हमारे कर्मों की तरह हमारा भोजन तक कुंडली के ग्रहों का असर होता है, यदि लोग ग्रहों को मजबूती देने वाली चीजों का सेवन ज्यादा करेंगे, तो इससे उन्हें लाभदायक नतीजे मिलेंगे।
New Delhi, Dec 21 : ज्योतिष शास्त्र ना सिर्फ भविष्य बताता है, बल्कि वो कुंडली के शुभ-अशुभ ग्रहों की स्थिति को देखते हुए जरुरी मार्गदर्शन भी देता है, ये बताता है कि किस ग्रह की कैसी स्थिति होने पर क्या काम करने चाहिये और किन कामों से बचना चाहिये, बहुत कम लोग जानते होंगे, कि हमारे कर्मों की तरह हमारा भोजन तक कुंडली के ग्रहों का असर होता है, यदि लोग ग्रहों को मजबूती देने वाली चीजों का सेवन ज्यादा करेंगे, तो इससे उन्हें लाभदायक नतीजे मिलेंगे, जबकि गलत तीजें खाने से जिंदगी नकारात्मकता से भर जाएगी।
फूड एस्ट्रोलॉजी बताती है क्या खाएं
खाने से ग्रहों पर होने वाले असर की व्याख्या करने वाली ज्योतिष शास्त्र की शाख को फूड एस्ट्रोलॉजी कहा जाता है, इसके अनुसार व्यक्ति द्वारा ग्रहण किया गया भोजन उसके ग्रहों पर अनुकुल या प्रतिकूल असर डालता है, इसलिये फूड एस्ट्रोलॉजी में हर राशि के अनुसार भोजन सुझाये गये हैं।
कौन सा भोजन सबसे अच्छा
श्रीमद्भगवत गीता में भी भोजन के बारे में कई अहम बातें बताई गई है, जिसके अनुसार भोजन तीन तरह का होता है, सात्विक, राजसिक और तामसिक, इन भोजन को ग्रहण करने से होने वाले शारीरिक और मानसिक असर भी अलग-अलग है, सात्विक भोजन व्यक्ति को अध्यात्म और सुकून की ओर ले जाता है, उसे शांतिप्रिय जीवन जीने के लिये प्रेरिता करता है, जबकि तामसिक भोजन उसे अशांत और हिंसक बनाता है, ये उसकी शरीर की ऊर्जा को नकारात्मक बनाता है, इसलिये धर्म-शास्त्रों से लेकर ज्योतिष आदि में सात्विक भोजन करने को ही प्राथमिकता दी गई है।
शनि-राहु देते हैं बुरा फल
जिन लोगों की कुंडली में शनि-राहु अच्छी स्थिति में ना हों, या शनि का महादशा चल रही हो, उन लोगों को गलती से भी तामसिक भोजन यानी मांसाहार-शराब का सेवन नहीं करना चाहिये, ये उनकी जिंदगी की और बदतर बना सकता है, ऐसी स्थिति में व्यक्ति को कई बीमारियों, तनाव और धन हानि का सामना करना पड़ता है, इतना ही मांसाहार का सीधा असर कुंडली के अन्य ग्रहों की स्थिति पर भी पड़ता है, जिससे आपके भविष्यफल में नकारात्मक परिवर्तन आ सकते हैं।
(डिस्क्लेमर- यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है, हम इसकी पुष्टि नहीं करते हैं।)