विष्‍णु पुराण में लिखी है ये बात, निर्वस्‍त्र होकर नहीं करने चाहिए ये काम

Vishnu

हिंदू धर्म शास्‍त्रों में मनुष्‍य को जीवनशैली से जुड़े कई पाठ बताए गए हैं, इनमें से कुछ हैं वो काम जिन्‍हें निर्वस्‍त्र करने से मनुष्‍य पाप का भागीदार बन जाता है । जानिए वो काम कौन से हैं ।

New Delhi, Mar 28 : आधुनिक जीवनशैली में लोगों के पास ये सोचने का वक्‍त ही नहीं है कि क्‍या सही है और क्‍या गलत । बस हम चले जा रहे हैं, दूर बहुत दूर । परंपराओं से दूर, धर्म से दूर, ईश भक्ति का तो तो अब हमारे पास समय ही नहीं बचा है । हमारी ऐसी आदत का हमारी जीवनशैली पर क्‍या असर पड़ रहा हे । ये बिगड़ती जा रही है और हममें नकारात्‍मकता का वास होता जा रहा है । दरअसल रोजमर्रा के कुछ ऐसे कार्यकलाप भी हैं जो हम गलत तरीके से कर रहे हैं और इस अनजानी गलती से ईश्‍वर के दंड के पात्र बन रहे हैं ।

क्‍या है विष्‍णु पुराण ? 
विष्णु पुराण 18 पुराणों में से एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण तथा प्राचीन है। यह श्री पराशर ऋषि द्वारा रचित है । यह इसके प्रतिपाद्य भगवान विष्णु हैं, जो सृष्टि के आदिकारण, नित्य, अक्षय, अव्यय तथा एकरस हैं । इस पुराण में आकाश आदि भूतों का परिमाण, समुद्र, सूर्य आदि का परिमाण, पर्वत, देवतादि की उत्पत्ति, मन्वन्तर, कल्प-विभाग, सम्पूर्ण धर्म एवं देवर्षि तथा राजर्षियों के चरित्र का विशद वर्णन है। इस पुराण में मनुष्‍यों के आचरण के विषय में कहा गया है ।

नहीं करने चाहिए ये काम
विष्‍णु पुराण में तीन काम बताए गए हैं जो मनुष्‍य को निर्वस्‍त्र होकर कभी नहीं करने चाहिए । अइागे जानिए वो तीन काम कौन से हैं ।
निर्वस्‍त्र होकर स्‍नान – विष्‍णु पुराण के अनुसार मनुष्‍य को बिना कपड़े पहने स्‍नान नहीं करना चाहिए । ये सही नहीं है । इसका संबंध श्रीकृष्‍ण के उस बाल कांड से जोड़ा जाता है जिसमें वो स्‍नान कर रहीं गोपियों के वस्‍त्र लेकर भाग जाते हैं और गोपियां पानी में निर्वस्‍त्र रह जाती हैं । ऐसा कहा गया है कि बिना वस्‍त्रों के स्‍नान करना पाप समान है और ये जल देवता का अपमान है ।

निर्वस्‍त्र होकर सोना
विष्‍णु पुराण के मुताबिक मनुष्‍य को बिना कपड़ों के नहीं सोना चाहिए । ऐसा इसलिए क्‍योंकि रात्रि में मनुष्‍यों से मिलने उनके पितृजन, पूर्वजsleep आते हैं । ऐसे में यदि वो आपको नग्‍न अवस्‍था में देखेंगे तो उन्‍हें अच्‍छा नहीं लगेगा और वो बिना आपसे मिले चले जाएंगे । इस बात को आप इस तरह से भी देख सकते हैं क्‍योंकि हम रात में अंधेरा करके सोते हैं, अगर ऐसे में कोई कीट-पतंगा हमें काट ले तो इसलिए वस्‍त्र पहनकर सोने में ही भलाई है ।

निर्वस्‍त्र होकर आचमन लेना
पूजा के समय हम आचमन लेते हैं, दरअसल हाथों में जल लेने को आचमन करना कहते हैं । ये तीन बार लिया जाता है एक बार पृथ्‍वी को समर्पित करते हैं एक बार मुंह से लगाते हैं और तीसरी बार सिर से फेर लेते हैं । ये शुद्ध होने की एक प्रक्रिया है । इसे भी बिना कपड़े पहने नहीं करना चाहिए । ये जल देवता का अपमान माना जाता है । ऐसा करने से आपके चरित्र की हानि हो सकती है ।

इस वजह से है मनाही
क्‍या आप जानते हैं, ईश्‍वर आराधना के लिए बिना सिले हुए कपड़े पहनने की बात कही गई है । दो कपड़े बिना सिले हुए, सिलाई सांसारिक मोह माया का बंधन है इसलिए जब ईश भक्ति करें तो इन बंधनों से मुक्‍त होकर करें । विष्‍णु पुराण में और भी कई बातें बताई गई हैं । जो मनुष्‍य जीवन शैली के लिए बहुतपयोगी है । थोड़े से धैर्य और समझदारी के साथ आप इसका पालन कर सकते हैं ।

शास्‍त्रों की अहमियत
हिंदु पुराणों, धर्म शास्‍त्रों, लेखों में कई ऐसी ज्ञान की बातें कही गई हैं जो एक बेहतर जीवनशैली की ओर मनुष्‍य को अग्रसर करती है । हमारेVishnu2 बुजुर्गों की बातें हमें बेमानी लगती हैं । धर्म-कर्म अब ढकोसला अंधविश्‍वास लगता है । लेकिन रुकिए, ठहरिए अपनी संस्‍कृति, अपने धर्म से जुड़ी इन बातों को ना जानकर आप जीवन में आगे की ओर नहीं पीछे की ओर बढ़ रहे हैं । विष्‍णु पुराण से जुड़ी इन बातों को आत्‍मसात करें और आगे बढ़ें ।