नीतीश के पैंतरे से चित हुए उपेन्द्र कुशवाहा, अमित शाह ने इशारों में दे दिये संकेत

नीतीश कुमार और प्रशांत किशोर के हाव-भाव से लग रहा है कि अमित शाह से उनकी मुलाकात सुखद रहा।

New Delhi, Sep 20 : बिहार के सीएम नीतीश कुमार दिल्ली प्रवास के बाद पटना वापस लौट गये हैं, इस बीच दिल्ली में उन्होने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात भी की, जिसमें सीट बंटवारे को लेकर चर्चा हुई। नीतीश ने पटना लौटने से एक दिन पहले अमित शाह से मुलाकात की थी, लेकिन फिर अगले दिन प्रशांत किशोर ने अमित शाह से मुलाकात की। अमित शाह और नीतीश कुमार के मुलाकात को काफी अहम माना जा रहा है, क्योंकि जदयू कार्यकारिणी की बैठक में नीतीश ने साफ कर दिया था कि बीजेपी के साथ सीटों को समझौता हो चुका है, कुछ बातें सुलझाने के बाद इसे सार्वजनिक भी कर दिया जाएगा।

बीजेपी-जदयू में बन गई बात
नीतीश कुमार और प्रशांत किशोर के हाव-भाव से लग रहा है कि अमित शाह से उनकी मुलाकात सुखद रहा। सूत्रों के अनुसार खुद बीजेपी 20 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जबकि जदयू को 14 सीटों का ऑफर दिया गया है, दूसरी ओर रामविलास पासवान की पार्टी लोजपा को 4 और रालोसपा को 2 सीट का ऑफर दिया जा सकता है। लोजपा से बीजेपी इस संदर्भ में बात कर रही है, लोजपा कम से कम 5 सीटें मांग रही है। आपको बता दें कि 2014 में लोजपा 7 सीटों पर लड़ी थी और 6 जीतनें में सफल रही थी। लोजपा से बात हो जाने के बाद अगले सप्ताह बीजेपी रालोसपा से बात करेगी।

नीतीश बना रहे दबाव
नीतीश कुमार बीजेपी पर लगातार दबाव बनाये हुए हैं, कि वो रालोसपा को ज्यादा भाव ना दे, इसी वजह से प्रेशर पॉलिटिक्स करने के बावजूद बीजेपी दबाव में नहीं दिख रही, उपेन्द्र कुशवाहा पिछले कुछ दिनों से लगातार अपने बयानों से सुर्खियां बटोर रहे थे, लेकिन अब जब सीट शेयरिंग का मसला सुलझाया जा रहा है, तो वो बिल्कुल चुप्पी साधे हुए हैं, दरअसल राजनीतिक एक्सपर्ट्स का मानना है कि नीतीश नहीं चाहते कि रालोसपा एनडीए का हिस्सा रहे, इसी वजह से रालोसपा को एनडीए में ज्यादा भाव नहीं दिया जा रहा।

जदयू दूसरे राज्यों में पैर पसारने में लगी
अगर उपेन्द्र कुशवाहा एनडीए छोड़ महागठबंधन में शामिल होते हैं, तो उनके कोटे की दो सीटें एक जदयू और एक लोजपा के खाते में जाएगी, यानी बीजेपी 20, जदयू 15 और लोजपा 05 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। हालांकि जदयू बीजेपी से एक सीट झारखंड और एक यूपी में मांग रही है। अगर इस मुद्दे पर सहमति बन गई, तो फिर जदयू की कुल सीटों की संख्या 17 हो जाएगी, फिलहाल अमित शाह ने इस पर हामी नहीं भरी है और ना ही उन्होने मना किया है।

अब क्या करेंगे कुशवाहा ?
पिछले कुछ दिनों से अपने बयान से सुर्खियां बटोरने वाले उपेन्द्र कुशवाहा ने पूरे मामले में चुप्पी साध रखी है, शायद उन्हें भी अंदाजा हो चुका है, कि अमित शाह शिवसेना जैसे पुराने सहयोगी दल के दबाव में नहीं आये और बिना गठबंधन के महाराष्ट्र चुनाव लड़ लिया था, ऐसे में रालोसपा की दोस्ती महज चार साल की है। नीतीश की वजह से कुशवाहा को नुकसान ये हुआ कि उन्हें शायद महागठबंधन में उनकी सीटें नहीं मिले, जितने की वो उम्मीद कर रहे थे। सूत्रों के अनुसार तेजस्वी उन्हें 4 सीटें देने को राजी थी, जबकि कुशवाहा उनसे सात सीटें मांग रहे थे। अब लगता है कि उन्हें चार सीटों से ही संतोष करना पड़ेगा।