New Delhi, Aug 06 : चलिए पाप प्रसून ने सफाई दे दी कि उन्हें चैनल से बदर क्यो किया गया । उनके हिसाब से वे पत्रकारिता के भीष्म पितामह गणेश शंकर विद्यार्थी के वारिस हैं जिन्हें सत्ता के लोग प्रताड़ित कर रहे हैं। उनकी पत्रकारिता से सत्ता की चूले हिल गयी है । पत्रकारिता और पत्रकार के लिए यह सबसे खराब समय चल रहा है क्योंकि रविश ,पाप प्रसून ,अभिसार जैसे पत्रकारिता के स्तंभ पर हमले हो रहे हैं। एक मुट्ठीभर पत्रकार देश मे क्रांति लाना चाहते हैं लेकिन बाकी गोदी और मोदी मीडिया है जो भक्ति में लीन है।
वाह रे भंजपाइ साहेब ! मैं जानता हूँ आपकी हक़ीक़त। हाथ रगड़ने से आपके हाथ की गंदगी साफ नही होगी। ‘ आज तक ‘ ने मेहरबानी की थी कि दुबारा आपको नौकरी पर रख लिया था लेकिन ‘ आज तक ‘ के बाकी पत्रकारों के साथ आपका रवैया क्या था मुझे पता है। आप इतने अहंकारी , अभिमानी ,कमअक्ल , घमंडी और एक खास वर्ग की चापलूसी में तल्लीन थे कि आपको आदमी आदमी नजर नही आता था। दो चार तकिया कलाम के भरोसे आपकी पत्रकारिता चल रही थी । आपके लिए एक नए प्रोड्यूसर ने स्क्रिप्ट क्या लिख दी आप हत्थे से उखाड़ गए थे — तुम्हारी इतनी औकात नही हुई है कि मेरे लिए स्क्रिप्ट लिखो । – यही कहा था न आपने ? एक साहित्यकार ,पत्रकार महिला ने आपसे बात करनी चाही तो अपने दुत्कारते हुए कहा था – आप कौन है जो मैं आपसे बात करूं। , रांची में एक बच्चे ने ऑटोग्राफ मांगा तो भड़क गए – मैं ऑटोग्राफ नही देता हूँ । पहली बार मुझसे भी भेंट हुई तो मेरा भी यही अनुभव था । मुफ्त के गेस्ट हाउस में रुके थे रांची में ।
किसी ने कहा कि ये इंडिया टीवी के ब्यूरो चीफ है। अपने हाथ मिलाना तो दूर मेरी ओर देखना भी गवारा नही किया। आपके हिसाब से जो दिल्ली में रहकर पत्रकारिता करता है वही बड़ा पत्रकार होता है बाकी तो पेटपोसुआ। झारखंड में पशु गणना हुई थी तो यह बात सामने आई थी कि सबसे अधिक गधे गोड्डा में हैं। लेकिन आप तो गोड्डा की धरती से पैर उठाते ही घोड़ा हो गए। जनाब इसी झारखंड में आइये , आप जैसे पत्रकारों को स्ट्रिंगर तक उठक बैठक न करा दे तो फिर । अखबारों में चेहरा देखकर उसके लेख छापे जाते है ।दो चार आर्टिकल छप गए तो आप खुद को सहित्याक्षर और इंकलाबी लेखक मानने लगे । सहारा समय मे लाइव शो में आपने खुद को पत्रकारिता के सुधारक की घोषणा की थी । जैसे बाकी पत्रकार टुटपुँजिये हैं और आप महाज्ञानी।बाद में सुब्रत राय ने लतियाया तो भाग खड़े हुए ।रामदेव जी से जिज़ तरह से आपने सवाल किए थे वह पत्रकार की गरिमा के अनुकूल थे क्या ?आप तो सीधे जज बनकर फैसला दे रहे थे क्योंकि कैमरा आपकी ओर मुखातिब था ।ऐसा ही अगर छोटे शहर के पत्रकार करते तो आप कहते पत्रकारिता के मूल सिद्धांतो को समझिए – यही कहा था न आपने रांची के एक होटल में हुए प्रवचन में।यह तो हुई आपके अहंकार के उदाहरण।
अब आपकी निष्ठा की बात । सत्तारूढ़ बीजेपी से आपको पोसाई नही पड़ता है तो कोई बात नही ।पत्रकारिता के लिए पोसाना भी सही बात नही ।लेकिन आप तो केजरीवाल के पोसित है ।कैसे चेहरा चमकाना है और और क्रांति कैसे लानी है यह तो आपके ही साथी कैमरामैन ने जगजाहिर कर दिया। अब बचा खुचा मास्टर स्ट्रोक ने बता दिया। सरकार की नीतियों पर सवाल उठना पत्रकार की जिम्मेवारी है लेकिन वीडियो को तोड़ मरोड़कर पेश करना अपन को भी आता है। शिबू सोरेन के एक बयान को काट छांटकर अपनी स्टोरी में घुसेड़ने की कोशिश मैंने भी की थी लेकिन प्रोड्यूसर ने उसे पकड़ लिया । मैंने माफी मांगी कि अपनी स्टोरी के लिए ऐसे गलत प्रयोग नही करूँगा ।आपका तो जन्म ही इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में हुआ ।आपको नही लगा कि गलत खबर देंगे तो पकड़े जाएंगे। आप भी कुछ नेताओं के हाथों का खिलौना भर है यह हमें भी पता है। और पत्रकार केवल सरकार बनाम खबर नही होता ।
उसके सरोकार समाज के हर वर्ग से अपने सहकर्मियों और दुश्मनों से भी होता है। लोग सोचते होंगे कि आप मोदी की शिकायत करते हैं तो बड़े पत्रकार है , कभी आपने डायन प्रथा ,तीन तलाक प्रथा , भ्रूण हत्या , महिला उत्पीड़न , घरेलू हिंसा , सामूहिक आत्महत्या जैसे विषयों को छुआ है जिसमे मोदी को गरियाने का स्पेस नही है। आप तो समझते हैं कि एकलौता रवीश कुमार विरोध का श्रेय क्यों ले जाये । इसलिए एबीपी के मालिक को आपने बताया कि बिना मोदी का नाम लिए मास्टर स्ट्रोक नही बनेगा। आपके ज्ञान की भी हमे थाह है। नए पत्रकार और मासूम जनता आपके ढोंग आपके स्वांग को नही समझती हो लेकिन मैंने सुफेद दाढ़ी इसी में पकाए हैं। ज्यादा उड़ियेगा तो गिरने का खतरा है।आप तो किस्मतवाले है कि कई बार चैनल बदर होकर भी ठौर पाते रहे हैं वरना यहां कौन किसको पूछता है। छह महीने ऐसे ही पड़े रहिये कुत्ता भी नही पूछेगा।
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