2019 में मोदी को दुबारा पीएम बनाएगा एससी-एसटी एक्ट, अमित शाह का था ये प्लान

इन पदाधिकारी का मानना है कि ऊंची जाति के मतदाता शिकायत के बाद भी बड़ी संख्या में हमें ही वोट करेंगे, क्योंकि फिलहाल उनके पास कोई ठोस विकल्प नहीं है।

New Delhi, Sep 13 : एससी-एसटी एक्ट को लेकर देश में राजनीतिक दल सियासत कर रहे हैं, सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मोदी सरकार ने पलट दिया, जिसके बाद बीते 6 सितंबर को सवर्णों ने जोरदार प्रदर्शन किया, हालांकि प्रदर्शन और भारत बंद का असर एमपी, राजस्थान और बिहार से ज्यादा आई, लेकिन यूपी के बीजेपी सांसद-विधायक भी इससे परेशान दिखे। यूपी के एक सांसद ने पहले तो पार्टी की आधिकारिक लाइन की बात कही, कि सवर्णों में नाराजगी जैसी कोई बात नहीं है, बीजेपी सबके साथ-सबके विकास में यकीन रखती है।

सरकार ने कोर्ट के फैसले को क्यों बदला ?
हालांकि थोड़ा कुरदने और नाम नहीं छापने की शर्त पर बीजेपी सांसद ने स्वीकारा, कि इस बात को लेकर कई सांसदों और विधायकों के माथे पर सिकन है, ये मुश्किल पैदा कर रही है, एक घटना का जिक्र करते हुए उन्होने कहा कि एक उनके यहां का कारोबारी जिसका कभी शायद ही एससी-एसटी एक्ट से पाला पड़े, वो उनसे पूछ रहा था कि आखिर क्यों मोदी सरकार ने एससी-एसटी एक्ट में कोर्ट के फैसले को बदल दिया, जब कोर्ट ने फैसला दिया था, तो सरकार को दखल देने की क्या जरुरत थी।

रणनीतिक चूक
बीजेपी में कई ऐसे नेता है, जो कैमरे के सामने तो पार्टी लाइन का खुलकर समर्थन करते हैं, लेकिन कैमरा बंद होते है, अपने दिल की बात बताते हैं, क्योंकि उन्हें भी लग रहा है कि सवर्ण नाराज हैं। यूपी बीजेपी के संगठन में एक पदाधिकारी नाम ना लिखने की शर्त पर कहते हैं कि इस एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पार्टी से रणनीतिक चूक हुई, पार्टी को इस मामले पर चुप्पी साधे रखना चाहिये था, उन्हें आश्वासन देना चाहिये थे, धीरे-धीरे मामला सामान्य हो जाता, लेकिन विपक्ष और सोशल मीडिया ने मामले को फैला दिया, जिसके बाद दलितों का भारत बंद देख सरकार को इस पर फैसला लेना पड़ा। इसके साथ ही उन्होने ये भी कहा कि दलितों की पार्टी से नाराजगी दूर हुई, ये तो पता नहीं लेकिन ऊंची जाति के लोग अलग नाराज हो गये।

सवर्ण हमें ही करेंगे समर्थन
हालांकि इन पदाधिकारी का मानना है कि ऊंची जाति के मतदाता शिकायत के बाद भी बड़ी संख्या में हमें ही वोट करेंगे, क्योंकि फिलहाल उनके पास कोई ठोस विकल्प नहीं है, हालांकि बीजेपी उन्हें मनाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहती। दलितों के साथ-साथ अगड़ी जातियां भी आश्वस्त रहे, कि उनके साथ अन्याय नहीं होगा। यूपी बीजेपी के वरिष्ठ नेता कलराज मिश्र का बयान इसका अच्छा उदाहरण है।

पहले भी बन चुका है मुद्दा
आपको बता दें कि ऐसा नहीं है कि एससी-एसटी एक्ट चुनावी समर में पहली बार मुद्दा बन रहा है, यूपी विधानसभा चुनावों में भी अखिलेश यादव ने चुनाव प्रचार में इस एक्ट के दुरुपयोग को खत्म करने का आह्वान किया करते थे, तब यूपी बीजेपी के नेता भी इस पर खुलकर बोला करते थे, अब राजनीतिक एक्सपर्ट्स का मानना है कि बीजेपी इससे दलितों को साधने में लगी है, सवर्ण को आखिरी समय में मना लिया जाएगा, ताकि 2019 में भी यूपी में 2014 दुहराया जा सके।