रावण की मृत्‍यु के बाद मंदोदरी का क्‍या हुआ ?  जानिए रामायण की ये रोचक बात

रावण की मृत्‍यु के बाद क्‍या हुआ, उनकी पत्‍नी मंदोदरी लंका में ही रहीं या कहीं चली गईं । रावण की मृत्‍यु के कितने दिनों बाद उन्‍होने विभीषण से शादी की । ये जानने के लिए आगे पढ़ें …

New Delhi, Feb 10 : रामायण में रावण की मृत्‍यु के बाद उनके परिवार का क्‍या हुआ ? अपने तीनों पुत्रों को खो चुकीं मंदोदरी ने आगे अपना जीवन कैसे व्‍यतीत किया ? विभीषण के सत्‍ता संभालने के बाद लंका का क्‍या हुआ ? ये ऐसे प्रश्‍न हैं जिनका जवाब आप जरूर जानना चाहेंगे । रावण की पत्‍नी मंदोदरी अपार सुंदरी थीं, एक अप्‍सरा की पुत्री होने के साथ वो महा विद्वान महा बलशाली असुर सम्राट रावण की पत्‍नी थीं । मंदोदरी का रावण की मृत्‍यु के बाद क्‍या हुआ ये जानने से पहले आइए जानते हैं मंदोदरी थीं कौन ?

स्‍वयं अप्‍सरा थीं मंदोदरी
हिन्दू पुराणों में दर्ज एक कथा के अनुसार एक बार मधुरा नामक एक अप्सरा कैलाश पर्वत पर पहुंची। देवी पार्वती को वहां ना पाकर वह भगवान शिव को आकर्षित करने का प्रयत्न करने लगी।जब देवी पार्वती वहां पहुंचीं तो भगवान शिव की देह की भस्म को मधुरा के शरीर पर देखकर वह अत्यंत क्रोधित हो गईं और क्रोध में आकर पार्वती ने बिना सोचे समझे मधुरा को भयानक श्राप दे दिया।

12 वर्षों तक मेंढक बनकर रहने का श्राप
पार्वती मधुरा की खूबसूरती को देखकर क्रोधित हो गई थीं इसलिए उन्‍होने उसे एक बदसूरत श्राप दे दिया । पार्वती ने मधुरा को मेढक बनने का श्राप दे दिया। उन्‍होने मधुरा से कहा कि आने वाले 12 सालों तक वह मेढक के रूप में इस कुएं में ही रहेगी। भगवान शिव के पार्वती को समझाने के बाद ही उनका गुस्‍सा ठंडा हुआ और उन्‍होने कठोर तप के बाद मधुरा को एक वर्ष में अपने रूप में आने की बात कही ।

असुरों के देवता मायासुर
उसी काल में असुरों के देवता, मयासुर और उनकी अप्सरा पत्नी हेमा अपने दो पुत्रों के बाद एक पुत्री की कामना कर रहे थे । इसके लिए दोनों ने कठोर तप आरंभ कर दिया । इसी बीच मधुरा की कठोर तपस्या के 12 साल भी पूर्ण होने वाले थे । माता पार्वती ने उसे जिस कुएं में फेंका था मायासुर भी उसी के पास तप कर रहा था । मधुरा के एक वर्ष कठोर तप करने के बाद वो कुंए से बाहर अपने असली रूप में आ गई ।

इस तरह मिला मंदोदरी नाम
कुएं से बाहर आने पर मधुरा मदद को पुकारने लगी । मायासुर और उनकी पत्‍नी ने मधुरा को देखा और उसे ईश्‍वर का आशीर्वाद समझ अपनी बेटी बना लिया । मधुरा का नाम मायासुर ने मंदोदरी रखा । मंदोदरी रूप में बहुत ही गुणवान थीं, वो बहुत ही खूबसूरत थीं । जल्‍दी ही उनकी खूबसूरती की खबर रावण तक भी जा पहुंची ।

रावण-मंदोदरी विवाह
रावण और  मायासुर दोस्‍त थे, कथा के अनुसार एक बार रावण मयासुर से मिलने आया और वहां उनकी खूबसूरत पुत्री मंदोदरी को देखकर उस पर मंत्रमुग्ध हो गया । रावण ने मंदोदरी से विवाह करने की इच्छा जाहिर की, लेकिन मायासुर ने रावण को इसके लिए मना कर दिया । लेकिन रावण कहां मानने वाला था उसने जबरन मंदोदरी से विवाह कर लिया। जिसके बाद मायासुर ने मंदोदारी से अपना नाता तोड़ लिया ।

रावण और मंदोदरी के तीन पुत्र
मंदोदरी जानती थीं कि रावण, भगवाव शिव का परम भक्‍त है, इसलिए वह भी उनसे शादी करने कको तैयार हो गईं । विवाह के बाद रावण और मंदोरी के तीन बलशाली पुत्र हुए अक्षय कुमार, मेघनाद और अतिकाय। तीनों ही पुत्रों को मंदोदारी अच्‍छी राह पर चलने की शिक्षा देती रहीं लेकिन असुर पुत्रों ने अपने पिता के पदचिन्‍हों पर ही चलना स्‍वीकार किया ।

रावण का अंत
मंदोदरी जानती थीं कि रावण जिस पथ पर आगे बढ़ रहा है वो अनुचित है । सीता हरण के बाद उसने कई बार रावण को सीता को लौटाने के लिए कहा लेकिन रावण नहीं माना । युद्ध मैदान में अपने तीनों पुत्रों की मृत्‍यु के बाद भी मंदोदरी रावण को लेकर चिंतित हो गईं । अंत में रावण भी मारा गया । बताया जाता है रावण की मृत्‍यु की सूचना मिलते ही मंदोदरी युद्ध मैदान में पहुंची और उनके शव को ले जाने की अनुमति मांगी ।

रावण की मृत्‍यु के बाद विभीषण से विवाह
अपने वंश का अंत देखने वाली मंदोदरी पूरी तरह से टूट गई । वो कई दिनों तक लंका के महल में ही रहीं । इस बीच सारा राजपाठ विभीषण ही संभलते रहें । कई महीनों बाद मंदोदरी महल से बाहर आईं और फिर उन्‍होने वापस से अपने जीवन की नई शुरुआत की । मंदोदरी ने लंकापति विभीषण से विवाह किया और इसके बाद लंका के कार्य संचालन में उनका साथ दिया ।