अपने घर के वास्तु दोषों को दूर करने और जीवन की दूसरी मुश्किलों से निपटने के लिए इन 8 मंत्रों का प्रयोग करें । आगे जानें, ये कितने महत्वपूर्ण हैं ।
New Delhi, Mar 13 : घर बनाते हुए कुछ ना कुछ कमी रह ही जाती है, कई बार बहुत ख्याल रखने के बाद भी कोई ना कोई कमी रह ही जाती हे । इन दोषों के चलते घर में रह रहे लोगों का जीवन कई बार मुश्किलों से घिर जाता है । सेहत से जुड़ी परेशानी, धन संबंधी परेशानी, नौकरी से जुड़ी दिक्कतें, सुख-चैन का ना रहना आदि कई समस्याएं हैं, जिनकी वजह आपके घर के वासतु दोष हो सकते हैं । घर के वास्तु को ठीक रखने के लिए आप कुछ मंत्रों का प्रयोग कर सकते हैं, ये आपको सुख की प्रापित कराएंगे ।
वास्तु शास्त्र और दिशाएं
उत्तर, दक्षिण, पूरब और पश्चिम मुख्यत: ये चार मूल दिशाएं हैं । वास्तु शास्त्र में इन चार दिशाओं के अलावा भी 4 दिशाएं बताई गई है जिन्हेंविदिशाएं कहा गया है । इसमें आकाश और पाताल को भी शामिल किया गया है । यानी की चार दिशाएं, चार विदिशाएं और आकाश-पाताल को मिलाकर कुल 10 दिशाएं मानी गई हैं । इन दिशाओं के मध्य की दिशा ईशान, आग्नेय, नैऋत्य और वायव्य को विदिशा कहा जाता है ।
पूर्व दिशा
वास्तु शास्त्र में यह दिशा महत्वपूर्ण मानी गई है, इस दिशा में सूर्य का उदय होता है । इस दिशा के स्वामी इंद्र देव माने गए हैं । पूर्व दिशा के वास्तु दोष व्यक्ति के जीवन में मान-सम्मान से जुड़ी समस्याएं लाते हैं । व्यक्ति के जीवन में कलेश बहुत होता है । इस दिशा के दोष दूर करने के लिए ऊं ह्रां ह्रीं ह्रौं स: सूर्याय नम: का जाप करें । साथ ही ऊं इंद्राय नम: मंत्र का जाप करना भी आपके लिए अति लाभदायी माना गया है ।
पश्चिम दिशा
वास्तु में ये दिशा भी अहम मानी गई है, इस दिशा के स्वामी स्वयं शनिदेव हैं । इस दिशा के वासतुदोष दूर करने के लिए शनि मंत्र का उच्चारण करें । ऊं शं श्नैश्चराय नम: मंत्र का जाप करने से शनि दोष दूर होते हैं और शनि के कुप्रभाव समाप्त होते हैं । व्यक्ति का जीवन खुशहाल हो जाता है । आपको जाने-अनजाने किए गए बुरे कर्मों से मुक्ति मिलती है ।
उत्तर दिशा
इस दिशा के स्वामी कुबेरदेव कहे गए हैं । ये धन के देव कहे जाते हैं । इस दिशा में दोष आपको कंगाल बनाते हैं । इस दोष के निवारण के लिए ऊं बुधाय नम: या ऊं कुबेराय नम: का जाप करें ।
दक्षिण दिशा – इस दिशा के स्वामी यम देव माने गए हैं, यह दिशा सुख और समृद्धि की दिशा मानी गई है । इस दिशा को कभी भी खाली ना रखें । ऊं अंग अंगारकाय नम: या ऊं यमाय नम: मंत्र का जाप करें ।
आग्नेय दिशा
ये दिशा पूर्व और दक्षिण के मध्य की दिशा होती है, इसे आग्नेय दिशा कहते हैं । साउथ ईस्ट डायरेक्शन के स्वामी स्वयं अग्निदेव हैं । ऊं शुं शुक्राय नम: इस मंत्र का जाप करना आपके लिए शुभ रहेगा ।
नैऋत्य दिशा – दक्षिण – पश्चिम दिशा को नैऋत्य दिशा कहते हैं। इस दिशा का वास्तुदोष दुर्घटना, रोग एवं मानसिक अशांति देता है। इन दोषों को दूर करने के लिए ऊं रां राहवे नम: का जाप करें ।
ईशान दिशा
नॉर्थ ईस्ट दिशा को ईशान दिशा कहा गया है, यह दिशा भगवान भोलेनाथ की दिशा मानी गई है । इस दिशा के स्वामी शिव हैं । इस दिशा में कभी शौचालय नहीं बनाना चाहिए । ऊं बृं बृहस्पतये नम: या ऊं नम: शिवाय के मंत्र का जाप करें आपको भगवान का आशीर्वाद मिलेगा । अपने घर के ईशान कोण में अपने आराध्य को स्थान दें, इस दिशा को कभी भी गंदा ना होने दें ।
वायव्य दिशा
उत्तर – पश्चिम दिशा को वायव्य दिशा कहा गया है । ये दिशा चंद्रदेव की दिशा मानी गई है । इस दिशा के स्वामी चंद्रदेव हैं । इस दिशा में दोष हों तो घर के लोगों को सेहत से जुड़ी समस्याएं होने लगती हैं । इनसे दूर रहने के लिए ऊं चंद्रमसे नम: या ऊं वायवै नम: मंत्र का जाप करना चाहिए । इस मंत्र के जाप से इस दिशा के सारे दोष दूर हो जाते हैं ।