आजकल जन्मदिन मनाने की नई परंपरा चल पड़ी है, शहरों में 12 बजते ही जन्मदिन की शुभकामनाएं देने का रिवाज चल पड़ा है । लेकिन क्या हमारे धर्म शास्त्र इसे सही मानते हैं ।
New Delhi, May 03 : आजकल किसी को बर्थडे विश करने के लिए हम रात में 12 बजने का इंतजार करते हैं, 12 बजते ही फौरन उसे बधाई देने के लिए उत्साहित रहते हैं । जन्मदिन ही क्यों किसी की सालगिरह हो या फिर कोई और भी शुभ मौका, हम रात को 12 बजे ही बधाई देने दौड़ पड़ते हैं । लेकिन शास्त्रों में इसे गलत कहा गया है । ये भारतीय परंपरा के अनुकूल नहीं है । ये पश्चिमी देशों की सभ्यता है, फैशन की तरह इन्हें ओढ़ने की कोशिश आपको अपनी जड़ों से दूर कर देगी ।
शास्त्रों में कहा गया है अनुचित
रात 12 बजे का समय, केक काटने, शुभकामनाएं देने के लिए सही नहीं है । ये समय निशीथ काल कहलाता है, अर्थात प्रेत काल कहलाता है ।इस समय को मध्यरात्रि का समय माना जाता है । ये समय भूत-प्रेतों का समय कहलाता है और इस समय में ऐसी ही शक्तियां सक्रिय रहती हैं । पिशाच काल में कुछ भी शुभ कार्य करने से वो फलते नहीं है ।
जीवन में उथल पुथल
प्रेत काल या पिशाच काल माने जाने वाले इस समय में कुछ भी शुभ कार्य करने से जीवन में परेशानियां आनी शुरू हो जाती है । कई ऐसी अदृश्य शक्तियां इस समय में एक्टिव रहती हैं जो हमें दिखती नहीं है लेकिन हमें नुकसान पहुंचाने के लिए तैयार रहती हैं । प्रेत काल में केक काटना, मदिरा पीना, नशा करना आदि सब से भाग्य और आयु दोनों कम होती है ।
दुर्भाग्य की दस्तक
निशीथ काल में जन्मदिन की शुभकामनाएं देकर असल में आप उस व्यक्ति को दुर्भाग्य दे रहे हैं । 12 से 3 बजे का समय किसी भी ऐसे काम के लिए शुभ नहीं है जो आपको खुशी दे रहा हो, या किसी और को आप खुशी देने की कोशिश कर रहे हों । साल के कुछ शुभ दिनों में ये समय शुभ प्रभाव देता है, जैसे त्योहारों के दिन । दीवाली, दशहरा, जन्माष्टमी, शिवरात्रि आदि ।
अशुभ प्रभाव
शास्त्रों में कहा गया है कि प्रेत काल में दी गई शुभकामनाएं भी प्रतिकूल फल देती हैं । हिंदू धर्म में अगले दिन की शुरुआत सूर्योदय के साथ होती है, इसलिए इसी काल से नए दिन का आगमन स्वीकार करना चाहिए । सूर्योद के समय वातावरण शुद्ध और नकारात्मकता विहीन होता है । जगकि रात के समय में वातावरण में रज और तम कणों की मात्रा बहुत ज्यादा होती है । इसलिए ऐसे समय में दी गई शुभकामनाएं गलत असर करती हैं ।