ये सवाल सभी के मन में उठता है कि श्रीकृष्ण और राधा के प्रेम को आखिर क्यों शादी का रूप नहीं दिया गया, क्यों राधा रानी श्रीकृष्ण की पत्नी नहीं बन पाईं ।
New Delhi, Nov 25 : प्रेम का दूसरा नाम है श्रीकृष्ण और राधा, इनके प्रेम को जीवात्मा और परमात्मा का मिलन कहा जाता है । सदियां गुजर गईं राधा-कृष्ण की प्रेम कथाएं सुनते सुनाते । लेकिन एक सवाल हर किसी के मन में उठता ही है, वो ये कि आखिर क्यों राधा रानी कृष्ण की पत्नी नहीं बन पाईं । श्रीकृष्ण ने उन्हें इतना चाहा तो भी उन्होने राधा से शादी क्यों नहीं की । और अगर दोनों की शादी ही नहीं हुई तो दोनों को मंदिरों में एक साथ जोड़े के रूप में क्यों पूजा जाता है ।
कई कथाएं प्रचलित हैं
राधा रानी श्री कृष्ण की प्रियसी ही क्यों बन कर रह गईं, इसे लेकर आध्यात्म की दुनिया में कई कहानियां हैं जो इन दोनों के प्रेम को दर्शाती हें । कुछ विद्वानों के अनुसार राधा एक काल्पनिक चरित्र हैं, प्राचीन समय में श्रीकृष्ण की पत्नी के रूप में रुक्मिनी, सत्यभामा, समेथा श्रीकृष्णामसरा का ही नाम था, इनमें कहीं भी राधा का कोई जिक्र ही नहीं था । विद्वानों के अनुसार राधा-कृष्ण की कहानियां भक्ति आंदोलन के बाद सुनाई दी जाने लगी, जब कवियों ने इस आध्यात्मिक संबंध को भौतिक रूप दिया ।
10 वर्ष की उम्र में मिले थे राधा-कृष्ण
राधा-कृष्ण के प्रेम को लेकर हुई व्याख्याओं में ये प्रसंग भी सामने आता है कि दोनों का कभी मिलन हुआ ही नहीं । राधा रानी से कान्हा तब मिले थे जब वो सिर्फ 10 साल के थे । इसके बाद वो वृंदावन चले गए और राधा से कभी नहीं मिले । ना राधा कभी द्वारका आईं ना ही श्री कृष्ण ने कभी उनकी सुध ली । इस छोटी उम्र में दोनों ने एक दूसरे को इस तरह समझ लिया था कि फिर किसी और की जरूरत ही नहीं पड़ी ।
क्या राधा ने श्रीकृष्ण से विवाह करने से किया था इनकार ?
दोनों के प्रेम पर आधारित एक मत के अनुसार श्रीकृष्ण द्वारका के राजा थे, राधा इसके लिए खुद को उपयुक्त नहीं मानती थीं । उन्हें लगता था कि वो महलों में नहीं रह पाएंगे, क्योंकि वो एक ग्वाला थीं । वहीं प्रजा भी अपने राजा को किसी राजकुमारी के साथ देखना चाहती थी । मतानुसार श्रीकृष्ण ने राधा को बहुत समझाया लेकिन वो नहीं मानी । दृढ़ निश्चय कर वो श्रीकृष्ण के मार्ग से ही हट गईं ।
श्रीकृष्ण ने दिया था ये जवाब
दोनों के विवाह से जुड़ी एक प्रचलित किवदंती ये है कि राधा कृष्ण से प्रेम भी करती थीं और वो उनसे शादी भी करना चाहती थीं । एक बार जब उन्होने श्रीकृष्ण से ये बात पूछी कि वो उनसे शादी क्यों नहीं करना चाहते तो श्रीकृष्ण के एक उत्तर ने उन्हें हैरान कर दिया । कान्हा ने कहा कि कोई व्यक्ति अपनी आत्मा से विवाह कैसे कर सकता है ।
राधा जानती थीं कृष्ण कौन है
एक कथा ये भी कहती है कि राधा एक ग्वालन थीं, वो जान चुकी थीं कि उनके कान्हा कोई आम व्यक्ति नहीं हें । वो भगवान हैं, फिर ऐसे में उनके और श्रीकृष्ण के बीच विवाह का सवाल ही नहीं उठता । ये रियता भ्क्त और भगवान का है । राधा का अस्तित्व ही श्रीकृष्ण से हैं, उनका विवाह हुआ हो या ना हुआ हो वो उनसे अलग कभी हो ही नहीं सकतीं ।
खेल-खेल में हुई थी शादी
दोनों के अटूट प्रेम की व्याख्या करते हुए कुछ विद्वानों ने कहा है कि एक बार खेल-खेल में राधा रानी और कान्हा ने एक दूसरे से शादी कर ली थी । बच्चों के बीच खेल – खेल में हुई इस शादी के कोई मायने नहीं थे लेकिन दोनों एक दूसरे से दिल से जुड़े थे । ये एक ऐसा आध्यात्मिक समागम था जिसे भौतिक दुनिया में नहीं समझा जा सकता ।
रुक्मिणी कभी राधा नहीं बन पाईं
श्रीकृष्ण की पहली पत्नी रुक्मिणी भी श्रीकृष्ण से बहुत प्रेम करती थीं । उन्होने शादी से पहले कृष्ण को प्रेम पत्र लिखकर उनसे अनुरोध किया था कि वो उन्हें अपने साथ ले जाएं । रुक्मिणी का प्रेम पत्र श्रीकृष्ण के हृदय को छू गया, और वो रुक्मिणी को ले आए । लेकिन रुक्मिणी कभी राधा का स्थान नहीं ले पाईं , आज भी लोग राधा-कृष्ण को ही पूजते हैं, रुक्मिणी कृष्ण को नहीं ।
ब्रह्मवैवर्त पुराण की व्याख्या
इस पुराण के अनुसार एक श्राप ने राधा-कृष्ण को कभी एक नहीं होने दिया । इसके अनुसार पृथ्वी पर आने से पहले राधा रानी की, कृष्ण की सेविका श्रीद्धमा से काफ बहस हो गई थी । इससे नाराज राधारानी ने उसे राक्षस के रूप में पैदा होने का श्राप दे दिया । कुपित श्रीद्धमा ने भी राधा को श्राप दिया कि वह मनुष्य योनि में जन्म लेंगी और अपने प्रेमी से 100 वर्षों के लिए बिछड़ जाएंगी ।