ये है भाई की कलाई पर राखी बांधने का शुभ समय, बस इस बात का जरूर रखें ध्‍यान

भारत में त्‍योहार मतलब फैमिली टाइम । रिश्‍तों का समय, आज रक्षाबंधन मनाया जा रहा है । आगे जानिए राखी से जुड़ा शुभ समय, पूजा विधि और सावधानी भी ।  

New Delhi, Aug 26 : रक्षाबंधन, ये त्‍यौहार है भाई-बहन के प्‍यार का प्रतीक । राखी की डोर में बंधे इस मजबूत रिश्‍ते को किसी की नजर ना लगे इसके लिए बहने हर साल इस त्‍यौहार को मनाती आ रही है । भाई जहां बहन की रक्षा की सौगंध लेता है तो वहीं बहन भाई की लंबी उम्र की कामना करती हैं । इस त्‍यौहार को हर साल बहुत ही जोश और उत्‍साह के साथ मनाया जाता है । राखी का त्‍यौहार हो आपके लिए बहुत ही शुभ इसके लिए इससे जुडी हर बात आगे जानिए ।

कब मनाया जाता है रक्षाबंधन?
हिन्‍दू कैलेंडर के अनुसार हर साल सावन महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है रक्षाबंधन का त्‍यौहार । इस पर्व को पुरातन काल से मनाया जा रहा है । हिंदू धर्म के प्रमुख त्‍योहारों में से एक माना जाता है यह त्‍यौहार । भाई-बहन को प्रेम और स्‍नेह के धागों से बांधने वाले इस त्‍यौहार को बहुत ही सादगी से मनाया जाता है ।

शुभ मुहूर्त
वैसे तो मान्‍यताओं के अनुसार रक्षाबंधन के दिन दोपहर बाद ही राखी बांधनी चाहिए । लेकिन आप प्रदोष काल में भी राखी बांध सकते हैं । भद्र काल के दौरान राखी बांधना अशुभ माना जाता है । इस बार ये हैं राखी के शुभ मुहूर्त : राखी बांधने का समय: सुबह 5 बजकर 59 मिनट से शाम 5 बजकर 25 मिनट तक (26 अगस्‍त 2018)
अपराह्न मुहूर्त: दोपहर 01 बजकर 39 मिनट से शाम 4 बजकर 12 मिनट तक (26 अगस्‍त 2018)

इस तरीके से बांधे राखी
रक्षाबंधन के दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रक्षासूत्र बांधती हैं । आजकल बाजार में कई तरह के राखी के डिजायन उपलब्‍ध हैं लेकिन पहले ये सिर्फ कलावे से ही संपन्‍न हो जाता था । राखी बांधने के बाद बहन अपने भाई का तिलक करती है, उसका मुंह मीठा करती है और फिर आरती कर भाई की लंबी उम्र की कामना करती है । भाई अगर छोटा हो तो अपनी बड़ी बहन के पैर छूकर उसे आशीर्वाद जरूर लेना चाहिए ।

त्‍यौहार के पीछे ये है मान्‍यता
रक्षाबंधन का त्‍यौहार मनाने के पीछे कई तरह की कथाएं प्रचलित हैं । इनमें एक कथा असुरों के राजा बलि की है । जिनके दान धर्म से प्रसन्‍न होकर भगवान विष्‍णु को पाताल जाना पड़ा । तब देवी लक्ष्‍मी ने धरती पर आकर बलि राजा को अपना भाई बनाया और पति को वापस भेजने का वरदान मांगा । उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि थी और मान्‍यता है कि तभी से  रक्षाबंधन मनाया जाने लगा । इसके अलावा भी कई कथाएं हैं जिनका उल्‍लेख पुराणों में मिलता है ।