यहां गिरी थीं माता की आंखें, देवी मां पूरी करती हैं भक्तों की मनोकामनाएं

चैत्र मास के नवरात्र चल रहे हैं और ऐसे में आज जानिए एक ऐसे शक्तिपीठ के बारे में जो देवी के 51 शक्तिपीठ में से एक है और बहुत ही मान्‍यता प्राप्‍त है ।

New Delhi, Mar 24 : चैत्र नवरात्र चल रहे हैं, मां भवानी के 9 रूपों की आराधना कर आप भी उनकी कृपा प्रापत कर सकते हैं । इन दिनों में मां भवानी के अवतारों के बारे में उनके रूप के बारे में जितना बखान किया जाए उतना कम है । मां भवानी के इन रूपों के दर्शन मात्र से आपके सारे कष्‍ट दूर हो जाते हैं । आज आपको बताते हैं मां दुर्गा के ऐसे मंदिर के बारे में जो भक्‍तों की हर मनोकामना को पूर्ण करता है और उनके सारे कष्‍टों को दूर करता है ।

नैना देवी मंदिर
हिमाचल का नैना देवी मंदिर , देवी के 51 शक्तिपीठों में से एक है । ये हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में शिवालिक पर्वत माला पर बना हुआ है ।  नैना देवी का मंदिर नैनीताल के बहुत पास है, यहां आप आसानी से पहुंच सकते हैं ।  मां भगवती का ये भव्‍य मंदिर आपकी मनोकामनाओं को पूर्ण करता है, यहां आने वाले भक्‍त कभी खाली हाथ नहीं रहते ।

इसलिए पड़ा नैना देवी नाम
देवी मंदिर के इस शक्तिपीठ का नाम नैना देवी कयों पड़ा, इसके पीछे मान्‍यता है कि यहां माता सती के नेत्र गिरे थे  । इस मंदिर में नैना देवी की मनभावन मूर्ति है, जिसे देखकर आप मां के अद्भुत रूप में खो जाएंगे । इस मंदिर में पीपल का एक पेड़ सभी के आकर्षण का विषय है । मंदिर के मुख्‍य द्वार पर सेवक रूप में गणेश और हनुमान विराजमान हैं ।

मनभावन रूप
मंदिर के मुख्य द्वार पर शेर की दो प्रतिमाएं दिखाई देती हैं । गर्भ ग्रह में तीन मुख्य मूर्तियां है । एक ओर माता काली,  बीच में नैना देवी और एक और भगवान श्री गणेश की मूर्ति हैं । मंदिर के पास ही पवित्र जल का तालाब है, जो यहां से कुछ ही दूरी पर स्थित है । मंदिर के पास गुफा भी है, इसी गुफा को नैना देवी गुफा के नाम से जाना जाता है ।

नैना देवी की पौराणिक कथा
नैना देवी मंदिर 51 शक्ति पीठों मे से एक है। इन सभी की उत्पत्ति कथा एक ही है। यह सभी मंदिर शिव और शक्ति से जुड़े हुए हैं। ग्रंथों के अनुसार इन सभी स्थलों पर देवी सती के अंग गिरे थे। प्राचीन समय राजा दक्ष ने यज्ञ का आयोजन किया था, जिसमें उन्होंने शिवजी और सती को आमंत्रित नहीं किया था। ये बात सती को काफी बुरी लगी और वह बिना बुलाए ही अपने पिता दक्ष के यज्ञ में पहुंच गई।

हवन कुंड में कूद गईं सती
यज्ञ स्‍थल पर शिवजी के लिए कही गई अपमानजनक बातों को सती सहन नहीं कर पाई और हवन कुंड में कूद गईं । जब भगवान शिव को ये बात मालूम हुई तो वे वहां आए और सती के शरीर को हवन कुण्ड से निकाल कर तांडव करने लगे। इस कारण सारे ब्रह्माण्ड में त्राही-त्राही मच गई। पूरे ब्रह्माण्ड को इस संकट से बचाने के लिए भगवान विष्णु ने सती के शरीर को अपने सुदर्शन चक्र से 51 भागो में बांट दिया।

देवी के अंग जहां गिरे वो बने शक्तिपीठ
इसके बाद ये अंग जहां-जहां गिरे थे, वहां-वहां देवी के 21 शक्तिपीठ स्थापित हो गए। देवी का ये मंदिर बहुत ही पावन है । यहां भक्‍त आते हैं और अपने मन की मुरादें पूरी करने के लिए देवी भगवती से आशीर्वाद प्राप्‍त करते हैं । वर्ष में एक बार नैना देवी के दर्शन कर आप भी पुण्‍य फल प्राप्‍त कर सकते हैं । यहां आना कठिन नहीं है । आप हवाई, रेल और सड़क तीनों ही तरह से यहां पहुंच सकते हैं ।