असाधारण बहादुरी और नेतृत्व के लिये जाने जाते हैं बिपिन रावत, पीढियों से कर रहे सेना की सेवा

bipin rawat

31 दिसंबर 2019 को थल सेनाध्यक्ष के तौर पर रिटायर होने के अगले दिन ही जनरल रावत देश के पहले रक्षा प्रमुख बने, रावत 31 दिसंबर 2016 से 31 दिसंबर 2011 तक थल सेनाध्यक्ष के पद पर रहे।

New Delhi, Dec 08 : जनरल बिपिन रावत एमआई 17 सीरीज हेलीकॉप्टप में पत्नी के साथ सवार थे, जो ऊटी के पास क्रैश हो गया है, बिपिन रावत का सैन्य करियर शानदार रहा है, वो कितने असाधारण सैन्य अधिकारी हैं इसे इस बात से ही समझा जा सकता है कि जब देश ने पहला रक्षा प्रमुख यानी चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बनाया, तो उस पद पर उन्हें नियुक्त किया गया।

पहले रक्षा प्रमुख
31 दिसंबर 2019 को थल सेनाध्यक्ष के तौर पर रिटायर होने के अगले दिन ही जनरल रावत देश के पहले रक्षा प्रमुख बने, रावत 31 दिसंबर 2016 से 31 दिसंबर 2011 तक थल सेनाध्यक्ष के पद पर रहे। उनका जन्म उत्तराखंड के पौड़ी गढवाल जिले में चौहान राजपूत परिवार में हुआ, उनके पिता भी सेना में अधिकारी थे।

परिवार की परंपरा
दरअसल रावत परिवार की परंपरा ही सेना में जाने की रही है, उन्होने 11वीं गोरखा राइफल की पांचवीं बटालियन से 1978 में अपने करियर की शुरुआत की। उन्होने अपनी पढाई देहरादून के कैंबरीन हॉल स्कूल, शिमला में सेंट एडवर्ड स्कूल तथा भारतीय सैन्य एकेडमी देहरादून से की, फिर उन्होने एमफिल किया, फिर पीएचडी भी, 2011 में उन्हें सैन्य मीडिया सामरिक अध्ययनों पर अनुसंधान के लिये चौधरी चरण सिंह मेरठ से पीएचडी दी गई।

बहादुर और समझदार
बिपिन रावत अपने लंबे करियर में कई तरह के सैन्य अभियानों तथा कार्रवाई में शामिल होने वाले अधिकारियों में से एक रहे, संयुक्त राष्ट्र संघ के भी कई मिशन में वो शामिल रहे, हर बार उनकी बहादुरी, समझदारी और सैन्य रणनीति का लोहा सबने माना, यही वजह थी कि वो सेना में एक पद से दूसरी पद पर तरक्की करते गये।