अनजाने में और जानबूझकर किए पाप की ऐसी मिलती है सजा

इंसान की फितरत होती है लोगों की बुराई करना, लेकिन क्‍या आप जानते हैं आपकी ये फितरत आपको पाप का भागी बना रही है । ऐसा पाप जिसकी सजा स्‍वयं ईश्‍वर देते हैं ।

New Delhi, Feb 18 : क्‍या आप भी दूसरों की बुराई कर उसका आनंद उठाते हैं । लोगों के पीठ पीछे उनका मजाक बनाते हैं । किसी के कपड़ों, उसके शरीर के रंग पर परेशान करते हैं । अगर हां तो आप ये भी जानते ही होंगे कि किसी की बुराई करना अच्‍छी बात नहीं होती । पर निंदा पाप की श्रेणी में आता है । और अगर आप जानते बूझते कर रहे हैं तो माफ कीजिए आपके लिए इसी जन्‍म में ईश्‍वर ने बड़ी-बड़ी सजाओं की तैयारी की हुई है । जानिए अनजाने में हुए पाप और जानबूझकर किए गए पाप से जुड़ी एक अनोखी कहानी ।

ब्रहम भेज की महाकथा 
एक समय एक राजा के दरबार में ब्राह्मणभोज का आयोजन किया गया। बड़ी संख्या में ब्राह्मणों को भोजन के लिए आमंत्रित किया गया और इसके लिए छप्पनभोग महल के खुले आंगन में बनवाए गए। उसी वक्त अनजाने में एक हादसा हो गया। खुले में पक रही रसोई के ऊपर से एक चील अपने पंजे में जिंदा सांप दबोचकर निकल रही थी। सांप ने चील के पंजों से छुटकारा पाने के लिए फुफकार भरी और साथ ही जहर उगला।

भोजन में जा गिरा जहर 
सांप के फुफकारने से उसके मुख से निकली जहर की कुछ बूंदे पाकशाला में पक रही रसोई के व्यंजनों में गिर गई। रसोई में जहर गिरने और उसके जहरीले होने का किसी का कोई पता नहीं चला । ब्राह्मण महल के भोजनकक्ष में भोजन के लिए पधारे और महाप्रसाद उनको परोसा गया। जहरीले भोजन के खाने से सभी ब्राह्मण काल के गाल में समा गए।

ब्रह्महत्‍या का पाप 
जब राजा को इस बात का पता चला तो ब्रह्महत्या के पाप ने उसको दुखी कर डाला। ऐसे में सबसे ज्यादा मुश्किल खड़ी हो गई यमराज के लिए, कि आखिर इस पाप का भागी कौन है और ब्रह्महत्या के पाप के लिए किसको दंड दिया जाए। दंड देने के लिए यमराज के सामने सबसे पहला नाम राजा का आया, क्योंकि राजा ने ब्राह्मणों को भोजन के लिए आमंत्रित किया था। यमराज के मन में दूसरा नाम रसोइये का आया, जिसने ब्राह्मणों के लिए महाप्रसाद तैयार किया था।

क्‍या सांप भी है दोषी ? 
राजा को तीसरा ख्याल चील का आया जो सांप को पकड़कर ले जा रही थी और सबसे अंत में यमराज ने सांप के पाप पर विचार किया। लंबे समय तक यमराज अनिर्णय की स्थिति में रहे कि आखिर ब्रह्महत्या का दंड किसको दिया जाए । हालांकि इस विषय पर यमराज लंबे समय तक विचार ही करते हैं । इस बीच एक ऐसी बात हुई कि यमराज को ब्रह्महत्‍या के पाप का भागी प्राप्‍त हो गया ।

एक महिला बनी ब्रहमहत्‍या की दोषी 
घटना के कुछ समय बाद कुछ ब्राह्मण राजा से मिलने के लिए उसके महल में जा रहे थे। ब्राह्मणों ने एक महिला से महल का रास्ता पूछ लिया। तब महिला ने ब्राह्मणों को रास्ता बताते हुए कहा कि देखो भाई जरा ध्यान से जाना वह राजा ब्राह्मणों को खाने में जहर देकर मार देता है। जैसे ही महिला ने यह बात कही, यमराज ने फैसला कर लिया मृत ब्राह्मणों के पाप का फल इस महिला के खाते में जायेगा और यह दंड को भोगेगी।

पापकर्म का आनंद लेने वाला दोषी
यमदूतों ने यमराज से पूछा कि ‘प्रभू ऐसा क्यों?’ तब यमराज ने कहा कि ‘जब कोई व्यक्ति पाप करता है तो उसको पापकर्म करने में बड़ा आनंद आता है। ब्राह्मणों की मौत से न तो राजा को, न रसोईये को, न चील को और नही सांप को आनंद आया। यह सभी इस अपराध से अनजान भी थे। महापाप की इस दुर्घटना का इस महिला ने जोर-शोर से बखान कर जरूर मजा लिया, इसलिए ब्रह्महत्या का यह पाप इसके खाते में जाएगा।’

सोच समझकर रचा गया षडयंत्र 
यदि आप ईश्‍वर में विश्‍वास करते हैं तो ये भी जरूर मानते होंगे कि वो सभी जगह विद्यमान हैं । आपके मन-मस्तिष्‍क में चल रही हर छोटी बड़ी बात को वो भलि भांति जानते हैं । इसलिए यदि आपने किसी का सोच समझकर बुरा चाहा है, किसी के खिलाफ षडयंत्र रचा है , किसी के प्रति बुरे भाव रखे हैं तो यह एक ऐसा पाप है जिसे ईश्‍वर भी क्षमा नहीं कर सकता ।

इन 5 बातों के बारे में बुरा सोचते ही लग जाता है पाप  
गीता में एक श्‍लोक है जिसमें 5 बातों के बारे में बताया गया है । श्लोक इस प्रकार है – यदा देवेषु वेदेषु गोषु विप्रेषु साधुषु। धर्मो मयि च विद्वेषः स वा आशु विनश्यित।।अर्थात – जो व्यक्ति देवताओं, वेदों, गौ, ब्रह्माणों-साधुओं और धर्म के कामों के बारे में बुरा सोचता है, उसका जल्दी ही नाश हो जाता है। वो पाप का भागीदार बनता है । ऐसे मनुष्‍य राक्षस समान हैं, और इनका जीवन किसी काम का नहीं ।