भूलकर भी ना उड़ाएं इन लोगों का मजाक, नहीं तो शुरु हो जाएंगे बुरे दिन

Laugh

जिस मजाक से किसी का अपमान होता हो, या फिर किसी को दुख पहुंचता हो, उसे भूलकर भी नहीं करना चाहिये। इससे आपके बुरे दिन शुरु हो सकते हैं।

New Delhi, Mar 14 : हंसी-मजाक ठिठोली हमारे जीवन का एक हिस्सा है, अगर ये सब ना हो, तो फिर जिंदगी सूनी-सूनी लगती है, ये भी कहा जाता है कि हंसना मनुष्य होने की निशानी है, कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो दूसरों का मजाक उड़ा कर हंसते हैं, ये ठीक नहीं है। हमें दायरे में रहकर ही किसी के साथ हंसी-मजाक करना चाहिये, जिस मजाक से किसी का अपमान होता हो, या फिर किसी को दुख पहुंचता हो, उसे भूलकर भी नहीं करना चाहिये। इससे आपके बुरे दिन शुरु हो सकते हैं। मनुस्मृतकि में बताया गया है कि हमें किन लोगों का मजाक नहीं उड़ाना चाहिये।

श्लोक
हीनांगनतरिक्तांगन्विद्याहीनान्वयोधिकान्
रुपद्रव्यविहीनांश्च जातिहीनांश्च नाक्षिपेत्manusmriti
यानी इन लोगों पर व्यंग्य मजाक नहीं करना चाहिये, जो हीन अंग वाले हों, जैसे कि अंधा, काना, लूला-लंगड़ा, या फिर अधिक अंग वाले हो, अशिक्षित हो, उम्र में बड़े हो, कुरुप हो, गरीब हो, या छोटी जाति के हो।

हीन अंग वाले
हीन अंग वाले लोग जैसे जिनके शरीर का कोई हिस्सा नहीं हो, या अधूरा हो, जैसे लूला, लंगड़ा, अंधा, काना इत्यादि। कुछ लोग जन्म से ही हीन अंग वाले होते हैं, Blind Manतो कुछ दुर्घटना में अंगहीन हो जाते हैं, मनुस्मृति के अनुसार ऐसे लोगों का कभी भी मजाक नहीं उड़ाना चाहिये। क्योंकि कम अंग होने की वजह से वो सहानुभूति के पात्र होते हैं। नैतिकता के नाते लोगों को उनकी मदद करनी चाहिये, अगर आप ऐसे लोगों का मजाक उड़ाते हैं, तो वो दुखी होते है, जिसका परिणाम आपको किसी ना किसी रुप में भविष्य में मिलता है। इसलिये अंग हीन का मजाक नहीं उड़ाना चाहिये।

अधिक अंग वाले
कुछ लोगों के शरीर में सामान्य से अधिक अंग होते हैं, जैसे किसी के हाथ या फिर पैर में 6 उंगुलिया होती है। ungliमनुस्मृति के मुताबिक शरीर में अधिक अंग होने वाले व्यक्ति का भी मजाक नहीं उड़ाना चाहिये। क्योंकि वो जन्मजात ऐसा है, भगवान ने उसे इसी रुप में धरती पर भेजा है, यदि हम उनका मजाक उड़ाते हैं, तो समझना चाहिये, कि हम किसी परम पिता परमेश्वर का मजाक उड़ा रहे हैं। ऐसे लोगों का मजाक उड़ाने में विवाद की स्थिति बन सकती है, इसलिये ऐसा करने से बचें।

अशिक्षित
कई बार भूल से भी हम बिना सोचे समझे किसी का मजाक उड़ाने लगते हैं, ये शिष्टाचार के खिलाफ है, हमें ऐसा नहीं करना चाहिये।Ungli1 यदि कोई इंसान अनपढ या अशिक्षित है, तो उसकी मदद करनी चाहिये ना कि उसका मजाक उड़ाना चाहिये। किसी व्यक्ति के अशिक्षित होने के पीछे पारिवारिक और सामाजिक कारण हो सकते हैं, इसलिये हमारी नैतिक जिम्मेदारी है कि भूलकर भी ऐसा ना करें।

उम्र में बड़े
जो इंसान उम्र में आपसे बड़ा हो, वो आदर-सम्मान के योग्य होता है, बचपन में ही हमें सिखाया जाता है कि बड़ो का आदर करना चाहिये। लेकिन कई बार हम बुजुर्ग के साथ ऐसा कर बैठते हैं जिसके कारण उनका मजाक उड़ाया जाता है, जो कि ठीक नहीं है, कई बार बुजुर्ग घर में ही ऐसी घटनाओं के शिकार होते हैं। मनुस्मृति के मुताबिक भूलकर भी अपने से बड़े उम्र के व्यक्ति का मजाक ना बनाएं।

कुरुप
हर शख्स का चेहरा, रंग-रुप और शारीरिक बनावट एक-दूसरे से अलग होती है, किसी का चेहरा गोरा, तो किसी का श्यामला होता है, कुछ लोग सुंदर होते हैं, nopicतो कुछ के चेहरे इसके विपरीत होते हैं, लेकिन किसी भी इंसान का उसके रंग रुप या चेहरे को लेकर मजाक नहीं बनाना चाहिये। हम ऐसे व्यक्ति के रंग-रुप को ध्यान में ना रखते हुए उनके चरित्र के गुणों को देखें। संभव है कि जो इंसान सुंदर नहीं है, वो चरित्रवान हो। इसलिये ऐसे लोगों का मजाक नहीं उड़ाना चाहिये।

गरीब
कोई भी शख्स अपनी मर्जी से गरीब नहीं होता, जैसे कुछ लोग जन्म से अमीर होते हैं, वैसे ही कुछ जन्म से ही गरीब भी होते हैं। Poorगरीब शख्स मेहनत-मजदूरी कर अपने परिवार को पालतका है, वो किसी से भी मदद की उम्मीद नहीं रखता, वो अपने आत्मसम्मान को बचाते हुए जीवन जीता है। इसलिये मनुस्मृति के अनुसार कभी भी किसी गरीब इंसान का मजागक नहीं उड़ाना चाहिये।

छोटी जाति के लोग
हालांकि जाति आधारित व्यवस्था भगवान ने नहीं बल्कि इंसानों ने ही बनाई है। भगवान के लिये तो सभी मनुष्य एक बराबर हैं, Casteजब हवा, धरती, पानी और आग इंसानों में भेदभाव नहीं करती, तो फिर जाति के आधार पर किसी से भेदभाव नहीं करना चाहिये। छोटी जाति के लोगों का मजाक भी नहीं उड़ाना चाहिये।