ऐश्‍वर्य प्राप्ति के लिए शुक्रवार का दिन है खास, बिजनेस करने वाले जरूर पढ़ें

मां वैभव लक्ष्‍मी की पूजा शुक्रवार को की जाती है, ये दिन भोग-विलास के ग्रह माने जाने वाले शुक्र का भी दिन है । जीवन में अथाह धन की कामना है तो इस दिन भगवान को याद जरूर करें ।

New Delhi, Mar 08 : जीवन के कठिन से कठिन रास्‍तों से गुजरने में कौन आपकी मदद करता है, आपकी सकारात्‍मक ऊर्जा । आप खुद को जितना मोटिवेट कर सकते हैं उतना अधिक आप अपने जीवन में सफल होते जाते हैं । यही आपको ईश्‍वर है, आपके अंदर की वो ऊर्जा है जो आपको हमेशा आगे बढ़ते रहने की सलाह देती है । जब आप कहीं कमजोर पड़ते हैं तो यही ईश्‍वर आपकी मदद भी करते हैं । लेकिन ईश्‍वर को पाने के लिए यानी की इस ऊर्जा को बनाए रखने के लिए क्‍या करें । भक्ति का सहारा लें, हमारे शास्‍त्रों में कहा गया है भक्ति में शक्ति होती है ।

पूजा से क्‍या मिलता है ?
पूर्जा अर्चना से आपको क्‍या मिलता है, अकसर ये सवाल हमारे जहन मे ंआता है, अधिकतर नई पीढ़ी के लोग पूजा, अर्चना में विश्‍वास नहीं  रखते । लेकिन ऐसा करना जरूरी है । आपका आपके ईश्‍वर से जुड़ाव आवश्‍यक है, एक सामान्‍य क्रिया ही सही लेकिन आप पूजा, भक्ति के कुछ तरीको के जरिए अपने ईश्‍वर को पा सकते हैं । आज हम आपको धन-वैभव प्राप्ति के लिए शुक्रवार के दिन का महत्‍व बताने जा रहे हैं । जानिए क्‍या है इस दिन की महिमा और इससे जुड़े लाभ ।

सुख, शांति के साथ वैभव और लक्ष्मी प्राप्ति का दिन
शुक्रवार का दिन संतोषी मां और मां वैभव लक्ष्‍मी की आराधना का दिन है । दोनों ही देवियों की आराधना अलग प्रकार से होती है । आज हम आपको मां वैभव लक्ष्‍मी के महातम्‍य के बारे में बता रहे हैं । यह व्रत सौभाग्यशाली स्त्रियां करें तो उनको अति उत्तम फल मिलता है, पर घर में यदि सौभाग्यशाली स्त्रियां यानी की सुहागिन स्‍त्री ना हो तो कुंवारी कन्‍याएं भी ये व्रत कर सकती हैं ।

पुरुष भी रख सकते हैं ये व्रत
सुहागिन स्त्रियों, कुवारी कन्‍याओं के अलावा ये व्रत पुरुष भी कर सकते हैं । यह व्रत पूरी श्रद्धा और पवित्र भाव से करना चाहिए । परेशान होगर या भूखे रहने के भाव से किए गए व्रत कभी नहीं फलते । जब आपकी इच्‍छा हो तभी व्रत रखें, जबरन व्रत रखकर खुद को कष्‍ट ना दें । यह व्रत 11 या 21 शुक्रवार के लिए रखे जाते हैं । मन्‍नत पूरी होने पर व्रत का उद्यापन आवश्‍यक है ।

माता के अनेक रूप
माता लक्ष्मी देवी के अनेक स्वरूप हैं। उनमें उनका ‘धनलक्ष्मी’ स्वरूप ही ‘वैभवलक्ष्मी’ है और माता लक्ष्मी को श्रीयंत्र अति प्रिय है। व्रत करते समय माता लक्ष्मी के विविध स्वरूप यथा श्रीगजलक्ष्मी, श्री अधिलक्ष्मी, श्री विजयलक्ष्मी, श्री ऐश्वर्यलक्ष्मी, श्री वीरलक्ष्मी, श्री धान्यलक्ष्मी एवं श्री संतानलक्ष्मी तथा श्रीयंत्र को प्रणाम करना चाहिए। व्रत के दिन ‘जय माँ लक्ष्मी’, ‘जय माँ लक्ष्मी’ का जाप मन ही मन करना चाहिए ।

घर पर रहकर ही करें व्रत
यदि आप शुक्रवार का व्रत करने का प्रण कर रहे हैं तो इस दिन अपने घर पर रहकर ही इस व्रत का पालन करें । हम आपको काम पर ना जाने के लिए नहीं कह रहे हैं, व्रत के दिन अपने घर पर ही पूजा-पाठ की सलाह दे रहे हैं । यानी अगर आप शुक्रवार का व्रत रखते हैं तो आपको अपने घर पर ही इसकी पूजा करनी चाहिए । बहुत जरूरी हो तो बाहर जा ही सकते हैं । जितने दिन की मन्‍नत मांगी हो उतने दिन नियम से पूरे करें ।

पूजा में ये चीजें रखें
वैभव लक्ष्‍मी की पूजा में पूजा की थाल में कीमती धातु रखना शुभ माना गया है । आपके घर में सोना न हो तो चांदी की चीज पूजा में जरूर रखें । अगर वह भी न हो तो रूपए रखें । व्रत पूरा होने के बाद 7 सुहागिन स्त्रियों को सुहाग की वस्‍तुएं दान करें । वैभवलक्ष्मी व्रत की पुस्तक, कुमकुम का तिलक करके सामर्थ्‍सानुसार अन्‍य भेंट भी दे सकते हैं ।

‘लक्ष्‍मी स्‍तवन’ का पाठ जरूर करें
शुक्रवा का व्रत शुरू करने से पहले लक्ष्‍मी जी के इन मंत्रों का सही उच्‍चारण करना अति लाभकारी है । यह इस प्रकार है – या रक्ताम्बुजवासिनी विलसिनी चण्डांशु तेजस्विनीं। या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी।। या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटितां विष्णोस्वया गेहिनी। सा मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती।।

अर्थ इस प्रकार है
जो लाल कमल में रहती है, जो अपूर्व कांतिवाली हैं, जो असह्य तेजवाली हैं, जो पूर्णरूप से लाल हैं, जिसने रक्तरूप वस्त्र पहने हैं, जे भगवान विष्णु को अतिप्रिय हैं, जो लक्ष्मी मन को आनन्द देती हैं, जो समुद्रमंथन से प्रकट हुई है, जो विष्णु भगवान की पत्नी हैं, जो कमल से जन्मी हैं और जो अतिशय पूज्य है, वैसी हे लक्ष्मी देवी! आप मेरी रक्षा करें। व्रत के दिन हो सके तो उपवास करना चाहिए और शाम को व्रत की विधि करके माँ का प्रसाद लेकर व्रत करना चाहिए।