10 काम जिन्‍हें भगवान कभी माफ नहीं करते !

जीवन में कुछ कामों को पाप की श्रेणी में रखा गया है, कुछ गलत कार्यों को तो भूल समझकर क्षमा कर दिया जाता है लेकिन कुछ ऐसे अपराध भी होते हैं जो शास्‍त्रों में अक्षम्‍य माने गए हैं ।

New Delhi, Feb 07 : मनुष्‍य जीवन कर्मों का ताना बाना है, आप जैसा कर्म करेंगे आपको वैसे ही फल की प्राप्ति होगी । मनुष्‍य योनि में जन्‍मी जीवात्‍माओं के कर्मों को पाप और पुण्‍य की श्रेणी में रखा गया है । वो कर्म जिनसे किसी का नुकसान होता है वो पाप कर्म कहे जाते हैं और दूसरों की मदद के लिए किए गए कर्म पुण्‍य कर्म कहलाते हैं । व्‍यकित से कई बार कुछ गलतियां हो जाती हैं जिसकी क्षमा उसे ईश्‍वर से प्राप्‍त हो जाती है, लेकिन कई बार ऐसी गलतियां भी हो जाती हैं जो माफी के लायक नहीं होतीं । जानिए किन कर्मों को भगवान कभी माफ नहीं करते हैं ।

शिव पुराण के अनुसार ये 10 काम अक्षम्‍य हैं
हिंदू धर्म शास्‍त्रों में बड़े ही विस्‍तार से पाप और पुण्‍य कर्म की व्‍याख्‍या की गई है । इसी प्रकार शिव पुराण में भी कुछ काम बताए गए हैं जो भगवान भोलेनाथ को बिलकुल पसंद नहीं । मनुष्‍य यदि ये पाप कर्म करता है तो वो स्‍वयं भगवान शिव के कोप का भाजन बनता है और कभी सुखी जीवन व्‍यतीत नहीं कर पाता है ।  इन कर्मों के बारे में आप भी जानिए, अनजाने में हुई गलतियां कई बार अक्षम्‍य अपराध कहलाती हैं ।

सोच समझकर की गई गलती
यदि आप ईश्‍वर में विश्‍वास करते हैं तो ये भी जरूर मानते होंगे कि वो सभी जगह विद्यमान हैं । आपके मन-मस्तिष्‍क में चल रही हर छोटी बड़ी बात को वो भलि भांति जानते हैं । इसलिए यदि आपने किसी का सोच समझकर बुरा चाहा है, किसी के खिलाफ षडयंत्र रचा है , किसी के प्रति बुरे भाव रखे हैं तो यह एक ऐसा पाप है जिसे ईश्‍वर भी क्षमा नहीं कर सकता ।

दूसरे की पत्‍नी पर बुरी नजर रखना
किसी ऐसी स्‍त्री पर नजर रखना, उसे बुरी नजर से देखना या मन में उसे पाने की इचछा रखना जो पहले से ही शादीशुदा है ये भी पाप की श्रेणीMarried Women में आता है । ऐसे पुरुष को ईश्‍वर जरूर दंड देते हैं ।
पराया धन पाने की इच्‍छा – यदि आप मन ही मन किसी व्‍यक्ति के धन से जलते हैं, उसकी कामयाबी आपको मन ही मन खाती है तो ये भी शिव पुराण के अनुसार अक्षम्‍य अपराध कहा जाएगा ।

निरअपराध को कष्‍ट
किसी ऐसे व्‍प्‍यक्ति को कष्‍ट देना जिसने कोई गलती ना की हो, लूटपाट करना, व्‍यक्ति की धन संपदा लूटने की कोशिश करना, उसके मार्ग में कठिनाई पैदा करना भी शिव की नजरों में महापाप कहलाता है ।
जानबूझकर गलत काम करना – ये जानते हुए कि आप जिस राह पर हैं वो गलत राह है, इसके बावजूद अच्छी बातें भूलकर बुरी राह को स्वयं चुनने वाले व्‍यक्ति के पाप भला ईश्‍वर कैसे क्षमा कर सकता है ।

श्रीमद्भगवतगीता में बताए गए हैं ये 5 महापाप
शिवपुराण की ही तरह हिंदुओं के पवित्र ग्रंथ श्रीमद्भागवत गीता में भी स्‍वयं श्रीकृष्‍ण ने ज्ञान और नीति के कई उपदेश दिए हैं। इस महाग्रंथ में 5 ऐसी बातों के बारे में बताया गया है जिनके बारे में बुरा सोचते ही आप पाप के भागीदार बन सकते हैं । इन बातों की अवहेलना करना आपको भारी नुकसान में डाल सकती है । इन चीजों से विमुख होना, खुद को इन सभी से श्रष्‍ठ समझना आपके पतन का कारण बन सकती है ।

एक श्‍लोक में बताया गया है
गीता में एक श्‍लाक है जिसमें इन 5 बातों के बारे में बताया गया है । इस श्‍लोक को जानकर आप इन बुरे कर्मों से खुद को बचा सकते हैं । श्लोक इस प्रकार है –
यदा देवेषु वेदेषु गोषु विप्रेषु साधुषु।
धर्मो मयि च विद्वेषः स वा आशु विनश्यित।।

श्‍लोक का अर्थ
ऊप्‍र बताए गए श्‍लोक का अर्थ हे – जो व्यक्ति देवताओं, वेदों, गौ, ब्रह्माणों-साधुओं और धर्म के कामों के बारे में बुरा सोचता है, उसका जल्दी ही नाश हो जाता है। वो पाप का भागीदार बनता है । ऐसे मनुष्‍य राक्षस समान हैं, और इनका जीवन किसी काम का नहीं । यानी संसार में ऐसा कोई भी मनुष्‍य जो ईश्‍वर, गाय, ब्राह्मणों, साधु और संतों तथा धर्म के बारे में गलत सोचता है, वो पाप का भागीदार बनता है ।

क्‍या आप जानते हैं ?
देवताओं से दुश्मनी ही रावण जैसे महाविद्वान महापंडित के विनाश का कारण बनी थी । वे सभी असुर जिन्‍होने वेदों का अपमान किया, उन्‍हें ईश्‍वर ने स्‍वयं दंड दिया । बलासुर नाम के असुर की मृत्‍यु  गायों का अपमान करने की वजह से ही हुई थी । गाय को तंग करने वाला राक्षस समान माना जाता है । गुरु द्रोण का पुत्र होने के बावजूद अश्वत्थामा अपने अधर्म और नीच सोच के कारण प्रभु श्री कृष्‍ण से सजा का पात्र बना । इसीलिए मनुष्‍य को सदैव सद्कर्मों पर ध्‍यान देना चाहिए ।