यूपी चुनाव- अतीक अहमद ने छोड़ा चुनावी मैदान, पिछले 3 दशक में पहली बार हुआ ऐसा

atiq ahmad

अतीक अहमद खुद जेल में हैं, उनके दोनों बेटे फरार हैं, इस वजह से अतीक की पत्नी ने मैदान छोड़ दिया, ओवैसी की पार्टी से उम्मीदवार घोषित होने के बाद से स्थितियां बदलती गई।

New Delhi, Feb 09 : यूपी के प्रयागराज में बाहुबली अतीक अहमद की एक समय तूती बोलती थी, लेकिन इस बार उनका परिवार चुनावी मैदान से बाहर हैस 1989 से 2017 तक अतीक और उनके परिवार के लोग ही प्रयागराज से चुनाव लड़ते रहे, 3 दशक में पहला मौका है, जब ना तो खुद अतीक अहमद चुनाव में उतरे हैं और ना ही परिवार का कोई सदस्य, हालांकि जेल में रहते हुए उन्होने असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम का दामन थाम रखा है।

अतीक का गढ
प्रयागराज (पहले इलाहाबाद) एक समय में अतीक अहमद का गढ कहा जाता था, 1989 में अतीक खुद इलाहाबाद पश्चिम सीट से निर्दलीय चुनाव जीते, atiq ahmed इसके बाद वो सपा, अपना दल के टिकट से चुनावी मैदान में आते रहे और जीतकर विधानसभा और संसद जाते रहे, फूलपुर से सांसद बनने के बाद इस सीट पर अपने भाई अशरफ को चुनाव लड़वाया, उन्हें भी विधायक बनाने में सफल रहे।

मायावती ने कसी थी नकेल
मायावती के सत्ता में आने के बाद अतीक अहमद की उल्टी गिनती शुरु हो गई, जो अभी तक खत्म नहीं हो सकी, मायावती ने अतीक पर नकेल कसने की कोशिश की थी, 2017 में योगी के सत्ता संभालते ही उनके सियासी साम्राज्य को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया गया, सपा ने भी अतीक से पूरी तरह से किनारा कर लिया, जिसके बाद उन्होने पूरे परिवार के साथ ओवैसी की पार्टी का दामन थाम लिया। पूर्व सांसद गुजरात की जेल में बंद हैं, तो उनकी पत्नी शाइस्ता परवीन ने पिछले साल ओवैसी की पार्टी ज्वाइन की, प्रयागराज में एक जनसभा करके ओवैसी ने उन्हें प्रयागराज पश्चिम सीट से उम्मीदवार भी घोषित किया था, लेकिन उनके चुनाव लड़ने को लेकर मंगलवार को विराम लग गया, क्योंकि उन्होने नामांकन नहीं भरा।

खुद जेल में दोनों बेटे फरार
अतीक खुद जेल में हैं, उनके दोनों बेटे फरार हैं, इस वजह से अतीक की पत्नी ने मैदान छोड़ दिया, ओवैसी की पार्टी से उम्मीदवार घोषित होने के बाद से स्थितियां बदलती गई, दरअसल पिछले साल आखिर में शाइस्ता परवीन के छोटे बेटे अली के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ, वो फरार हुआ, तब से ही उनके चुनाव ना लड़ने की बातें कही जाने लगी। हालांकि ओवैसी की पार्टी के नेता ये कहते रहे कि शाइस्ता चुनाव लड़ेगी, लेकिन नामांकन के आखिरी दिन 8 फरवरी को उन्होने पर्चा दाखिल नहीं किया, जिससे तय हो गया, कि उन्होने मैदान छोड़ दिया है, पिछले 33 साल में पहला मौका है, जब अतीक के परिवार का कोई सदस्य चुनावी मैदान में नहीं है।