चमत्कार से कम नहीं देवी मां का ये मंदिर, घोर संकट से यहां मुक्ति मिल जाती है

नवरात्र पर देवी मां के इस मंदिर में आने वालों की भीड़ जुट जाती है। यहां आने वाले भक्तों का मानना है कि ये मंदिर किसी चमत्कार से कम नहीं है।

New Delhi, Mar 21: भारत में कदम कदम पर आपको चमत्कार दिखेंगे। अपनी मान्यताओं और परंपराओं की वजह से भारत का नाम आज देश विदेशों में गूंजता है। इस वक्त नवरात्र चल रहे हैं और इस मौके पर हम आपको एक ऐसे देवी मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। जहां भक्तों की हर मुराद पूरी होती है। कहा जाता है कि यहां देवी मां आज भी जागृत स्वरूप में विराजमान हैं।

ये है वो चमत्कारिक मंदिर
आज हम जिस मंदिर के बारे में आपको बताने जा रहे हैं, वो है माता चंदोमति का मंदिर। गंगोत्री के शईतकालीन पड़ाव मुखवा गांव के पास बना ये मंदिर अपने आप में अलौकिक आस्था और इतिहास समेटे हुए है। नवरात्र के दौरान इस मंदिर में चंडी पाठ का आयोजन किया जाता है। इस दौरान इस मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ती है। आइए इस मंदिर के इतिहास के बारे में आपको बताते हैं।

यहां तीन नदियों का संगम है
चंदोमति माता के मंदिर के पास तीन नदियों का संगम है। भागीरथी, देव गंगा और हत्याहारिणी नदियों का बना ये संगम अलौकिक है। भागीरथी गोमुख से आती है, देव गंगा डांडा पोखरी पर्वत से आती है और हत्याहारिणी नदी चंद्र पर्वत से आती है। ये मंदिर एक ऐतिहासिक युद्ध का भी गवाह रहा है। आइए इस बारे में आपको बता देते हैं।

16वीं शताब्दी से जुड़ी कहानी
कहा जाता है कि 16वीं शताब्दी में तिब्बती लुटेरों और कचोरागढ़ के राणा वंश के भड़ों के बीच युद्ध हुआ था। इस युद्ध में राणा वंश के वीर भड़ों ने तिब्बती लुटेरों का सर्वनाश किया था। द हिमालयन माउंटेन के लेखक जेम्स वेली फेलेजर ने अपनी किताब में इसका उल्लेख भी किया है। इस किताब में हर्षिल के पास के कचोरागढ़ का भी उल्लेख किया है।

ये है मंदिर की पौराणिक मान्यता
कुल मिलाकर कहें तो इस जगह का उल्लेख ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक अध्ययन, इतिहास और धार्मिक किताबों में किया गया है। इस मंदिर की पौराणिक मान्यता भी जानिए। कहा जाता है कि चंदोमति देवी ने चंड और मुंड राक्षसों का नाश किया था। चंड और मुंड के सिर एक शिला के नीचे दबा दिए गए थे। इस शिला के ऊपर ही इस मंदिर का निर्माण किया गया है।

यहां केंद्रीय मंत्री भी ध्यान लगाते हैं
नवरात्र के दौरान इस मंदिर में पूजा अर्चना का अलग की महत्व है। चंदोमति माता भक्तों के घोर संकट का हरण कर लेती है। सिर्फ स्थानीय लोग ही नहीं बल्कि देश के बड़े मंत्री भी यहां अपना सिर झुकाते हैं। इस मंदिर में केन्द्रीय मंत्री उमा भारती भी कई बार ध्यान कर चुकी हैं। चंदोमति माता मुखवा गांव के लोगों की कुलदेवी कही जाती हैं।

यहां पूजा का विधि विधान
इस मंदिर में पूजा अर्चना का वही विधि विधान है जो गंगोत्री धाम में पूजा अर्चना का विधान होता है। बताया जाता है कि इस मंदिर में चंडी पाठ का सबसे अधिक महत्व है। सच्चे मन और सच्ची श्रद्धा से जो भी मां चंदोमति के द्वार पर आता है, उसके दुख और कष्टों का नाश होता है। चंदोमति माता के चमत्कार का वर्णन मार्कंडे पुराण में भी मिलता है।