‘मंदसौर- मासूमों के बलात्कारियों के लिए मैं हमेशा फांसी का पक्षधर हूं’

मंदसौर : आपकी कट्टरता आपको मुबारक ..मेरे लिए किसी भी बेटी के साथ बलात्कार करने वाला दरिंदा फांसी का हकदार है , चाहे वो हिंदू हो या मुसलमान।

New Delhi, Jul 01 : मैं एक हफ्ते से बाहर था . सोशल मीडिया और मीडिया से भी लगभग दूर . आज ही लौटा . आज ही जाना कि मंदसौर में क्या हुआ . मंदसौर की घटना को समझूं और कुछ लिखूं , उससे पहले ही नफरत का एजेंडा लिए लोग मेरे फेसबुक पेज पर आ गए . जहर बुझे तीर लेकर . मैंने जैसे ही किसी दोस्त की लिखी एक पोस्ट फेसबुक पर शेयर की , हिंदुत्ववादी भाई लोग मंदसौर पर जवाब मांगने आ गए . मुझे पता है कि आज मैं आम की बात भी लिखूंगा तो वो मंदसौर की बात करेंगे . मैं अपनी यात्राओं के बारे में लिखूंगा तो भी वो बार -बार मंदसौर पर कोंचेंगे . गालियां भी देंगे और नसीहत भी . मुस्लिम बलात्कारी का पक्षधर होने का आरोप लगाने भी आ जाएंगे . गोया वो ठहरे बहुत बड़े मानवतावादी और मैं बलात्कारियों का घोर समर्थक .

ये वही लोग हैं ,जो कठुआ के बलात्कारियों को अपना धर्म भाई मानकर उनके पक्ष में खड़े थे . आंख मूंदकर मुहिम चला रहे थे . देश में हर रोज सौ से ज्यादा मासूमों को शिकार बनाया जाता है लेकिन इनमें से ज्यादातर तभी हंगामा मचाते हैं , जब बलात्कारी कोई मुस्लिम होता है ..बलात्कारी अगर हिन्दू हुआ तो इनका खून नहीं खौलता . पीड़िता मुसलमान हुई तो भी इन्हें सन्नाटा मार जाता है . जहां नफरत का ऐजेंडा सधता है , वहां तीर -कमान लेकर सब पिल पड़ते हैं .
बीते एक साल के दौरान दिल्ली से लेकर हरियाणा , यूपी , एमपी और राजस्थान तक में छोटी -छोटी गुड़िया सरीखी बच्चियों के साथ दुष्कर्म और हैवानियात की न जाने कितनी खबरें आई . दरिदों की शिकार कई बच्चियों की जान तक चली गई . दिल्ली में दरिंदगी का शिकार होने के बाद अस्पतालों के आईसीयू में दो और चार साल की बच्चियों के भर्ती होने और फिर उनके गुजर जाने की खबरें भी आई .

तो मेरा ये लिखा ऐसे लोगों के लिए भी ये जवाब है …
आपकी कट्टरता आपको मुबारक ..मेरे लिए किसी भी बेटी के साथ बलात्कार करने वाला दरिंदा फांसी का हकदार है , चाहे वो हिंदू हो या मुसलमान . मैंने पचासों पोस्ट लिखी है ऐसी घटनाओं पर , पचासों घंटे बहस की है क्योंकि बच्चियों के साथ बलात्कार की खबर मुझे विचलित करती है . प्यारी सी बच्ची के साथ ऐसी हरकत करने वालों के बारे में सोचते हुए मैं आक्रोश से भर उठता हूं . कई घटनाओं के बाद तो मैं घंटों उस बच्ची के बारे में सोचता रहता हूं. उस दरिंदे की मानसिकता के बारे सोचता हूँ .फिर कोसता हूँ मर्दों के भीतर पलते हैवानों को , जो मासूम बेटियों को भी नहीं बख्शते . लड़ाई और मुहिम इस बात की चले कि कैसे ऐसी घटनाओं पर लगाम लगे ? कैसे सरकारें ऐसा सिस्टम बनाने को मजबूर हो जाए कि कहीं किसी बच्ची के साथ बलात्कार की घटना हो तो दरिंदे को तुरंत कठोर से कठोर सजा मिले . ऐसी मुहिम में उनकी दिलचस्पी नहीं क्योंकि इससे उनका एजेंडा नहीं सधता .

मासूमों के बलात्कारियों के लिए मैं हमेशा फांसी का पक्षधर हूं . फांसी के विरोध में दिए जाने वाले तमाम तर्कों से सहमत-असहमत होने के बावजूद मेरी राय फांसी के पक्ष में ही है लेकिन उससे ज्यादा जरूरी है तेजी से जांच , गिरफ्तारी , फ़ास्ट ट्रैक सुनवाई , पीड़ित परिवार और गवाहों का प्रोटेक्शन और पुलिस की चुस्ती . सालों- साल तक मामला लटका रहता है . कनविक्शन रेट बहुत खराब है. ज्यादातर मामलों में बच्ची के जानकार या रिश्तेदार ही दरिंदगी कर गुजरते हैं .
इस बीच मंदसौर के अस्पताल में भर्ती उस बच्ची के बारे में भास्कर ने लिखा है – ‘ एमवाय अस्पताल में भर्ती मंदसौर ज्यादती मामले की शिकार 7 वर्षीय बच्ची की हालत स्थिर बताई जा रही है. कोई नर्स इंजेक्शन लगाए या स्पर्श करे तो वह सहम जाती है . बच्ची की उम्र सिर्फ 7 साल है, लेकिन शुक्रवार को वह दर्द से इतनी बुरी तरह तड़प उठी कि उसके मुंह से निकला- मां मुझे ठीक कर दो, या मार डालो . वह पलभर के लिए भी मां को नहीं छोड़ रही है . डॉक्टरों के अनुसार ऑपरेशन कर उसके जख्मी अंगों का इलाज किया है, लेकिन अब उसे संक्रमण से बचाना सबसे बड़ी चुनौती होगी . उसके घाव भरने में दो हफ्ते लगेंगे .

15-20 दिन में उसे डिस्चार्ज कर दिया जाएगा . पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के वार्ड 15 में भर्ती तीसरी कक्षा की इस छात्रा की आंखों के आसपास सूजन है . हाथ, गर्दन और पैरों पर जख्म हैं . पूरे शरीर पर पट्टियां लगी हैं . वह एंटीबायोटिक दवा, इंजेक्शन और सलाइन के भरोसे है . पीडियाट्रिक सर्जरी एचओडी और बच्ची का इलाज कर रहे डॉ. ब्रजेश लाहोटी ने बताया कि उसकी हालत खतरे से बाहर है . वे आशान्वित है कि घाव ठीक होने के बाद वह सामान्य बच्चों की तरह जीवन बिता सकेगी ‘

(चर्चित वरिष्ठ पत्रकार अजीत अंजुम के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)