भीम पुत्र घटोत्कच की मृत्यु पर श्रीकृष्ण का प्रसन्न होना, क्या आप महाभारत के इस प्रमुख पात्र के बारे में जानते हैं । जानिए, पांडवों की ओर से लड़ने वाले घटोत्कच की मृत्यु पर श्रीकृष्ण ने क्या कहा था ।
New Delhi, Jul 03 : भीम पुत्र घटोत्कच की कहानी सभी जानते हैं । ये महाभारत के प्रमुख पात्रों में से एक हैं । युद्ध के समय भी इन्होने पांडवों की ओर से महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और कई सौ बलशाली सैनिकों, योद्धाओं को मार गिराया था । युत्र के समय घटोत्कच विशेष रूप से पांडवों की ओर से युद्ध करने के लिए शामिल किए गए थे । कौरवों की मुसीबत बने घटोत्कच को मारने के लिए कर्ण को सामने आना पड़ा था । पांडवों के शूरवीर योद्धाा के मारे जाने पर जहां पांडव खेमे में दुख की लहर थी वहीं श्रीकृष्ण बेहद खुश थे ।
क्यों प्रसन्न थे श्रीकृष्ण ?
महाभारत का यह प्रसंग बहुत ही रोचक है और बहुत ही कमाल की सीख भी देता है । बताश जाता है कि कौरवों से युद्ध में कर्ण के हाथों घटोत्कच की मृत्यु हुई थी । जब घटोत्कच के मृत्यु की खबर पहुंची तो पांडव खेमे में शोक की लहर दौड़ गई । लेकिन कृष्ण इस खबर से किंचित मात्र भी विचलित नहीं हुए । उल्टा वो इस खबर से बेहद प्रसन्न थे कि घटोत्कच मारा गया ।
अर्जुन भी थे परेशान, श्रीकृष्ण से ये पूछा
महाभारत के युद्ध में श्रीकृष्ण अर्जुन के हमेशा साथ ही रहते थे । ऐसे में इस खबर के वक्त भी वो श्रकृष्ण के ही समीप थे । वो जान गए थे कि घटोत्कच की मृत्यु की खबर ने वासुदेव पुत्र को दुखी नहीं किया है । अर्जुन ने जब इसका कारण पूछा तो श्रीकृष्ण ने इसका कारण बताया और ये भी कहा कि अगर आज कर्ण के हाथों घटोत्कच की मृत्यु नहीं होती तो भविष्य में मुझे ही इसका वध करना पड़ता।
कर्ण और घटोत्कच युद्ध
घटोत्कच को युद्ध में लाने वाले श्रीकृष्ण ही थे । इससे पहले तक भीम स्वयं भी नहीं जानते थे कि उनका एक पुत्र भी है । जब श्रीकृष्ण के कहने पर घटोत्कच कर्ण से युद्ध करने गया तो उनके बीच भयानक युद्ध होने लगा । घटोत्कच और कर्ण दोनों ही पराक्रमी योद्धा थे,इसलिए वे एक-दूसरे के प्रहार को काटने लगे। इन दोनों का युद्ध आधी रात तक चलता रहा। जब कर्ण ने देखा की घटोत्कच को किसी प्रकार पराजित नहीं किया जा सकता तो उसने अपने दिव्यास्त्र प्रकट किए।
कर्ण ने दिव्यास्त्रों से किया वध
कर्ण के दिव्यास्त्रों को देखकर घटोत्कच ने भी अपनी मायावी राक्षसी सेना प्रकट कर दी । कर्ण के पास इतनी शक्ति थी कि उन्होने अपने शस्त्रों से उसका भी अंत कर दिया । धर घटोत्कच कौरवो की सेना का भी संहार करने लगे । संहार होते देख कौरवों ने कर्ण से कहा कि तुम इंद्र की दी हुई शक्ति से अभी इस राक्षस का अंत कर दो, नहीं तो ये आज ही कौरव सेना को समाप्त कर देगा । कर्ण ने ऐसा ही किया और घटोत्कच का वध कर दिया ।
घटोत्कच के वध से प्रसन्न हुए थे श्रीकृष्ण
जब घटोत्कच की मृत्यु हो गई तो पांडव खेमे में शोक की लहर छा गई, लेकिन श्रीकृष्ण ही थे जो बेहद प्रस्न्ना थे । अर्जुन ने जब इसका कारण पूछा तो श्रीकृष्ण ने कहा कि-जब तक कर्ण के पास इंद्र के द्वारा दी गई दिव्य शक्ति थी, जिसकी वजह से उसे पराजित नहीं किया जा सकता था । श्रीकृष्ण ने कहा कि ये शक्तियां कर्ण ने उन्हें यानी कि अर्जुन को पराजित करने के लिए रखी थी । जो अब उसके पास नहीं है । ऐसे में कर्ण को पराजित करना अर्जुन के लिए आसान होगा ।
श्रीकृष्ण ने क्यों कहा, नहीं तो मैं ही वध कर देता
इस कारण को देने के बाद श्रीकृष्ण ने एक ऐसा कारण दिया जिसे सुनकर अर्जुन भी हैरान रह गए । श्रीकृष्ण ने कहा कि यदि आज कर्ण घटोत्चक का वध नहीं करता तो एक दिन मुझे ही उसका वध करना पड़ता क्योंकि वह ब्राह्मणों व यज्ञों से शत्रुता रखने वाला राक्षस था। तुम लोगों का प्रिय होने के कारण ही मैंने पहले इसका वध नहीं किया था। अर्थात श्रीकृष्ण जानते थे कि इस युद्ध में घटोत्कच का वध होगा और उनका एक और कार्य सफल्तापूर्वक संपन्न हो जाएगा ।