किसानों का आंदोलन खत्म करवाएंगे अमित शाह? SKM ने बनाई कमेटी

amit shah

एमएसपी समेत अन्य मुद्दों को लेकर सरकार से बात करने के लिये संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से 5 लोगों की कमेटी बनाई गई है।

New Delhi, Dec 05 : दिल्ली की सीमा पर जारी किसान आंदोलन को खत्म कराने के लिये अब केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मोर्चा संभाला है, वो किसानों से बातचीत करेंगे, सरकार से बातचीत करने के लिये 5 किसान नेताओं की एक कमेटी बनाई गई है, साथ ही शनिवार को सिंधु बॉर्डर पर किसान संगठनों के बीच हुई बैठक के बाद ये फैसला लिया गया, कि एमएसपी समेत अन्य मांगों पर ये आंदोलन जारी रहेगा।

5 लोगों की कमेटी
एमएसपी समेत अन्य मुद्दों को लेकर सरकार से बात करने के लिये संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से 5 लोगों की कमेटी बनाई गई है, इसमें बलबीर सिंह राजेवाल, गुरनाम सिंह चढूनी, युद्धवीर सिंह, शिवकुमार कक्का, और अशोक धावले का नाम शामिल है, 5 सदस्यीय कमेटी में शामिल युद्धवीर सिंह ने न्यूज चैनल एनडीटीवी से बात करते हुए कहा कि अमित शाह ने हमें कल रात फोन किया और कहा कि तीनों कृषि कानूनों को वापस ले लिया गया है, सरकार चल रहे आंदोलन का भी समाधान खोजने को तैयार है।

समिति बनाई
इसके अलावा युद्धवीर सिंह ने कहा कि बातचीत के लिये वो एक कमेटी चाहते थे, इसलिये हमने एक समिति बनाई है, उन्होने ये भी कहा कि 7 दिसंबर को सरकार और किसान नेताओं के बीच बैठक को लेकर चर्चा की जाएगी, अगर इसमें कोई सकारात्मक परिणाम निकलता है, तो किसान अपने घर जा सकते हैं, वहीं संयुक्त किसान मोर्चा में शामिल योगेन्द्र यादव ने भी कहा कि सरकार की ओर से सकारात्मक संकेत मिले हैं, जिसमें 7 दिसंबर को कोई बड़ा फैसला लिया जा सकता है।

किसानों की मीटिंग
शनिवार को किसान नेताओं के बीच हुई बैठक के बाद किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा की 5 सदस्यीय कमेंटी केन्द्र सरकार से बात करेगी, प्रदेश सरकारों से बात करने के लिये भी कमेटी बनाई जाएगी, कमेटी और सरकार के बीच जो भी बातचीत होगी, उसे संयुक्त किसान मोर्चा की मीटिंग में बताया जाएगा। तीनों कृषि कानूनों की वापस के बाद भी प्रदर्शनकारी किसान एमएसपी की कानूनी गारंटी, आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसानों के परिजनों को मुआवजा, किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने और लखीमपुर खीरी मामले में आरोपी के पिता तथा केन्द्रीय मंत्री अजय मिश्र टेनी की बर्खास्तगी को लेकर अड़े हुए हैं, किसान संगठनों ने साफ कर दिया है कि जब तक इन मांगों को लेकर कोई समाधान नहीं हो जाता, तब तक किसान वापस नहीं हटेंगे।