महाशिवरात्रि स्पेशल : पढिये, शुभ मूहूर्त और पूजा तथा पारण का समय

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महाशिवरात्रि : इसी दिन मां पार्वती का विवाह भगवान भोले शंकर के साथ हुआ था, साल में होने वाले 12 शिवरात्रियों में से ये सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है।

New Delhi, Feb 12 : महाशिवरात्रि हिन्दूओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है, भगवान शिव की अराधना करने वाले लोगों के लिये ये प्रमुख पर्व है, इस साल महाशिवरात्रि का त्योहार 13 या 14 फरवरी को मनाया जाएगा, पूजा का समय 24.09 से 25.01 तक रहेगा। मूहूर्त की अवधि कुल 51 मिनट की है। आपको बता दें कि फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुदर्शी को शिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार ऐसी मान्यता है कि इसी दिन सृष्टि का प्रारंभ हुआ था, पौराणिक कथाओं के मुताबिक सृष्टि का आरंभ अग्निलिड्ग (जो महादेव का विशालकाय स्वरुप है) के उदय से हुआ था। ज्यादातर लोग ये मान्यता रखते हैं कि इसी दिन मां पार्वती का विवाह भगवान भोले शंकर के साथ हुआ था, साल में होने वाले 12 शिवरात्रियों में से ये सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है।

महाशिवरात्रि का विशेष महत्व
महिलाओं के लिये तो शिवरात्रि का विशेष महत्व है, अविवाहित महिलाएं भोले-शंकर से प्रार्थना करती हैं, कि उन्हें उनके जैसा ही पति मिले। Shiv Somvaar (7)साथ ही अविवाहित लड़कियां अपने होने वाले पति और परिवार के लिये मंगल कामना करती हैं, महाशिवरात्रि के साथ कई पौराणिक कथाएं भी जुड़ी हुई है।

शिवरात्रि पूरी कहानी
एक बार नारद मुनि शिवलोक गये, वहां जाकर उन्होने वैष्णवों में श्रेष्ठ शिवजी का ये कहकर गुणगान शुरु कर दिया, कि आप तो भगवान श्रीकृष्ण के सबसे प्रिय हैं, Shiv Somvaar (6)आपका उनसे कोई भेद नहीं है, आप और वो एक ही हैं, आप जीवों का हर तरह से कल्याण कर सकते हैं, यहां तक कि कृष्ण प्रेम भी दे सकते हैं, अपना गुणगान सुन भोले शंकर ने बड़ी विनम्रता से कहा कि मैं तो श्रीकृष्ण का तुच्छ सा सेवक हूं, ये तो उनकी कृपा है कि वो अपनी सेवाएं मुझे प्रदान करते हैं।

श्रीमद भागवत गीता का प्रसंग
श्रीमद भागवत गीता में एक प्रसंग है, कि एक बार देवताओं और दैत्यों ने मिलकर भगवान के निर्देशानुसार समुद्र मंथन की योजना बनाई, ताकि अमृत प्राप्त किया जा सके। Marriage shivaलेकिन उस मंथन के समय पहले विष निकला था, वो विष इतना जहरीला था, कि उसके भीषण ताप से ही कई पीड़ित हो गये थे, देव-दैत्य बिना पिए इसे सूंघते ही बेसुध हो गये थे।

नीलकंठ
तब भगवान ने ही उन्हें अपनी शक्ति से ठीक किया था, देवों ने जब विष से बचने का उपाय पूछा, तो भगवान ने कहा था कि शिवजी से अगर आप सब मिलकर प्रार्थना करें, Shiv (3)तो इसका हल निकाल लेंगे। देवताओं ने जब भगवान भोले शंकर से प्रार्थना की, तो उन्होने इस हलाहल विष को पीने का निर्णय लिया। अपने हाथों से ही उस विष को पी गये, लेकिन उसे निगला नहीं। उन्होने उस विष को अपने गले में ही रोक लिया, विष के प्रभाव से उनका गला नीला हो गया, जिसकी वजह से उनका नाम नीलकंठ हो गया।

महाशिवरात्रि मनाने का उद्देश्य
आपको बता दें कि महाशिवरात्रि का पावन पर्व भगवान शिव और मां पार्वती के विवाह उत्सव के रुप में मनाया जाता है, इस दिन हमारे देश में अलग-अलग इलाकों में शिव और पार्वती की पूजा इस दिन बड़े धूमधाम के साथ की जाती है, shiva (2)महिलाएं और पुरुष शिव-पार्वती की अराधना और उपासना करते हैं।

एक साल में कितनी बार शिवरात्रि होती है
हिंदू पंचांग कैलेंडर के मुताबिक एक साल में 12 बार शिवरात्रि होती है, शिवरात्रि हर हिन्दू महीने की कृष्ण चतुर्दशी को होता है, माघ महीने के कृष्ण चतुर्दशी को महाशिवरात्रि के तौर पर मनाया जाता है, Shiv Somvaar (3)पूरे देश में इसी दिन महाशिवरात्रि बड़े ही धूमधाम से मनाई जाती है।

महाशिवरात्रि शुभ मूर्हूत
इस साल महाशिवरात्रि का त्योहार 13 या 14 फरवरी 2018 को मनाया जाएगा।
इस साल शिवरात्रि निशिता काल पूजा का समय 24.09 से 25.01 तक रहेगा, मूर्हूत की अवधि कुल 51 मिनट की है।Shiv Somvaar (4)
14 फरवरी को पारण का समय 07.04 से 15.20 तक रहेगा।

रात्रि पहले पहर पूजा का समय 18.05 से 21.20 तक रहेगा।
रात के दूसरे प्रहर में पूजा का समय 21.20 से 24.35 तक
तीसरे प्रहर में पूजा का समय 24.35 से 27.49 तक
चौथे पहर में 27.49 से 31.04 तकShiv Somvaar (5)
चतुर्दशी तिथि 13 फरवरी 2018 मंगलवार 22.34 से प्रारंभ होगी, जो 15 फरवरी 2018 को 00.46 बजे खत्म होगी।