बिहार के अल्पावास गृह के बारे में टी आई एस एस की रिपोर्ट, खास बातें

बिहार : मुजफ्फरपुर में सेवा संकल्प व विकास समिति द्वारा संचालित बालिका गृह की स्थिति सबसे खराब बताई गई। 

New Delhi, Jul 26 : बिहार के कई जिलों के आश्रय गृहों में रहने वाले बच्चे व बच्चियों के साथ अमानवीय व्यवहार हो रहा है। वे गुलामों की जिंदगी जी रहे हैं। यौन शोषण, हिंसा के अलावा उन्हें गंदी हरकतों का सामना करना पड़ रहा। कई अल्पवास गृह की स्थिति भी बदतर है। लड़कियों को सेनेटरी नैपकिन तक नहीं दी जाती। टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस (टिस्स) की ‘कोशिश टीम’ ने बाल व बालिका गृह व अल्पावास गृह के घिनौने चेहरे को सामने ला दिया है।
मुजफ्फरपुर में सेवा संकल्प व विकास समिति द्वारा संचालित बालिका गृह की स्थिति सबसे खराब बताई गई। टीम की रिपोर्ट के अनुसार ‘निर्देश’ द्वारा मोतिहारी में संचालित बाल गृह में बच्चों को यहां के कर्मचारी द्वारा पीटा जाता है। बड़े बच्चों को छोटे बच्चों के बीच रखा जाता है। ये आपस में गाली-गलौज व मारपीट करते हैं। निर्देश के खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है।

अधीक्षक के घर पर काम नहीं करने की सजा, रॉड से पिटाई
मुंगेर के बाल गृह ‘पनाह’ में बच्चे नारकीय जीवन जी रहे हैं। एक ही परिसर में बाल गृह व इसके अधीक्षक का आवास है। बच्चों को अधीक्षक के घर में काम करना व खाना बनाना पड़ता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि एक बच्चे के गाल पर तीन इंच का निशान मिला। खाना बनाने से इन्कार करने पर अधीक्षक की रॉड से पिटाई से यह निशान पड़ा।
भागलपुर बाल गृह में बच्चों के साथ हिंसक व्यवहार
भागलपुर में रूपम प्रगति समाज समिति द्वारा संचालित बाल गृह में बच्चों के साथ ङ्क्षहसक व्यवहार किए जाने का जिक्र रिपोर्ट में है। टीम ने यहां बनी शिकायत पेटी को खुलवाया तो उसमें बड़ी संख्या में ऐसे पत्र मिले जिसमें बच्चों के साथ मारपीट किए जाने की गवाही दे रहे थे।

बच्चों से कागज पर गंदी बातें लिखवाकर की जाती पिटाई
गया में ‘डोर्ड’ द्वारा संचालित बाल गृह के बच्चों को जेल के कैदियों की तरह रखा जाता है। कोशिश की टीम को बच्चों को बताया कि यहां की महिला कर्मचारी उसे गंदे मैसेज लिखने व उसे दूसरी नई कर्मचारियों को देने का दबाव डालती हैं। ऐसा न करने पर उसे पीटा जाता है।
हिंसक माहौल से बच्ची आत्महत्या को मजबूर
पटना में ‘इकार्ड’ द्वारा संचालित अल्पावास गृह के कर्मचारी लड़कियों से गंदा बर्ताव करते हैं। यहां के माहौल से तंग आकर एक लड़की ने आत्महत्या कर ली थी। वहीं एक की मानसिक स्थिति बिगड़ गई। बच्चियों को यहां कपड़े, दवा, शौचालय आदि उपलब्ध नहीं है, खराब भोजन दिया जाता है।

बच्चियों को नहीं दी जाती सेनेटरी नैपकिन
मोतिहारी में चल रहे अल्पावास गृह ‘सखी’ में महिलाओं व लड़कियों के साथ शारीरिक हिंसा होने की बात सामने आई है। कई लड़कियों को यहां सेनेटरी नैपकीन तक नहीं दी जाती।
सुधार की जगह बिगाड़ गृह कर दें नाम
एनजीओ के अलावा सरकार द्वारा संचालित बाल सुरक्षा गृह की स्थिति भी बेहतर नहीं मिली। मोतिहारी में सरकार द्वारा संचालित बाल सुधार गृह में तैनात बिहार पुलिस के जवान द्वारा बच्चों की पिटाई की जाती है। कोशिश टीम को कई बच्चों ने पूरे शरीर पर इस पिटाई के जख्म के निशान दिखाए। एक बच्चे की टिप्पणी यह रही कि ‘इस जगह का नाम सुधार गृह से बदलकर बिगाड़ गृह कर दिया जाए’।
टीम ने कैमूर, मधेपुरा, गया, मधेपुरा जिलों में चल रहे अल्पावास गृह को लेकर भी प्रतिकूल टिप्पणी की है। इन जगहों पर बच्चे-बच्चियों के साथ होने वाले व्यवहार को खतरनाक बताया गया है।

(वरिष्ठ पत्रकार अमिताभ ओझा के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)