अखिलेश या बीजेपी? ‘यादव बेल्ट’ में किसे लगने वाला है झटका? तीसरे चरण का ऐसा रहा हाल

akhilesh yogi

यूपी में 20 फरवरी को तीसरे चरण का मतदान पूरा हुआ । इस चरण में 16 जिलों की 59 सीटों पर वोट डाले गए । वोटिंग ट्रेंड की बात करें तो तो इस बार पिछले चुनाव से दो फीसदी वोटिंग कम हुई है।

New Delhi, Feb 21: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण के लिए 16 जिलों में 59 सीटों पर रविवार को मतदान हुआ । 627 उम्मीदवारों की किस्मत ईवीएम में कैद हो गई । राजनीति के जानकारों के मुताबिक रविवार को हुए तीसरे फेस में ‘यादव बेल्ट’ और बुंदेलखंड के इलाके की सीटों पर हुए मतदान में पिछली बार से कम उत्साह नजर आया । चुनाव आयोग के मुताबिक, तीसरे दौर की 59 सीटों पर 60.46 फीसदी  मतदान रहा जबकि 2017 के विधानसभा चुनाव में यह आंकड़ा 62.21 फीसदी था ।

दो फीसदी कम वोटिंग
चुनाव आयोग की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार तीसरे चरण में बृज, अवध और बुंदेलखंड इलाके की सीटों पर पिछले चुनाव से दो फीसदी वोटिंग कम हुई है । हालांकि इसी क्षेत्र में 2012 के आंकड़ों के मुताबिक 59.79 फीसदी वोटिंग हुई थी, जबकि 2017 में 62.21 फीसदी मतदान हुआ था । इस तरह से 2012 की तुलना में 2017 में वोटिंग में दो फीसदी का इजाफा हुआ, लेकिन इस बार फिर से 2 फीसदी कम हो गया । स्‍पष्‍ट है कि पिछले चुनाव में 59 सीटों का वोटिंग फीसदी बढ़ने से बीजेपी को जबरदस्त फायदा मिला था, लेकिन इस बार वोटिंग ट्रेंड 2012 की तरह रहा । यानी सियासी संकेत कुछ बदलाव का इशारा दे रहे हैं ।
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तीन चुनाव का वोटिंग ट्रेंड
तीसरे चरण की जिन 59 सीटों पर चुनाव हुए हैं, वो यादव बेल्‍ट माने जाते हैं । चुनाव के जानकार बता रहे हैं कि वोटिंग फीसदी बढ़ने से विपक्ष को जबरदस्त लाभ मिलता दिख रहा है । साल 2017 के चुनाव में इन 59 में से 49 सीटों पर बीजेपी के उम्मीदवारों को जीत मिली थी जबकि सपा को 8 और कांग्रेस के और बसपा को एक सीट मिली थी । 2012 के विधानसभा चुनाव में इन 59 सीटों में से बीजेपी को 8, सपा को 37, बसपा को 10 और कांग्रेस को तीन सीटों पर जीत मिली थी । इस तरह से 2017 में बीजेपी को 41 सीटों का फायदा मिला था तो सपा को 29, कांग्रेस 2 और बसपा को 9 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा था । और पीछे जाएं तो  2007 के विधानसभा चुनाव में इन 59 सीटों पर 50 फीसदी के करीब वोटिंग हुई थी, जिसमें बसपा को 28, सपा 17, भाजपा 7 सीटें मिली थी । यानी 2012 के चुनाव में 10 फीसदी वोटिंग इजाफा हुआ तो सपा को 10 सीटों का फायदा तो बसपा को 21 सीटों का नुकसान हुआ था ।  पिछले तीन चुनाव के वोटिंग ट्रेंड तो यही कहते हैं कि वोटिंग फीसदी के बढ़ने से विपक्ष को फायदा मिला है तो वहीं सत्तापक्ष को नुकसान रहा है । इस बार की वोटिंग लगभग 2012 के चुनाव के बराबर रही है।
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यादव बेल्ट और बुंलेदखंड का हाल
तीसरे चरण का चुनाव यादव बेल्ट, कानपुर क्षेत्र और बुंदेलखंड के इलाके की सीटों पर रहा है, तीसरे चरण में यादव वोट अहम माने जाते रहे हैं । यही वजह रही कि अखिलेश यदव को इस चरण की वोटिंग से बड़ी उम्‍मीदें रहीं । बृज के कासगंज, फिरोजाबाद, मैनपुरी, एटा, और हाथरस की 19 सीट हैं, अवध के 6 जिलों कानपुर, कानपुर देहात, औरैया, फर्रुखाबाद, कन्नौज और इटावा की 27 सीट हैं । बुंदेलखंड क्षेत्र के 5 जिलों झांसी, जालौन, ललितपुर, हमीरपुर, महोबा में 13 सीटों पर चुनाव हुए हैं । गौरतलब है कि यादव बेल्ट वाले बृज और अवध क्षेत्र में बीजेपी के गैर-यादव ओबीसी कार्ड का दांव सफल रहा था, ये एक समय में सपा का मजबूत गढ़ हुआ करता था । बावजूद इसके सपा महज आठ सीटें ही जीत सकी थी । जबकि बुंदेलखंड के इलाके में बीजेपी का दलित और ओबीसी जातियों के साथ-साथ सवर्णों वोटों के दम पर दबदबा जमाया था, जो कभी बसपा का मजबूत दुर्ग हुआ करता था।
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दलित और मुस्लिम सीटों पर ट्रेंड
तीसरे चरण में 9 ऐसे जिले भी रहे जहां अनुसूचित जाति की आबादी 25 फीसदी से ज्यादा है, ऐसी सीटों पर औसत से ज्यादा वोट पड़े हैं । दलित बाहुल्य वाली सभी सीटों पर वोटिंग फीसदी अधिक रही । वहीं तीसरे फेज में मुस्लिम प्रभाव वाली सीटें ज्यादा नहीं थीं, कानपुर में सबसे ज्यादा 18 फीसदी तो कन्नौज में 16 फीसदी मुस्लिम आबादी है । तीसरे चरण के टॉप 5 मुस्लिम आबादी वाले जिलों को देखें तो पहला नंबर कन्नौज का है, जहां 62 फीसदी वोट पड़े, कानपुर नगर में 51, फर्रुखाबाद में 55, फिरोजाबाद में 58 और हाथरस में 59 फीसदी वोट पडे हैं । तीसरे चरण की वोटिंग के बाद स्‍पष्‍ट है कि यादव बेल्ट में वोटिंग हिट रही तो बुंदेलखंड जैसी जगहों पर पिछली बार की तुलना में वोट कम पड़े । यहां मुकाबला कड़ा रहा है । तीसरे चरण के साथ यूपी की कुल 403 सीटों में से 172 सीटों पर चुनाव समाप्त हो गया है । किस्‍मत ईवीएम में बंद हो चुकी है । यूपी में चौथे चरण का मतदान 60 सीटों के लिए 23 फरवरी को होना है ।
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