकर चर्चा तल रही थी, खुद नीतीश कुमार अमित शाह से लेकर पीएम मोदी तक से इस बारे में बात कर चुके थे, अब जाकर दोनों दलों के बीच सहमति बन चुकी हैं। बराबर सीटों को राजनीतिक समीक्षक नीतीश कुमार की जीत कह रहे हैं। लेकिन इसके पीछे भी बीजेपी की खास रणनीति हैं, आखिर क्यों अमित शाह ने 22 सांसद वाली पार्टी के बराबर 2 सांसद वाले पार्टी को खड़ा होने दिया।
अमित शाह क्यों हुए मेहरबान ?
2014 लोकसभा चुनाव में बिहार में बीजेपी 29 सीटों पर चुनाव लड़ी थी, जिसमें 22 पर जीत हासिल हुई थी, लेकिन इस बार 16 या 17 सीटों पर बीजेपी क्यों मान गई,
खास रणनीति पर काम
केन्द्र में सरकार होने के साथ ही 20 प्रदेशों में बीजेपी की सरकार है, गुजरात जहां से मोदी और अमित शाह आते हैं, वहां भी सत्ता हासिल करने के लिये बीजेपी को खूब मेहनत करनी पड़ी थी।
नीतीश पीके के भरोसे बिहार
खास रणनीति के तहत अमित शाह और मोदी चाहते हैं, कि बिहार की 40 सीटों की जिम्मेदारी नीतीश और पीके संभालें, दोनों की काबिलियत और क्षमता से शाह अवगत हैं,
बिहार- यूपी पर नजर
बिहार यूपी में लोकसभा की 120 सीटें हैं, पिछली बार बीजेपी 103 सीटें मिली थी, यूपी में सपा, बसपा और रालोद का महागठबंधन होने की उम्मीद है, अगर ये महागठबंधन हुआ,
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