दिपावली के संदेशों में फिर से जीवित हुए अटल जी, सोशल मीडिया पर उनकी इन कविताओं से दिये जा रहे बधाई संदेश

भारत रत्न अटल जी भले शारीरिक रुप से हमारे बीच नहीं हों, लेकिन उनकी कविताएं लोग गुनगुना कर उन्हें याद कर रहे हैं।

New Delhi, Oct 31 : पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का इसी साल 16 अगस्त को नई दिल्ली में 93 साल की उम्र में निधन हो गया, अटल जी राजनेता होने के साथ-साथ ह्दय से कवि थे, उन्हें जब भी मौका मिलता था वो कविता लिखने बैठ जाते थे, पूर्व पीएम को भारतीय त्योहारों से बेहद प्रेम था, इस बात की गवाही उनके द्वारा लिखी कविताएं देती है। दिपावली से पहले उनकी कविताएं वायरल हो रही है।

सोशल मीडिया पर वायरल
भारत रत्न अटल जी भले शारीरिक रुप से हमारे बीच नहीं हों, लेकिन उनकी कविताएं लोग गुनगुना कर उन्हें याद करते हैं, त्योहारों के इस मौसम में लोग व्हाट्सएप्प, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर उनकी कविताओं का स्टेट्स लगा रहे हैं, उन्हें पोस्ट कर रहे हैं, इसके साथ ही दिवाली के बधाई संदेश के रुप में एक-दूसरे को भेज भी रहे हैं, अटली जी ने दिवाली पर कई कविताएं लिखी है।

उस रोज़ दिवाली होती है
जब मन में हो मौज-बहारों की
चमकाए चमक सितारों की
जब खुशियों के शुभ घेरे हों
तन्हाई में भी मेले हों
आनंद की आभा होती है
उस रोज़ दिवाली होती है – अटल बिहारी वाजपेयी

2. जब प्रेम के दीपक जलते हों
सपने जब सच में बदलते हों
मन में हो मधुरता भावों की
जब लहकें फसलें चावों की
उत्साह की आभा होती है
उस रोज़ दिवाली होती है – अटल बिहारी वाजपेयी

3. जब प्रेम से मीत बुलाते हों
दुश्मन भी गले लगाते हों
जब कहीं किसी से वैर न हो
सब अपने हों कोई ग़ैर न हो
अपनत्व की आभा होती है
उस रोज़ दिवाली होती है – अटल बिहारी वाजपेयी

4.जब तन-मन-जीवन सज जाए
सद्भाव के बाजे बज जाएं
महकाए खुशबू खुशियों की
मुस्काए चंदनिया सुधियों की
तृप्ति की आभा होती है
उस रोज़ दिवाली होती है – अटल बिहारी वाजपेयी

5.आओ फिर से दिया जलाएँ
भरी दुपहरी में अँधियारा
सूरज परछाईं से हारा
अंतरतम का नेह निचोड़ें-
बुझी हुई बाती सुलगाएँ
आओ फिर से दिया जलाएँ – अटल बिहारी वाजपेयी