कांग्रेस की जातिवादी-सांप्रदायिक राजनीति के आगे पानी भर रही बीजेपी

कांग्रेस को पता है कि सवर्ण आम तौर पर बीजेपी के साथ हैं और सीधे तौर पर वह उन्हें साथ नहीं ला सकती। इसलिए नोटा का शिगूफा छिड़वा दिया।

New Delhi, Sep 07 : आरक्षण के नाम पर गुजरात में पटेलों को हवा दी, हरियाणा में जाटों को हवा दी, राजस्थान में गुर्जरों को हवा दी। अलग धर्म बनाने का झांसा देकर कर्नाटक में लिंगायतों को हवा दी। रोहित वेमुला से लेकर एससी-एसटी एक्ट के दुरुपयोग पर दलितों को हवा दी। एससी-एसटी एक्ट के विरोध में सवर्णों को हवा दी।

मुसलमान भाइयों-बहनों को तो तसला बनाकर 70 साल से चूल्हे पर ही चढ़ा रखा है कांग्रेस ने, जिसमें लगातार हवा दी जा रही है, ताकि दिलों में आग सुलगती रहे। इसीलिए मैं कहता हूं कि जातिवाद और सांप्रदायिकता की राजनीति में कांग्रेस की कानी उंगली के बराबर भी नहीं है कोई दूसरी पार्टी।
कुछ हिन्दू जातियों को हिन्दुओं की मुख्य धारा से तोड़कर और कुछ अल्पसंख्यक जातियों को देश की मुख्य धारा से तोड़कर जो जातिवादी-सांप्रदायिक समीकरण बनता है, उसी के सहारे कांग्रेस एक बार फिर से सत्ता का स्वाद चखने की योजना बना चुकी है।

अंग्रेज़ों के क्लोज़ कोऑर्डिनेशन में लंबे समय तक ट्रेनिंग लेने की वजह से कांग्रेस को फूट डालो और राज करो की नीति में महारथ हासिल है। साथ ही, कोई जाति (विजातीय), कोई धर्म (विधर्मी) नहीं होने के कारण उसे किसी जाति, किसी धर्म से मोहब्बत भी नहीं है। इसलिए बारी-बारी से वह सबको ठगती है और सबको धोखा देती है।
एससी-एसटी एक्ट के दुरुपयोग को रोकने से जुड़े सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस ने जो डबल गेम खेला, उसका तो अंदाज़ा तक नहीं लगा सकी मोदी सरकार। कोर्ट ने एससी-एसटी एक्ट के दुरुपयोग पर उंगली उठाई, तो मोदी सरकार को दलित-विरोधी घोषित कर दिया। दबाव में आकर मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने का पाप कर दिया तो अब उसके ख़िलाफ़ सवर्णों को भड़का दिया। यानी चित भी मेरी, पट भी मेरी।

मैं अनेक मुद्दों पर मोदी सरकार की आलोचना करना चाहता हूं, लेकिन कांग्रेस की यह राजनीति देखकर सन्न हो जाता हूं। कांग्रेस को पता है कि सवर्ण आम तौर पर बीजेपी के साथ हैं और सीधे तौर पर वह उन्हें साथ नहीं ला सकती। इसलिए नोटा का शिगूफा छिड़वा दिया। यानी मुझे तो वोट मत दो, क्योंकि तुम मुझे दोगे नहीं, लेकिन मैं ऐसा माहौल बना दूंगा कि तुम मेरे विरोधी को भी वोट नहीं दे सकोगे, ताकि मैं आसानी से जीत जाऊं।
इस तरह अपनी शातिराना सियासत से बीजेपी की कथित हिन्दू एकता के जातियों में टुकड़े-टुकड़े कर दिए हैं कांग्रेस ने। अब बीजेपी इन जातियों के टुकड़े-टुकड़े जोड़कर फिर से जब तक हिन्दू एकता का राग छेड़ेगी, तब तक कांग्रेस एकाध राज्य में अपना उल्लू सीधा कर लेगी। फिर लोकसभा चुनाव किसने देखा है!

(वरिष्ठ पत्रकार अभिरंजन कुमार के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)