पूर्वांचल में एक-दूसरे का किला भेदने की तैयारी में अखिलेश और अमित शाह, जानिये Inside Story

amit akhilesh

2017 चुनाव में बीजेपी की ऐसी आंधी चली कि उसे अब तक की सबसे बड़ी जीत प्रदेश में मिली, बीजेपी ने 300 से ज्यादा सीटें जीती, लेकिन मन में एक बड़ा मलाल रह गया, उसे आजमगढ में मुंह की खानी पड़ी।

New Delhi, Nov 14 : पूर्वांचल की राजनीति में गोरखपुर और आजमगढ दो ध्रुव हैं, एक में बीजेपी का तो दूसरे में उसके मुख्य विरोधी सपा का कब्जा है, इस बार दोनों पार्टियां एक-दूसरे के किले को ध्वस्त करने में जुटी हुई है, शनिवार 13 नवंबर का दिन यूपी विधानसभा चुनाव के लिये बेहद खास रहा, दो बड़ी पार्टियों के बड़े नेताओं में इतिहास बदलने की तड़प दिखी, एक तरफ आजमगढ में योगी-शाह ने ऱैली की, तो दूसरी ओर गोरखपुर में अखिलेश यादव ने रथयात्रा की, दोनों एक-दूसरे के गढ में एक ही दिन हुंकार भरते नजर आये।

2017 के आंकड़ों से समझिये
इसे समझने के लिये 2017 के चुनावी आंकड़ों को देखना होगा, लेकिन इससे पहले जानते हैं कि दोनों शहर खास कैसे है, सबसे पहली बात ये है कि गोरखपुर सीएम योगी आदित्यनाथ की कर्मभूमि रही है, वो यहां से लगातार 5 बार सांसद रहे हैं, मुख्यमंत्री बनने से पहले वो गोरखपुर से ही सांसद थे, आजमगढ के अखिलेश यादव मौजूदा सांसद हैं, लेकिन दोनों ही पार्टियों के नेता एक-दूसरे के किले को ध्वस्त करने की कोशिश में लगे हुए हैं।

आजमगढ बीजेपी के लिये रहा टफ
इसके मजबूत कारण भी हैं, बात सबसे पहले बीजेपी की, 2017 चुनाव में बीजेपी की ऐसी आंधी चली कि उसे अब तक की सबसे बड़ी जीत प्रदेश में मिली, बीजेपी ने 300 से ज्यादा सीटें जीती, लेकिन मन में एक बड़ा मलाल रह गया, उसे आजमगढ में मुंह की खानी पड़ी, 10 सीटों वाले इस जिले में बीजेपी को सिर्फ एक सीट से संतोष करना पड़ा, सपा ने 10 में से 5 सीटें जीत ली, जबकि बसपा के खाते में 4 सीटें गई, 2017 के चुनाव में तमाम समीकरण ध्वस्त हो गये, लेकिन आजमगढ में बीजेपी की किस्मत नहीं खुल सकी, ये जिला उसके लिये हमेशा से टफ रहा है, 2012 विधानसभा चुनाव में तो सपा ने 10 में से 9 सीटें जीत ली थी, बसपा को भी 1 सीट मिली थी, जबकि बीजेपी का खाता भी नहीं खुला था।

बीजेपी की निगाहें आजमगढ पर
अब इन 10 सीटों पर बीजेपी की नजर है, पार्टी को लगता है कि आजमगढ में सपा का ग्राफ गिर रहा है, 2012 में सपा ने 9 सीटें जीती थी, लेकिन 2017 में सिर्फ 5 सीटें ही जीत पाई, शायद इसलिये यहां बीजेपी बड़ी सेंधमारी की जुगत में है, अमित शाह ने अपने भाषण की शुरुआत ही इसी बात से की, कि आजमगढ से उठने वाली आवाज लखनऊ तक जानी चाहिये, इस बार आजमगढ की सभी की सभी सीटों पर कमल खिलने वाला है।

अखिलेश का गोरखपुर प्लान
अब बात सपा और अखिलेश यादव की, जो हाल बीजेपी का आजमगढ में है, वही हाल सपा का गोरखपुर में है, इसलिये अखिलेश इस जिले में सफलता की ताक लगाये बैठे हैं, आकड़ें देखिये, 2012 में प्रदेश में अखिलेश यादव की पूर्ण बहुमत की सपा सरकार बनी, लेकिन उनके मन में भी एक मलाल रहा होगा, कि गोरखपुर का किला नहीं टूट सका, 2019 में 9 सीटों में सपा को सिर्फ 1 सीट से ही संतोष करना पड़ा, 4 सीटें बसपा जबकि तीन बीजेपी ने जीती थी, एनसीपी को एक सीट मिली थी, 2017 चुनाव में तो सपा खाता भी नहीं खोल सकी, बीजेपी ने ना सिर्फ 9 में से 8 सीटें जीती, बल्कि पिपराइच की सपा की सीट भी उनसे छीन ली, अखिलेश यादव इस इतिहास को तोड़ने की जद्दोजहद कर रहे हैं।