कल है होलिका दहन, जानें वो उपाय जो आपको धन-धान्‍य का आशीर्वाद देंगे

होली का रंग बिरंगा तयौहार बस एक दिन बाद आने वाला है, इससे पहले बताते हैं आपको होलिका दहन के मुहूर्त के बारे में और कुछ उपायों के बारे में भी ।

New Delhi, Feb 28 : रंग और मस्‍ती का त्‍यौहार है होली । रंगे बिरंगे इस त्‍यौहार में आप सराबोर हो जाएं और ये होली आपके जीवन की सबसे खूबसूरत होली बन जाए, इसके लिए आपको जाननी होंगी वो बातें, जिन्‍हें अपनाकर आप अपने पूरे आने वाले साल को खुशियों के रंग से रंग सकते हैं । होली का त्‍योहार आपसी बैर भाव को मिटाता है, इस दिन कुछ खास उपाय खास समय पर करने की परंपरा है । इस त्‍यौहार से जुड़ी है होलिका दहन की परंपरा, जानिए इसके बारे में सबकुछ ।

होलिका दहन के पीछे कथा
होलिका दहन के पीछे जो पौराणिक कथा सबसे अधिक प्रचलित है वो हिरण्‍यकश्‍यप और उसके बेटे प्रह्लाद की कहानी है । हिरण्यकश्यप बहुत ही अभिमानी राजा था, वह खुद को भगवान समझता था और चाहता था कि हर कोई भगवान की तरह उसकी पूजा करें. वहीं अपने पिता के आदेश का पालन न करते हुए हिरण्यकश्यप के पुत्र प्रहलाद ने उसकी पूजा करने से इनकार कर दिया और उसकी जगह भगवान विष्णु की पूजा करना जारी रखा ।

भक्ति से हारीं यातनाएं
नहीं इस बात से नाराज  हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र प्रहलाद को कई सजाएं दी जिनसे वह कभी भी प्रभावित नहीं हुआ. इसके बाद हिरण्यकश्यप और उसकी बहन होलिका ने मिलकर एक योजना बनाई की वह प्रहलाद के साथ चिता पर बैठेगी. होलिका के पास एक ऐसा कपड़ा था जिसे ओढ़ने के बाद उसे आग में किसी भी तरह का नुकसान नहीं पहुंचता, दूसरी तरह प्रहलाद के पास खुद को बचाने के लिए कुछ भी न था.

हुआ चमत्‍कार
लेकिन जैसे ही चिता पर आग जली, वैसे ही वह कपड़ा होलिका के पास से उड़कर प्रहलाद के ऊपर चला गया. इसी तरह प्रहलाद की जान बच गई और उसकी जगह होलिका उस आग में जल गई. यही कारण है होली का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है । होलिका दहन हर वर्ष किया जाता है, इसे आप इस प्रकार मान सकते हैं कि भक्त को ईश्‍वर कभी अकेला नहीं छोड़ते हैं ।

भद्राकाल के बाद ही करें होलिका दहन
ज्‍योतिष के जानकारों के अनुसार शास्त्रों में भद्रा के समय होलिका दहन को शुभ नहीं माना जाता है इसलिए भद्राकाल के समाप्त होने के पश्चात ही होलिका दहन करना चाहिए। इस बार पूर्णिमा तिथि 1 मार्च को सुबह 8 बजे शुरू हो जाएगी, जो 2 मार्च  की सुबह 6 बजकर 18 मिनट तक रहेगी। 1 मार्च को राहुकाल दोपहर 1.56 मिनट से 3.24 मिनट तक रहेगा। भद्रा रहित काल में पूर्णिमा तिथि में दहन किया जाता है।

होलिका दहन का शुभ मुहूर्त
होलिका दहन शाम के समय ही किया जाता है । इस बार का का शुभ मुहूर्त क्‍या रहने वाला है आइए आपको बताते हैं । इसे आप इस प्रकार समझ सकते हैं ।
पूर्णिमा शुरू : 1 मार्च,सुबह 8 बजे से आरम्भ 12.30
भद्राकाल समाप्त: 1 मार्च शाम 7 बजकर 30 मिनट पर समाप्ति
राहुकाल : दोपहर 1.56 मिनट से 3.24 मिनट तक
 पूजन का शुभ समय
प्रात: 11.05 मिनट से 12.30 मिनट तक
दोपहर 1.10 मिनट से 1.56मिनट तक
शाम 4.50 मिनट से 6.15 मिनट तक

कैसे करें होलिका दहन
होलिका दहन के लिए लकडि़यां एक हफ्ते पहले से ही लगनी शुरू हो जाती है । होलिका दहन के दिन इन लकडि़यों के साथ जौ भून कर जलाने चाहिए । ऐसा करने से सभी प्रकार की समस्‍याएं नष्‍ट हो जाती हैं । सेहत की दृष्टि से इस अग्नि में कपूर ओर इलायची जलाने की सलाह दी जाती है । इससे वातावरण शुद्ध होता है । दहन में परिवार के साथ शामिल होना चाहिए ।

होली के उपाय
रंगभरी होली मनाने से पहले होलिका दहन किया जाता है । ये रात बहुत ही शुभ मानी जाती है । इस दिन किए गए उपाय बहुत ही फलते हैं । होलिका दहन के बाद इसमें जली हुई लकड़ी को घर में लाकर रखना शुभ माना जाता है । ऐसा करना घर और घर में रहने वाले लोगों को नजर दोष से बचाता है । इस लकड़ी को बहुत ही शुभ माना जाता है, बच्‍चों को नजर लगने पर इसकी राख का टीका लगाना चाहिए ।

काले रंग से ना खेलें होली
होली का त्‍यौहार रंगों का त्‍यौहार है, लेकिन कई लोग इसे बेरंगा कर देते हैं । काले रंग का प्रयोग होली पर करने से आपके जीवन में भी काले रंग जैसा ही अंधकार छा जाता है । काले रंग का प्रयोग नहीं करना चाहिए, इसकी जगह गुलाबी, लाल और हरे या पीले रंग से होली खेलें । ये रंग शुभ माने जाते हैं और लाभ देते हैं । इन बातों को ध्‍यान में रखकर आप अपनी होली को सुखमय बना सकते हैं ।