New Delhi, Sep 21 : अगली सरकार भाजपा की बनेगी या विरोधियों की, यह तय करने में सबसे बड़ी भूमिका यदि किसी की होगी तो वह उत्तरप्रदेश की होगी। यदि उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का गठबंधन बन जाए तो 2019 के चुनाव में भाजपा अपने आप अल्पमत में आ सकती है। इन तीनों पार्टियों ने मिलकर 50 प्रतिशत से भी अधिक वोट जुटा लिये थे, अपनी करारी हार के बावजूद ! जबकि लहर पर सवार होने के बावजूद भाजपा को 43 प्रतिशत वोट ही मिले थे।
विधानसभा चुनाव में अपूर्व विजय पाने के बाद भी कुछ महिनों में ही लोकसभा के उप-चुनाव में भाजपा ने चारों सीटें खो दीं, क्योंकि विरोधी एकजुट हो गए थे।
भाजपा गदगद है। मायावती ने 80 में से 40 सीटें मांगी हैं जबकि 2014 में वे एक भी सीट नहीं जीत पाई थीं। बसपा को 20 प्रतिशत वोट जरुर मिले थे लेकिन इस बार 20 प्रतिशत मिलना भी जरा मुश्किल है।
मायावती की माया उप्र के बाहर भी कारगर है। हिंदी प्रांतों के दलितों में उनका जादू बरकरार है, हालांकि युवा दलित नेता चंद्रशेखर अपनी भीम आर्मी को बसपा से भिड़ाने पर आमादा हैं।
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